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रेलमंत्री सुरेश प्रभु व भारतीय रेलवे का “ह्युमन टच” सराहनीय है
रेलमंत्री सुरेश प्रभु जब स्वयं जगे तो समूचा रेलवे तंत्र ही जाग गया आजकल रेलवे के जीएम से लेकर डीआरएम तक और स्टेशन मास्टर से लेकर टीटीई तक सभी रेलमंत्री की कड़ाई से जागरूक हो गए हैं। छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक सबकी जबाबदेही तय कर दी गई है। ये लोग रातभर जागकर भारतीय रेलों में रोजाना सफर करने वाले हजारों यात्रियों की न सिर्फ सुनवाई कर रहे हैं, बल्कि जरूरतमंद केसों में समस्या का त्वरित समाधान कर एक बहुत बड़ा आदर्श भी प्रस्तुत कर रहे हैं। रेलमंत्री सुरेश प्रभु और उनकी रेलवे इन दिनों फ़िल्मी हीरो तरह जनता की सेवा कर न सिर्फ आम जनता और मीडिया की वाह वाही लूट रही है, बल्कि मानवता की नई इबारत भी लिख रही है, जिसकी अबतक केवल मानसिक कल्पना ही की जाती थी या रेलवे से कभी न पूरी होने वाली आशा ही कही जाती थी। पिछले कुछ दिनों में भारतीय रेलवे ने दर्जनों मामलों में रेल यात्रियों की जो तत्काल मदद की है, उन सबकी चर्चा और बड़ाई दोनों जरूर होनी चाहिए।
ये पहली बार मैं देख रहा हूँ कि किसी मंत्री ने अपने विभाग को इस तरह से जागृत किया हो कि वो दूसरे मंत्रियों और विभागों के लिए जागृत होने की एक अदभुद और अनुकरणीय मिसाल बन जाये। रोजाना हजारों यात्रियों के समस्याओं की सुनवाई व त्वरित रूप से उसका समुचित समाधान करने के काम से रेलवे के अधिकारी तनावग्रस्त जरूर हैं, लेकिन समस्या का समुचित समाधान हो जाने पर यात्रियों की तरफ से जो आभार व धन्यवाद संदेश मिलते हैं, उसे पढ़कर उन्हें बहुत ख़ुशी और संतुष्टि भी मिल रही है। कई बार उन्हें यात्री मामूली सी बात पर या बेवजह भी दौड़ा दे रहे हैं, इसलिए रेलवे के अधिकारी यात्रियों से बार बार अपील कर रहे हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग जरुरत पड़ने पर जरूर करें, किन्तु इस सुंदर और सरल व्यवस्था का दुरुपयोग कर बेवजह रेल कर्मचारियों को परेशान न करें। वे सही कह रहे हैं, इस बात का यात्रियों को पूरा ध्यान रखना चाहिए।
सोशल मीडिया के उपयोग के जरिए रेल सेवाओं में सुधार करने की रेलमंत्री सुरेश प्रभु की तरकीब इन दिनों काफी चर्चा में है। परेशान यात्री रेलमंत्री सुरेश प्रभु को सोशल मीडिया यानि ट्विटर या फेसबुक पर लिख कर अपनी समस्या बताते हैं और रेलमंत्री की ओर से तत्काल रेल अधिकारियों को ट्वीट, एसएमएस व फोन कॉल के जरिये यात्री की समस्या बताई जाती है और त्वरित रूप से समाधान करने का आदेश दिया जाता है। इस आसान व्यवस्था की बदौलत रेलवे में यात्री सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक नई क्रांति होती दिख रही है। पिछले कुछ दिनों में इस सरल व्यवस्था से यात्रियों की समस्याओं का त्वरित रूप से समाधान करने के कई नायाब उदाहरण सामने आए हैं।
एक घटना गुरुवार 10 दिसम्बर के सुबह की है। फतेहपुर स्टेशन पर जब एक 18 माह के बच्चे को दूध देने के लिए मंडुवाडीह-नई दिल्ली सुपरफास्ट ट्रेन रुकी तो बहुत से यात्री आश्चर्य में पड़ गए। जब ट्रेन के यात्रियों को पता चला कि यह ट्रेन रेलमंत्री द्वारा 18 माह के भूख से बेहाल हो रोते बच्चे की मदद मांगने पर रोकी गई है, तब रेलमंत्री की इस पहल को सभी यात्रियों ने न सिर्फ सराहा, बल्कि ऐसे सुयोग्य रेलमंत्री को सलाम भी किया। इस ट्रेन में सफर के दौरान एक यात्री ने अपने बच्चे को भूखा रोता देख रेलमंत्री को ट्वीट करते हुए लिखा था कि कोहरे के कारण ट्रेन काफी लेट है। मेरे 18 महीने के बेटे को दूध चाहिए। जवाब में रेलमंत्री ने उस यात्री का कांटेक्ट नंबर मांगा था और आवश्यक व्यवस्था करने का आश्वासन भी दिया था, जिसे उन्होंने अपने कर्मचारियों के जरिये पूरा भी किया।
इससे पहले 7 दिसंबर को देहरादून के कुछ छात्रों के लिए बिना पेंट्री कार वाली ट्रेन में भोजन की व्यवस्था की गई थी। एक स्कूल के कुछ बच्चे बिना पेंट्री कार वाली जिस ट्रेन से यात्रा कर रहे थे, उसका मार्ग बदल दिये जाने के कारण और राह में खाना नहीं मिलने के कारण बच्चे भूख से बेहाल थे। उन बच्चों ने एक ट्वीट किया. उस ट्वीट के कारण वाराणसी स्टेशन पर उन्हें खाना मुहैया कराया गया। जबकि इससे पहले 30 नवंबर को एक विकलांग महिला के लिए स्ट्रेचर व व्हीलचेयर का इंतजाम किया गया था।
मीडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार बेंगलूर से राजस्थान के मेड़तारोड़ के लिए यशवंतपुर-बीकानेर एक्सप्रेस ट्रेन में अपने लकवाग्रस्त पिता के साथ सफर कर रहे एक यात्री ने मेड़तारोड़ स्टेशन पर मदद के लिए रेलमंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीट किया। वो यात्री केवल इतना ही चाहते थे कि ट्रेन मेड़तारोड़ स्टेशन पर पांच मिनट के बजाय दस मिनट रुक जाए, ताकि वह अपने लकवाग्रस्त पिता को आराम से ट्रेन से नीचे उतार सके। कुछ समय बाद ट्रेन जब मेड़तारोड़ स्टेशन के तीन नंबर प्लेटफार्म पर पहुंची तो वो यात्री हैरान रह गए। उन्होंने देखा कि प्लेटफार्म पर स्टेशन मास्टर, एक कुली और व्हीलचेयर के साथ कई मददगार लोग तैयार खड़े है। इसी तत्रह से एक वाकये में महाराष्ट्र में एक महिला ने अपने साथ हो रही छेड़खानी पर एक ट्वीट किया था और रेलवे के कर्मचारियों ने समय पर पहुँचकर उस महिला की सहायता की थी।
इसी तरह के दर्जनों मामलों में आजकल रेलवे रोजाना यात्रियों की मदद कर रहा है। अफ़सोस की बात है कि देश के सेकुलर नेता, बुद्धिजीवी और सेकुलर मीडिया इन सब अच्छी चीजों की चर्चा करने से बच रही है, शायद मोदी सरकार के अच्छे कामों की तरफ करने से उनका सेक्युलरिज्म भंग होता हो। आम जनता भारतीय रेलवे की दशा सुधरने से खूब वाह वाही कर रही है और हमारे देश के काबिल रेलमंत्री को सैल्यूट कर रही है। पिछले कुछ दिनों से रेलमंत्री व् रेल मंत्रालय की सोशल मीडिया पर तत्परता और यात्रियों को मदद पहुंचाने की अख़बारों में बराबर प्रकाशित हो रहीं सुर्खियों से इस बात का एहसास देश की जनता को अब होने लगा है कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु भारतीय रेलवे को अपने साथ लेकर ‘ह्युमन टच’ करके यानि मानवता की भावना को महसूस कर लोंगो के दिलों को स्पर्श करते हुए रेलवे के विकास की बिलकुल सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। शाबाश सुरेश प्रभु! शाबाश भारतीय रेलवे!
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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