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सीबीआई के छापे से क्यों तिलमिलाए केजरीवाल-जागरण जंक्शन

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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सीबीआई के छापे से क्यों तिलमिलाए केजरीवाल- समीक्षा

‘मेरे दफ्तर पर सीबीआई छापा।’
‘राजनीतिक रूप से मोदी मेरा सामना नहीं कर पा रहे हैं।’
‘मोदी ने कायरता दिखाई है।’
‘मोदी कायर और मनोरोगी हैं।’
‘मोदी जब राजनीतिक रूप से उनसे नहीं लड़ पा रहे हैं तो उन्होंने अपनी कायरता का सहारा लिया है।’
‘मेरे तो शब्द खराब है, मोदी जी तुम्हारे तो कर्म खराब हैं।’
‘राजेंद्र तो सिर्फ बहाना है, केजरीवाल असली निशाना है।’
‘DDCA में अरुण जेटली फंस रहे हैं, इसलिए उनकी फाइल जांचने ही CBI आई थी।’
‘हमारे तो शब्द खराब हैं, लेकिन तुम्हारे (पीएम के) करम फूटे हैं। मैं देहाती आदमी हूँ। हो सकता है मेरे शब्द खराब हों। तुम अपने कर्मों की माफ़ी देश से मांग लो। मैं अपने शब्दों के लिए माफ़ी मांग लूंगा।’

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर और घर पर सीबीआई के छापे पर अपनी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपने ट्वीटर पेज पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर और मंगलवार की शाम को बाकायदे प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर अपने मुंह से भी अनेक कड़वे वचन बोले। वो अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए हर बात में पीएम मोदी का सहारा लेते हैं, मानो पीएम मोदी को चुनौती देने वाले देश के वही एकमात्र नेता हों। इस बार भी उन्होंने वही फार्मूला अपनाया। उन्होंने सीबीआई के रेड को पीएम मोदी से जोड़ते हुए इसे उनकी बुजदिली बताया और उन्हें मनोरोगी तक बता डाला। तीखे और अमर्यादित बोल बोलने में उनकी पार्टी के लोग भी उनसे पीछे नहीं रहे। आप के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाही कर रहे हैं। मोदी जनता के बीच अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं। यही नहीं बल्कि आप नेताओं ने सीबीआई के छापे की तुलना जलियावाला बाग हत्याकांड तक से कर डाली।

झूठे और कटु वचन बोलने के महारथी अरविंद केजरीवाल अपने को देहाती आदमी कहते हैं। जरुरत से ज्यादा चालाकी दिखाते हुए केजरीवाज जी आप क्यों भोले भाले देहाती लोंगो को बदनाम और शर्मिंदा कर रहे हैं? मैं भी देहातों में भ्रमण करता हूँ, किन्तु मैंने किसी देहाती के मुंह से देश के पीएम के लिए ऐसी निम्न स्तर की बदजुबानी कभी नहीं सुनी। आप देहाती आदमी खुद को कहते हैं और देहातियों के दुखदर्द भूलकर खुद महल में ऐश फरमा रहे हैं। धन्य हैं आप जैसे देहाती नेता। यही तो भातीय लोकतंत्र की त्रासदी है कि नेता चुनाव जीतकर महल में गए नहीं कि देहात और देहातियों का दुखदर्द सब कोसो दूर पीछे छूट जाता है। फिर तो बस उनके नाम पर राजनीति होती है। सीबीआई छापेमारी के तुरंत बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे ऑफिस पर सीबीआई का छापा।’ आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि सीबीआई ने मुख्यमंत्री ऑफिस को सील कर दिया है। दोनों ही बातें झूठी निकलीं। सीबीआई ने साफ किया है कि उन्होंने सीएम केजरीवाल के दफ्तर पर छापा नहीं मारा है और न ही मुख्यमंत्री के ऑफिस को सील किया है।

केजरीवाल की अंधभक्ति या फिर इस्रे भावी तीसरे मोर्चे की एकजुटता देखिये कि बिना सच्चाई का पता किये बिना पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस कार्रवाई को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने ट्वीट किया कि सीएम के दफ्तर को सील किया जाना अप्रत्याशित है। वो इससे अचंभित है। अपने रीट्वीट में केजरीवाल जी ने झट से इसे अघोषित इमरजेंसी कह दिया। इस मामले को तृणमूल कांग्रेस ने संसद में भी उठाया, जिससे हंगामा हुआ और राज्यसभा की कार्रवाई कई बार स्थगित भी करनी पड़ी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में स्पष्ट रूप से कहा कि छापा केजरीवाल के दफ्तर पर नहीं मारा गया है, किन्तु विपक्ष इससे न तो सहमत हुआ और न ही शांत। दरअसल संसद की कार्यवाही बाधित करने का विपक्ष को रोज कोई न कोई बहाना चाहिए, ताकि संसद में अटके बहुत से जरुरी बिल पास न हों पाएं। इससे तो यही साबित होता है कि मोदी सरकार देश को विकास की पटरी पर तेजी से आगे बढ़ाये, ये विपक्ष को मंजूर नहीं।
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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दिल्ली सचिवालय पर सीबीआई के छापे की कड़ी निंदा की। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने सवाल पूछा कि छापे के बारे में क्या मुख्यमंत्री को इसकी सूचना थी? नीतीश कुमार बचकाना सवाल पूछ रहे हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए कि सीबीआई द्वारा इस तरह का छापा मारने के लिए अब मुख्यमंत्री को सूचना देने या उसकी अनुमति लेने की अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट समाप्त कर चुकी है। सीबीआई अब पूरी तरह से स्वतंत्र है। आइये अब संक्षेप में जाने कि अरविंद केजरीवाल के सबसे प्रिय कहे जाने वाले नौकरशाह राजेन्द्र कुमार के दफ्तर और घर पर सीबीआई छापेमारी का कारण क्या है और यह कार्यवाही किसकी शिकायत पर की गई है? दिल्ली डायलॉग कमीशन के पूर्व सचिव आशीष जोशी ने इस साल 15 जून को एसीबी (एंटी करप्शन ब्रांच) को राजेंद्र कुमार की कम्प्लेन करते हुए पत्र लिखा था कि उन्होंने एजुकेशन और आईटी डिपार्टमेंट के कार्यकाल के दौरान बेनामी कंपनियां बनाकर बड़े पैमाने पर धांधली किया।

इससे दिल्ली सरकार के राजस्व को भारी क्षति पहुंची। आशीष जोशी ने आरोप लगाया कि सन 2002 से लेकर सन 2014 तक राजेंद्र कुमार जिस जिस डिपार्टमेंट में रहे, वहां से उन बेनामी कंपनियों को फायदा पहुंचाया। सरल शब्दों में कहें तो ये अपने पद का दुरूपयोग करते हुए फर्जी कम्पनी बनाकर दिल्ली सरकार के करोड़ों रूपये हजम कर जाने का मामला है। भ्रस्टाचार का ये एक बेहद गंभीर मामला है। सीबीआई ने यूँ ही छापा नहीं मारा है। उसने राजेंद्र कुमार के 3 हजार से ज्यादा फोन कॉल्स रिकॉर्ड किए, उनके बैच के करीब 15 आईएएस अफसरों और दिल्ली सरकार के 35 अधिकारियों से पूछताछ की। उनसे मिले सबूत के आधार पर ही सीबीआई ने मंगलवार को राजेन्द्र कुमार के दफ्तर और घर पर छापे मारे। राजेंद्र कुमार के घर से 2.40 लाख रुपये मिले हैं और तीन अचल संपत्ति का भी पता चला है। उनसे करीब सात घंटे की लम्बी पूछताछ भी की गई है। सीबीआई का कहना है कि राजेंद्र कुमार के ईमेल में कई पुख्ता सबूत हैं, किन्तु वे इसे खोलने में सहयोग नहीं दे रहे। अब सीबीआई एक्सपर्ट के जरिए उनके ईमेल खुलवाने जा रही है।

पूरे मामले में कई चौंकाने वाले रोचक पहलू भी हैं। इसी साल मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार दिल्ली डॉयलॉग कमीशन के पूर्व सदस्य सचिव आशीष जोशी को ये आरोप लगाकर उनके पद से हटा दिया गया था कि वो दफ्तर में गुटखा खाते थे और सिगार पीते थे। राजेंद्र कुमार अरविंद केजरीवाल के इतने करीब हैं कि इसी साल केजरीवाल सरकार ने मुख्य सचिव अनिंदो मजुमदार के ऑफिस में ताला डालकर उसे सील कर दिया था और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर की अनदेखी करते हुए राजेन्द्र कुमार को अपना प्रधान सचिव बना दिया था। राजेन्द्र कुमार को अपने 49 दिन के पहले कार्यकाल के दौरान भी अरविन्द केजरीवाल ने प्रधान सचिव बनाया था। अपने पसंदीदा नौकरशाहों को लेकर हर राजनीतिक दल की अपनी अपनी पसंद है, जिसके साथ वो सहज और सुविधाजनक महसूस करते हैं। हमारे देश में भ्रस्टाचार ख़त्म करने का कितना भी दिखावटी राग अलापा जाये और सदाचारी होने का ढोल पिटा जाये, किन्तु सच्चाई यही है कि देश में भ्रस्टाचार न कभी ख़त्म हुआ है और न कभी होगा।
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राजेन्द्र कुमार दिल्ली सरकार में परिवहन और माध्यमिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली में ऊर्जा सचिव रहते हुए बिजली कंपनियों की मनमानी रोकने के लिए कई अच्छे कदम उठाये थे। बहुत कम लोंगो को शायद ये जानकारी होगी कि सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री एक्सलेंसी अवार्ड भी मिल चुका है। इसे आश्चर्य की बात कहें या फिर दोहरा जीवन जीने की आदत कि एक तरफ राजेन्द्र कुमार की एक ईमानदार अधिकारी के रूप में गिनती होती है, तो वहीं दूसरी तरफ वो भ्रष्टाचार के कई आरोपों से भी घिरे हुए हैं। राजेन्द्र कुमार के दफ्तर पर छापेमारी के बाद अरविन्द केजरीवाल मोदी सरकार पर न सिर्फ जमकर भड़के, बल्कि देश के पीएम के खिलाफ बोलते हुए वो सारी मर्यादाएं भी भूल गए। मंगलवार की शाम को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “राजेंद्र कुमार बहाना है, केजरीवाल निशाना है। मैं उन लोगों की तरह नहीं हूं जिन्हें आप सीबीआई से डरा लेंगे. मैं दूसरी मिट्टी का आदमी हूं. मैं इन टुचपुंजियों से डरने वाला नहीं हूं..” केजरीवालजी, आप उन्हें टुटपुंजिया कह तो गए, लेकिन इस शब्द का प्रयोग दूसरों के लिए करने वाला व्यक्ति भी अच्छा नहीं माना जाता है। आपका ‘इंसान से इंसान का हो भाईचारा..’ वाला सन्देश कहाँ चला गया।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने कहा, “मैंने डीडीसीए के घोटाले की जांच करवाने बिठाई है। उसमें लंबे समय से अध्यक्ष रहे जेटली फंसने वाले हैं। सीबीआई उसी से जुड़ी फाइलें ढूंढने आई थी।” केजरीवाल जी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आप खूब जांच कराइये, लेकिन आप अपने प्रधान सचिव के खिलाफ जांच पर इतने बौखलाए हुए क्यों हैं? आपकी इस तरह की असभ्य भाषा और अमर्यादित टिप्पणी आपको हीरो से जीरो भी बना सकती है। जनता अब ये पूछ रही है कि केजरीवाल जी आप तो भष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाले देश के एक बड़े नेता हैं, तो फिर आपके प्रधान सचिव पर भ्रष्टचार के आरोप लगने के बाद आपको इतनी घबराहट और बौखलाहट क्यों हो रही है? अगर आप सच्चे हैं तो जांच का स्वागत कीजिये। आप तिलमला कर व्यर्थ में इतना शोर-शराबा क्यों कर रहे हैं? कम से कम जांच पूरी होने तक तो शांत रहिये, नहीं तो जनता यही सोचेगी कि मोदी सरकार पर आपके व्यर्थ के हल्ला बोल कार्यक्रम के पीछे जरूर कोई राज छिपा है। अंत में एक बात और अपने को देश का सबसे बड़ा नेता साबित करने के लिए हर बात में पीएम मोदी का नाम लेना बंद कर दीजिये। जनता इससे खुश नहीं है।

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६.
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