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कब आतंकियों के बिलों में घुसकर उन्हें हम मुंहतोड़ जबाब देंगे?

सद्गुरुजी
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कब आतंकियों के बिलों में घुसकर उन्हें हम मुंहतोड़ जबाब देंगे?
पंजाब के पठानकोट एयरबेस में हुए आतंकी के हमले के खिलाफ सेना का सर्च ऑपरेशन चौथे दिन भी जारी है. पांच आतंकवादियों के शव बरामद हो चुके हैं और छठे के शव की तलाश जारी है. इस हमले में सेना के सात जवान शहीद हो चुके हैं और 20 जवान घायल हुए हैं. इस हमले के दौरान रविवार को एक बम निष्क्रिय करते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल ईके निरंजन की मौत हुई थी. हम सिपाही से लेकर अधिकारी तक के रैंक के सेना के सात बहादुर और बेहद काबिल जवान गँवा चुके है. हम उनके त्याग पर गर्व महसूस कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे सिपाहियों के कारण ही हम अपने घरों में सुरक्षित हैं. इन वीरों की शहादत को नमन करते हुए हर हिन्दुस्तानी के मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब तक हम अपने बहादुर सैनिकों को इस तरह से खोते रहेंगे और उनके परिजनों को दुखीं करते रहेंगे? उधर उत्तरी अफगानिस्तान में भी भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बार बार आतंकी हमले हो रहे हैं. क्या हम कभी भारत और अफगानिस्तान में आतंक फैलाने वाले पाकिस्तान स्थित आकाओं और उनके आतंकी ठिकानो पर हमले कर पाएंगे, जहाँ से आतंकवादिओं को प्रशिक्षण और गोला बारूद देकर कई देशों में आतंक फैलाने के लिए भेजा जाता है. इन आतंकवादियों को पाकिस्तानी सेना और भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से ट्रेनिंग मिलती है.

पठानकोट हमले के बाद पीएम मोदी और पीएम शरीफ दोनों के लाहौर मुलाक़ात की किरकिरी होनी शुरू हो गई है. कांग्रेस और शिवसेना इधर पीएम मोदी से और पाकिस्तानी सेना उधर पीएम शरीफ सवाल कर रही है, क्यों मिले थे आप दोनों? आपके इरादे और वादे नेक, फिर आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं? आइये इसका कारण जानें. मिडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार सेना प्रमुख राहील शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भारत के साथ जारी शांति वार्ता के प्रयासों से सहमत नहीं है. कहा जाता है कि कुछ दिनों पूर्व नवाज शरीफ के साथ हुई एक बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने उनसे कहा था कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना देश में मौजूद उन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जो भारत के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पिछले कुछ सालों से आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मत की ताकत बढ़ाने में जुटी है ताकि वो लश्कर-ए-जांघवी जैसे और भी अन्य कई उन आतंकी संगठनों से निपट सके, जो पाकिस्तान के भीतर आतंकी हमले कर रहे हैं. लश्कर-ए-जांघवी एक सुन्नी बहुल और जिहादी आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान में शिया मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए उनपर कई बड़े-बड़े आतंकी हमले कर चुका है.

जैश-ए-मुहम्मद को सेना और आईएसआई इसलिए मदद और ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि वो पाकिस्तान के अंदर हो रहे आतंकी हमलों को रोके और भारत के खिलाफ अपनी आतंकवादी गतिविधियाँ को निरंतर जारी रखे. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में यूनाइडेट जिहाद काउंसिल दर्जन भर से ज़्यादा आतंकी संगठनों का समूह है, जिसे जैश-ए-मुहम्मद, पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भरपूर समर्थन हासिल है. यूनाइटेड जिहाद काउंसिल ने दावा किया है कि पठानकोट हमला उसने किया है. यूनाइटेड जेहाद काउंसिल (यूजेसी) के प्रवक्ता सैयद सदाकत हुसेन ने प्रेस को ईमेल भेजकर कहा है कि पठानकोट एयरबेस पर हमला हमने किया है. इस हमले से हम ये संदेश देना चाहते थे कि भारत का कोई भी सैन्य ठिकाना हमारी पहुंच से बाहर नहीं है. उसने यहाँ तक कहा है कि भारत और पाकिस्तान फोबिया यानि मनोविकार से ग्रसित है. यूनाइटेड जेहाद काउंसिल (यूजेसी) के प्रवक्ता सैयद सदाकत हुसेन ने मेल में लिखा है कि ऐसे हमलों के लिए पाकिस्तान को दोष देने से कश्मीर की आजादी के लिए चल रहे आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सैयद सदाकत हुसेन ने मेल में भारत सरकार को सुझाव दिया है कि यही समय है जब भारत को कश्मीर की जनता को अपनी सोच के मुताबिक अपना राजनीतिक भविष्य चुनने की अनुमति दे देनी चाहिए. आश्चर्य की बात है कि भारत सरकार को क्या करना चाहिए, अब ये सुझाव भी आतंकी संगठन दुस्साहसिक ढंग से हमला करने के बाद दे रहे हैं.
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पठानकोट एयरबेस पर हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन भारत पर किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. पता नहीं कब आतंकियों के बिलों में घुसकर उन्हें मुंहतोड़ जबाब दिया जाएगा? केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हैदराबाद में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पठानकोट आतंकी हमले के संदर्भ में कहा कि हम पाकिस्तान से दोस्ती बनाना चाहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम कमजोर हैं. अगर पाकिस्तान आतंक की मदद से भारत में इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता है तो हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे. पिछले कई दशकों से सीमा पार से आ रहीं आतंक की ईंटे खा-खाकर हिन्दुस्तान बुरी तरह से लहूलुहान हो चुका है, इसलिए दुःख और गुस्से से भरी देश की जनता आज देश के बड़बोले और केवल गाल बजाने में माहिर राजनेताओं से पूछ रही है कि आखिर कब ईंट का जबाब पत्थर से दोगे? अच्छा हो कि हमारे देश के नेता हर आतंकी हमले के बाद वही पुराने घिसे-पिटे फिल्मीनुमा डायलॉग बोलने की बजाय सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का कोई ठोस उपाय करें. यही इस रोग का एकमात्र इलाज है. हमें बुझदिल, कायर और नपुंसक नहीं बल्कि इज़राइल की तरह एक जागरूक, जुझारू, और स्वाभिमानी देश बनकर आतंकवादियों के दिलों में ऐसी दहशत पैदा करनी चाहिए कि वो हमारे महान देश पर हमला करने की सोचे भी नहीं. अंत में, इस समय देश पर शासन कर रही राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी की एक व्यंग्यमय चर्चा का जिक्र करूंगा. कल सोशल मीडिया पर एक व्यंग्य पढ़ा था कि भाजपा इस समय सत्ता में है, इसलिए कुछ कर नहीं पा रही है, यदि आज विपक्ष में होती तो पाकिस्तान पर हमला कर देती.

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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