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सरप्राइज विजिट या नियति एक और युद्ध की पटकथा लिख रही

सद्गुरुजी
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सरप्राइज विजिट या नियति एक और युद्ध की पटकथा लिख रही

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सरप्राइज विजिट के तहत लाहौर में 2 घंटा 40 मिनट रुके। लाहौर के अलामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पीएम नवाज शरीफ ने खुद उनका स्‍वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान में उनके समकक्ष नवाज शरीफ के आवास पर गए, जहां पर नवाज शरीफ की पोती मेहरूनिसा के निकाह का समारोह चल रहा था। मिडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार जिस हाल में दोनों देशों के प्रधानमंत्री की बैठक हो रही थी, उसमें शरीफ की मां अन्य परिजनों के साथ पहुंचीं। पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने नरेंद्र मोदी को अपनी मां से मिलवाया। पीएम मोदी ने बुजुर्गों को आदर देने की सनातन भारतीय परम्परा और शिष्टाचार को निभाते हुए नवाज शरीफ की मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। उन्होंने नवाज शरीफ की पोती मेहरूनिसा को इंडियन ड्रेस साडी तोहफे में दी, जबकि नवाज शरीफ की पत्‍नी कलसूम को वो शॉल भेंट किये। मोदी के लिए ‘जट्टी उमरा’ में शरीफ के पुश्तैनी घर पर लंच-कम-डिनर का खास इंतजाम था। शुद्ध देसी घी से तैयार साग, दाल और वेजिटेबल फूड से तैयार शाकाहारी पकवान उन्हें परोसे गए। उन्हें कश्मीरी चाय भी पिलाई गई। पीएम मोदी के स्वागत का आलम ये था कि नवाज शरीफ के बेटे हसन और उनकी फैमिली के कई सदस्‍य खुद उनके सत्कार में लगे हुए थे।

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हमारे पीएम की शानदार मेहमाननवाजी के लिए हमें नवाज शरीफ और उनकी फैमिली का शुक्रिया अदा करना चाहिए। नरेंद्र मोदी के दिमाग में पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की जरूर कोई पुख्ता योजना होगी, नहीं तो वो महज खाना खाने, कश्मीरी चाय पीने या फिर नवाज शरीफ से व्यक्तिगत दोस्ती निभाने के लिए पाकिस्तान नहीं जाते। पीएम मोदी ने अपनी सरप्राइज विजिट से अमन और दोस्ती के जिस रिश्ते को मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है, उसकी शुरुआत नवाज शरीफ ने तब की थी, जब मोदी ने शरीफ को अपने शपथग्रहण समारोह में बुलाया था और उन्होंने भारतीय पीएम की मां के लिए साड़ी गिफ्ट की थी। हालाँकि यह रिश्ता न तो आगे बढ़ा और न ही किसी मकाम तक पहुंचा। पाकिस्तान की राजनीति और सरकारी तंत्र पर पूरी तरह से हावी पाकिस्तानी सेना के द्वारा सीमा पर अकारण और अक्सर की जाने वाली गोलाबारी, आतंकवादियों को भारत में भेजने की निरंतर की जारी रही कोशिश और पाकिस्तान में डेरा जमाए बैठे हाफिज सईद जैसे आतंकी रहनुमाओं के भारत के खिलाफ समय समय पर जहर उगलने के कारण भारत-पाक की दोस्ती का नया रिस्ता कभी परवान नहीं चढ़ सका।

आजादी के बाद भारत-पाक रिश्ते को नई शक्ल देने की सबसे बड़ी कोशिश देश के 11वें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। उन्होंने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक और व्यावहारिक विदेश नीति का दौर शुरू किया। सब जानते हैं कि उन्होंने अमन और दोस्ती की बस लेकर लाहौर की यात्रा की थी, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान ने उनकी दरियादिली का न सिर्फ नाजायज फायदा उठाया, बल्कि दुस्साहस दिखाते हुए कारगिल में घुसपैठ और हमला कर दिया। हालाँकि वाजपेयी जी ने इस धोखे और दुस्साहस का उसे मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन उनके अथक प्रयास से दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस जो रुकी तो फिर आज तक रुकी ही है। अमन और दोस्ती की खातिर पीएम मोदी की अकस्मात की गई पाकिस्तान की यात्रा ने शक्ति संपन्न देशों की बिरादरी में जहाँ भारत की इज्जत बढ़ाई है, वहीँ दूसरी तरफ भारत-पाक दोस्ती की धमाकेदार पटकथा भी लिखनी शुरू हो गई है। अब ये दोस्ती परवान चढ़ेगी, इसमें कोई संदेह नहीं, किन्तु सवा करोड़ हिन्दुस्तानियों के मन में ये भय भी समाया हुआ है कि कहीं इस दोस्ती का हश्र भी पुरानी दोस्ती की तरह एक युद्ध में जाकर ख़त्म न हो,जैसा कि कारगिल युद्ध के रूपमे पूर्व में घटित हो चूका है।

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ऐसा संभव है, क्योंकि गहरी दोस्ती करके अचानक दुश्मनी निभाने और पीठ में छुरा भोंकने के मामले में चीन और पाकिस्तान दोनों की ही नीति एक जैसी है। यदि ऐसा हुआ तो पीएम मोदी की देश और दुनिया को सरप्राइज कर देने वाली पाकिस्तानी विजिट अनगिनत सवालों के घेरे में घिर जाएगी। उनके मंत्रिमंडल के साथी उनके पाकिस्तान जाने के फैसले से किनारा कर लेंगे। देश के कमजोर विपक्ष को उनपर हावी होने का मौका मिलेगा। यही नहीं, बल्कि जिन हिन्दू संगठनों के वो आखँ के तारे हैं,वही उनसे नफरत करते हुए सवाल करने लगेंगे कि आपने पाकिस्तानी पीएम के माताजी के पैर क्यों छुए? वे जब इसे हिन्दू बनाम मुस्लिम और राष्ट्रीय स्वाभिमान व् अस्मिता का प्रश्न बना लेंगे, तब उनकी इमेज ख़राब हो सकती है, खासकर देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज में। सारी दुनिया जानती है कि पीएम मोदी से मुस्लिम आतंकवादी संगठन कितनी नफरत करते हैं, इसलिए जान जोखिम में डालकर अमन और दोस्ती की खातिर की गई उनकी पाकिस्तान की यात्रा का दुनिया के सभी देश स्वागत कर रहे हैं। हम भी स्वागत करते हैं, किन्तु इस नेक सलाह के साथ कि वो पीठ में छुरा भोंकने वाले मुल्क के साथ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाते हुए बेहद सजग और सावधान रहें। जयहिंद !!

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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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