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मोदी सरकार राममंदिर का निर्माण आपसी सहमति से शुरू कराये

सद्गुरुजी
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मोदी सरकार राम मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से शुरू कराये
वर्ष 1992 से ही उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा किसी न किसी रूप में चर्चा का विषय बनता चला आ रहा है. जब भी उत्तर प्रदेश में या केंद्र में चुनावी माहौल बनना शुरू होता है, तब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की चर्चा जोर-शोर से होने लगती हैं. आजकल राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इसका एकमात्र कारण वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का होना माना जा रहा है. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम इस वर्ष के अंत तक प्रारम्भ हो जाएगा. ट्विटर पर एक ट्वीट में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, ‘हम हिन्दू मुस्लिमों को भगवान कृष्ण का पैकेज दे रहे हैं. हमको तीन मंदिर दो और 39997 मस्जिद रख लो. मुझे उम्मीद है कि मुस्लिम नेता दुर्योधन नहीं बनेंगे.’ स्वामी के इस बयान की आलोचना करते हुए विपक्ष ने कहा कि उन्हें ऐसा कहने का हक किसने दिया है? सपा नेता आजम खान ने सुब्रह्मण्यम स्वामी पर हमला बोलते हुए व्यंग्यमय लहजे में कहा कि हमारी जितनी मस्जिदें हैं उन्हें ले लें, इबादत करें, हमने कहां रोका है?
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दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय विभाग में ‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर: उभरता परिदृश्य’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, ‘राम मंदिर मामले में अदालत में विजयी होने पर मथुरा के कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर के विवादित मामले में, हम आसानी से जीत जाएंगे, क्योंकि साक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट हैं. वो मानते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का मामला ही सबसे कठिन मामला है.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय से अयोध्या में विवादास्पद स्थल पर मंदिर के निर्माण का पथ प्रशस्त होगा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह भी एलान किया है कि अयोध्या में राम मंदिर पर रोजाना सुनवाई के लिए वो सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. इसका अर्थ यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय शीघ्र से शीघ्र आये इसके लिए वो सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का क़ानूनी रास्ता अख्तियार करेंगे. सुब्रह्मण्यम स्वामी की राम मंदिर मामले में गहरी दिलचस्पी लेने से अब सभी को यह लग रहा है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी राम मंदिर मामले में शान्ति दूत की भूमिका निभा रहे हैं या यों कहिये कि निभाना चाह रहे हैं.

राम मंदिर केस की शीघ्र सुनवाई और निर्णय न होने पर वो देश में महाभारत होने की आशंका भी जता रहे हैं. महाभारत में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध को टालने के लिए दुर्योधन के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था कि यदि वो पांडवों को पांच गांव भी दे देगा तो वे संतुष्ट हो जाएंगे. हालाँकि कौरव युवराज दुर्योधन ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा था कि वह पांडवों को सुई की नोंक के बराबर भी जगह नहीं देगा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मुस्लिम नेताओं को दुर्योधन की जिद न करने की सलाह देते हुए तीन मंदिर (अयोध्या, मथुरा, काशी) हिन्दुओं को सौप देने की बात कही है. हैरानी की बात यह है कि बीजेपी के बेहद चर्चित नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी बार बार यह भी दुहरा रहे हैं कि राम मंदिर बनाने का काम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही होगा। सुब्रह्मण्यम स्वामी की बातों में विरोधाभास और दोहरापन साफ़ झलकता है ! एक तरफ तो वो इसवर्ष के अंत तक मंदिर निर्माण शुरू करने की बात करते हैं, वहीँ दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने की भी बात कहते हैं. यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला वो मानेंगे तो इसवर्ष के अंत तक सुप्रीम कोर्ट से इस केस पर कैसे निर्णय करवा लेंगे, इसका कोई जबाब वो नहीं दे रहे हैं.

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यही वजह है कि एमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान सुब्रह्मण्यम स्वामी से पूछा कि जो मु्द्दा सुप्रीम कोर्ट के भीतर है उसके बारे में आप कैसे कोई ऐलान कर सकते हैं, आपको कैसे पता कि वहां मंदिर बनेगा? क्या यह देश का माहौल बिगाड़ना नहीं है? इन सवालों के जबाब में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने केवल इतना ही कहा कि मुझे विश्वास है कि फैसला शीघ्र और राम मंदिर के पक्ष में होगा, इसलिए मैं इसवर्ष के अंत तक मंदिर निर्माण शुरू करने की बात कह रहा हूँ. वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा का चुनाव होगा. भाजपा विरोधी दल एक स्वर में यही कह रहे हैं कि चुनावों के ठीक पहले भाजपा राम मंदिर जैसे सेंसटिव मुद्दे को जानबूझकर हाईलाइट कर रही है, ताकि वो राम मंदिर का जिक्र करके धर्म और साम्प्रदायिकता की राजनीति के सहारे चुनाव जीत सके. मुझे नहीं लगता है कि उनकी बातों में सच्चाई है, क्योंकि मंदिर निर्माण के लिए कोई सार्थक प्रयास किये बिना इस मुद्दे को उछालना भाजपा के लिए भारी नुकसानदेह है, क्योंकि जनता राम मंदिर पर होने वाली राजनीति से ऊब चुकी है.

उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान भी भाजपा पर यही आरोप लगा रहे हैं. वे तो साफ कहते हैं कि भाजपा और उससे जुड़े हिन्दू संगठनों को न तो राम से मतलब है और न ही रामराज्य से, वो केवल राजनीतिक फायदे के लिए राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को उठाकर यूपी सहित पूरे देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे है. मंदिर निर्माण की चर्चा पर बसपा कह रही है कि यह सब सपा और भाजपा की मिलीभगत से हो रहा है. सपा और भाजपा उप्र में दंगा फैलाकर उसका विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेना चाहती हैं. कांग्रेस का कहना है कि वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव नजदीक है, इसलिए भाजपा और पूरा संघ परिवार राम मंदिर निर्माण करने का नाटक रचने में लगा है. ये लोग ‘राम’ का वोट के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, इन्हें राम या अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से कोई लेनादेना नहीं है. देश के कई सेकुलर लीडर कह रहे हैं कि हम लोग एक धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं, इसलिए हमें सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों की भावनाओं का न सिर्फ ध्यान रखना चाहिए, बल्कि आदर भी करना चाहिए. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सबको इन्तजार करना चाहिए.

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वैदिक और पुरातत्व विभाग की शोधों से अब यह साबित हो चुका है कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या नगरी ही है, अतः अयोध्या में राम का भव्य मंदिर निर्माण जरूर होना चाहिए. यही देश के अधिकांशतः लोंगो की कल्पना और भावना है. अयोध्या सहित पूरे देश में राम मंदिर निर्माण की हो रही जबरदस्त चर्चा, अयोध्या में पत्थरों की पहुंच रही खेप और राम मंदिर निर्माण के लिए जारी पत्थर तराशने का काम यदि साम्प्रदायिक तनाव या दंगे का माहौल बनाकर महज हिन्दुओं का वोट बटोरने की स्वार्थी राजनीति से ही प्रेरित है तो निसंदेह बहुत निंदनीय है. सब जानते हैं कि राम मंदिर निर्माण का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में राम मंदिर का निर्माण हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों की आपसी सहमति से ही शुरू हो सकता है. यदि ये संभव है तो मोदी सरकार को इसके लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए. यदि वो ऐसा कर सकी तो यह उसकी एक बहुत बड़ी उपलब्द्धि होगी. सबको ख़ुशी होगी यदि राम मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से शुरू हो. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अनगिनत हिन्दुओं ने तन, मन और धन से अविस्मरणीय और अनुपम त्याग किया है, अतः राम मंदिर का निर्माण अवश्य होना चाहिए, लेकिन करोड़ों हिन्दुओं की गहरी आस्था से जुड़े इस मुद्दे पर हिन्दू समाज को बार बार भड़काकर मूर्ख बनाने की घटिया राजनीति अब बंद होनी चाहिए.

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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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