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मोदीजी का सफल और ऐतिहासिक ब्रिटेन दौरा- जागरण जंक्शन

सद्गुरुजी
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मोदीजी का सफल और ऐतिहासिक ब्रिटेन दौरा- जागरण जंक्शन

“भारत बुद्ध की धरती है, गांधी की धरती है और हमारी संस्कृति समाज के मूलभूत मूल्यों के खिलाफ किसी भी बात को स्वीकार नहीं करती है। हिन्दुस्तान के किसी कोने में कोई घटना घटे, एक हो, दो हो या तीन हो.. सवा सौ करोड़ की आबादी में एक घटना का महत्व है या नहीं, हमारे लिए हर घटना का गंभीर महत्व है। हम किसी को टॉलरेट (बर्दास्त) नहीं करेंगे। कानून कड़ाई से कार्रवाई करता है और करेगा। भारत एक विविधतपूर्ण लोकतंत्र है जो संविधान के तहत चलता है और सामान्य से सामान्य नागरिकों, उनके विचारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है, कमिटेड है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीबीसी के रिपोर्टर के एक प्रश्न के जबाब में यह बातें कहीं। उस संवाददाता ने यह प्रश्न किया था कि भारत क्यों लगातार असहिष्णु स्थल बनता जा रहा है? उस रिपोर्टर ने भारत में हाल की असहिष्णुता की घटनाओं का हवाला भी दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ उचित जबाब दिया बल्कि सारी दुनिया को यह आश्वासन भी दिया कि भारत के किसी भी हिस्से में असहिष्णुता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री से सबको इसी तरह के बयान और आश्वासन की अपेक्षा थी, जो उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिया। असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए समुचित बयान और आश्वासन की निंदा करते हुए भारत के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्रीजी पाखंड कर रहे हैं। आनंद शर्मा ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में डर का माहौल बना हुआ है और इसके लिए मोदी सरकार, भाजपा और उससे संबद्ध हिन्दू संगठन जिम्मेदार हैं।

आनंद शर्मा जी असहिष्णुता पर एक लम्बी बहस हो सकती है और उस बहस का सार यही होगा कि जबसे केंद्र की सत्ता आप लोंगो के हाथों से देश की शोषित और पीड़ित जनता ने छीनी है, तबसे आप लोग नरेंद्र मोदी, भाजपा और हिन्दू संगठनों के खिलाफ न सिर्फ अतिशय असहिष्णु हुए हैं, बल्कि वामपंथी विचारकों के साथ मिलकर देश के साहित्यकारों, फिल्मकारों, कलाकारों को प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा और हिन्दू संगठनों के खिलाफ भड़काने का ही काम किया हैैं। सब जानते हैं कि देश में कहीं न कहीं हमेशा ही होने वालीं सांप्रदायिक हिंसा की छिटपुट घटनाओं की आड़ लेकर देशभर में बड़े पैमाने पर पुरस्कार वापसी का ड्रामा किसके इशारे पर किया गया।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ वार्ता के बाद जो संयुक्त संवाददाता सम्मेलन हुआ उसमे आजाद ब्रिटिश प्रेस को यह नहीं बताया गया था कि उन्हें पीएम मोदी से क्या सवाल करने हैं और क्या नहीं। यही वजह थी कि प्रधानमंत्री मोदी से कुछ बेहद तीखे सवाल भी पूछे गए। ‘द गार्डियन’ के रिपोर्टर ने पीएम मोदी से लंदन की सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन के बारे में पूछा था और गुजरात में उनके कार्यकाल पर भी सवाल खड़ा किया था कि लंदन की सड़कों पर यह कहते हुए प्रदर्शन हुए हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनके रिकॉर्ड को देखते हुए वह उस सम्मान के हकदार नहीं हैं, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को सामान्य तौर पर मिलता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जवाब में कहा, “अपना रिकॉर्ड दुरुस्त कर लीजिए। 2003 में मैं यहां आया था और मेरा बहुत स्वागत, सम्मान हुआ था। यूके ने मुझे कभी यहां आने से नहीं रोका। कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। मेरे समायाभाव के कारण मैं यहां नहीं आ पाया, यह अलग बात है। कृपया अपना परसेप्शन (नजरिया) ठीक कर लें।”

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प्रधानमंत्री मोदी ने उस रिपोर्टर को बहुत सटीक, सही और करारा जबाब देकर निरुत्तर कर दिया। मोदी विरोध के मामले में कांग्रेस का पिछलग्गू बनते हुए ब्रिटेन के ज्यादातर अखबारों ने जानबूझकर गुजरात दंगों और मोदी पर कथित तौर पर ब्रिटेन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को अपने अखबारों में प्रमुखता दी। जबकि सच्चाई ये है कि उन्हें कभी ब्रिटेन सरकार ने आने से नहीं रोका था, बल्कि सत्य तो यह है कि मोदीजी को ही वहां जाने का वक्त नहीं मिल पाया था।

यह बात बिलकुल सत्य है कि ब्रिटेन ने मोदी को कभी अपने देश की यात्रा करने से नहीं रोका। 2003 में जब वो ब्रिटेन गए थे तो उनका वहां पर बहुत उत्साह के साथ स्‍वागत किया गया था। गुजरात दंगे में मोदीजी का नाम कांग्रेस ने सिर्फ साम्प्रदायिक राजनीति करने के इरादे से घसीटा था और आज भी उसे गड़े मुर्दे को वक्त बेवक्त वो अपने राजनीतिक फायदे के लिए उखाड़ती रहती है।

ब्रिटेन के अखबार भारत के दलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुरू से ही विरोधी रहे हैं। भाजपा को वो भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक दल मानने की बजाय महज एक हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन मानते हैं। इतना ही नहीं, ब्रिटेन के मेहमान बने प्रधानमंत्री मोदी से जानबूझकर अनुचित और अपमानजनक सवाल पूछकर ज्यादातर बड़े ब्रिटिश अखबारों ने उन्हें अपमानित किया है, जिसके लिए उन्हें मांफी मांगनी चाहिए और पूरी दुनियाभर में उनके इस निंदनीय कृत्य की घोर निंदा की जानी चाहिए।

‘द गार्डियन’ समाचार पत्र के एक पत्रकार ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी के साथ खड़े ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से सवाल किया कि मोदी का देश में स्वागत करते हुए वे कितना सहज महसूस कर रहे हैं, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि उनके प्रधानमंत्री पद के पहले कार्यकाल के समय मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर ब्रिटेन आने की अनुमति नहीं दी गई थी। कैमरन ने अपने जवाब में कहा, “मुझे मोदी का स्वागत करने में प्रसन्नता है। वह एक विशाल और ऐतिहासिक जनादेश के बाद यहां आए हैं। जहां तक अन्य मुद्दों का सवाल है, उसकी कानूनी प्रक्रियाएं हैं।”

बिट्रिश प्रधानमंत्री ने कितना सही और सटीक जबाब दिया है। उनका जबाब मोदी विरोधियों के मुंह पर मारा गया एक करारा तमांचा है। हमारे देश में प्रधानमंत्री मोदी को मिले जिस विशाल और ऐतिहासिक जनादेश की आज विदेशों में जय- जयकार हो रही है, भारत में मोदी विरोध के नाम पर उसकी खिल्ली उड़ाई जा रही है, उसे गाली दी जा रही है। ये न सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हिंदुस्तान की सवा सौ करोड़ जनता का अपमान है, बल्कि एक संवेधानिक प्रधानमंत्री के खिलाफ किया जाना वाला देशद्रोह भी है।

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आज देश के बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों के गली मोहल्लों और सोशल मीडिया में भी भाजपा और मोदी से नफरत करने वाले कुछ सिरफिरे और असभ्य लोग बहुत अभद्र भाषा में और बहुत आपत्तिजनक ढंग से भारत के प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को गाली देते मिल जायेंगे। सरकार या प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती है। यह बेहद निंदनीय और राष्ट्र को शर्मसार करने वाली बात है। ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, बल्कि उसका दुरूपयोग है। जनता के भारी बहुमत से देश के संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को गाली देने वाले देशद्रोहियों को कभी भी क्षमा नहीं किया जाना चाहिए।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ब्रिटिश संसद में दिए गए भाषण की तारीफ़ की है और एक अच्छे राजनीतिज्ञ का परिचय दिया है। उन्होंने एक ट्विटर अकाउंट पर किए गए एक ट्वीट के जवाब में कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश संसद में वहां के सांसदों के समक्ष बेहतरीन भाषण दिया। हम उससे क्यों गौरवान्वित नहीं हो सकते।’

जिस ट्वीट के जबाब में उन्होंने ये बात कही, वह अकाउंट कांग्रेस स्वयंसेवियों द्वारा हैंडल किया जाता है। उसमे एक ट्वीट में कहा गया था, ‘प्रधानमंत्री ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित नहीं किया, बल्कि रॉयल गैलरी में सांसदों के समक्ष भाषण दिया। यह झूठ भी पकड़ा गया।’ सच्चाई ये है कि ये लोग खुद ही झूठ बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद शानदार और कई मायनों में ऐतिहासिक भाषण ब्रिटिश संसद में दिया। उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाये, वो कम है।

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भारतीय जनता पार्टी की सांसद हेमा मालिनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ब्रिटेन की संसद में दिए गए भाषण को देखा और ट्विटर पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया भी दी है। उन्होंने ट्वीट किया, “मोदी जी का ब्रिटेन की संसद में दिए गए भाषण को सुना। भारत को वैश्विक नक्शे पर आगे रखने का यह उनका स्पष्ट दृष्टिकोण तथा उसके प्रति समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “जिस तरह उन्होंने सभा को संबोधित किया वह बेहतरीन था। हम सौभाग्यशाली हैं कि अपने नेता के रूप में हमें उनका साथ मिला।” सांसद हेमा मालिनी ने इस ट्वीट के जरिये पीएम मोदी की आलोचना करने वालों की भी अच्छी तरह से खबर ले ली है।

अपने ब्रिटेन दौरे के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहुत शानदार और ऐतिहासिक भाषण दिया, बल्कि लंदन के वेंबले स्टेडियम में भारतीय समुदाय के 60 हजार से ज्यादा लोगों की रिकार्डतोड़ और ऐतिहासिक भीड़ को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते। हम बराबरी चाहते हैं। मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है बराबरी से बात करता है।’

उन्होंने कहा कि ‘भारत अब विकास के पथ पर चल पड़ा है। भारत के गरीब रहने का कोई कारण नजर नहीं आता। दुनिया भारत में एक नई संभावना देख रही है। भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है। पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ पकड़ कर रखते हैं। यह बदलाव भारत की सफलता की निशानी है।’ पहली बार भारत के किसी स्वाभिमानी प्रधानमंत्री ने सीना तानकर दुनिया से कहा है कि भारत को दुनिया से मेहरबानी नहीं, बल्कि बराबरी का दर्जा चाहिए। ब्रिटेन के सफल और ऐतिहासिक दौरे के लिए प्रधानमंत्री जी और समस्त हिन्दुस्तानियों को बहुत बहुत बधाई।

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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