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आजादी की पाठशाला में कन्हैया को थप्पड़- जागरण जंक्शन मंच

सद्गुरुजी
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आजादी की पाठशाला में कन्हैया को थप्पड़- जागरण जंक्शन मंच
मीडिया में प्रकाशित समाचारों के अनुसार जेएनयू यानि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर जेएनयू परिसर में ही एक शख्स ने गुरुवार को हमला कर दिया. जेएनयू के बाहर से आए एक व्यक्ति ने उनका बाल पकड़कर घसीटा और चिल्लाते हुए उन्हें थप्पड़ मारा. विकास नाम के इस व्यक्ति को पकड़ लिया गया है. विकास कन्हैया के कश्मीर में सिक्युरिटी फोर्सेस के बारे में आपत्तिजनक बयान देने से नाराज था और अपनी नाराजगी प्रदर्शित करने के लिए वहां पहुंचा था. उसने कन्हैया से पहले बहस की और फिर गुस्से में आकर उसे थप्पड़ मार दिया. कुछ दिन पहले मीडिया में प्रसारित हुए एक वीडियो में कन्हैया ने भारतीय सेना पर झूठा दोषारोपण करते हुए कहा था, “हम सैनिकों का सम्मान करते हुए यह बात बोलेंगे कि कश्मीर में महिलाओं का बलात्कार किया जाता है सुरक्षा बलों द्वारा.” बिना किसी सुबूत के यह झूठा बयान देने वाले कन्हैया कुमार देशभर में अपने प्रति जनता का दिनोदिन बढ़ता विरोध और गुस्सा देख अब मीडिया पर अपने बयान को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करने का आरोप लगा रहे हैं.
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सब जानते हैं कि कन्हैया कुमार पर भारत के विरोध में नारे लगाने यानी देशद्रोह का आरोप दर्ज है और उन्हें हाल ही में अदालत ने छह महीने की ज़मानत पर छोड़ा है. ज़मानत पर रिहा होने के बाद कन्हैया ने जेएनयू में आजादी के नारे लगाते हुए एक जनसभा को संबोधित किया था, जिसमे उन्होंने मोदी सरकार की तीखी आलोचना की थी. पीएम मोदी के साथ साथ उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर भी निशाना साधा था. हालांकि उनकी गिरफ्तारी से पीएम मोदी या उनके किसी मंत्री का कोई संबंध नहीं था. ये सीधे सीधे देशद्रोह और पुलिस का मामला था. कन्हैया द्वारा अपनी खीझ मिटाने के लिए की गई मोदी सरकार की झूठी आलोचना वामपंथी बुद्धिजीवियों को इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने कन्हैया को मोदी के समतुल्य खड़ा कर उन्हें भविष्य का एक बड़ा जननेता साबित करने की कोशिश की. इस ख्याली पुलाव वाली काल्पनिक कोशिश में वे यह भूल गए कि महज एक हजार छात्रों का समर्थन पाने वाले कन्हैया कुमार मोदी के इकतीस प्रतिशत यानि लगभग चालीस करोड़ भारतीयों के द्वारा मिलने वाले पहाड़ जैसे प्रचंड जनसमर्थन के आगे कहीं भी नहीं टिकते हैं.
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कन्हैया कुमार को जेएनयू के परिसर में ही जिस भारतीय व्यक्ति द्वारा थप्पड़ मारा गया है, उसके हिंसात्मक कृत्य का कोई भी समर्थन नहीं करेगा, लेकिन कन्हैया के विवादित बयानों से आम भारतीय जनमानस कितना आहत है, ये घटना इस बात का पुख्ता प्रमाण जरूर है. जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष एवं एआईएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन) से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया कुमार ने इस मामले की शिकायत पुलिस में नहीं करने का फ़ैसला किया है. एआईएसएफ का कहना है कि कैम्पस की इस घटना पर पुलिस नहीं बल्कि जेएनयू प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. यह भी एक चालाकी भरा निर्णय है. क्योंकि वो जानते हैं कि पुलिस में शिकायत करने पर उलटे कन्हैया कुमार पर ही देशद्रोह का एक और केस दर्ज हो जाएगा. भूतपूर्व सैनिक कन्हैया कुमार का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. चिंता की बात ये है कि जिस व्यक्ति पर थप्पड़ मारने का आरोप लगा है उसे घटना के बाद जेएनयू में ही पकड़कर रखा गया है. पुलिस को शीघ्र से शीघ्र उसे अपनी हिरासत में ले लेना चाहिए. कांग्रेस सरकार की लापरवाही से जेएनयू में एंटी नेशनल हब यानि देशद्रोहियों का अड्डा बनता चला गया.
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जो आजादी के नारे लगाने और आजादी मांगने के नाम पर देशद्रोह की बात करते हैं और कम्युनिस्टों के राष्ट्रविरोधी और भारतीय संस्कृति हेतु घातक अतिवादी हिंसक विचारों और कार्यों का प्रचार-प्रसार करते हैं. इनके लिए आजादी का एक ही मतलब है, केंद्र और राज्यों में दूसरी सरकारों को उखाड़ फेंको और केवल कम्युनिस्टों की या उनके द्वारा समर्थित सरकार ही बनने दो. गौर करने वाली बात ये है कि हमारे देश में नफरत और भेदभाव फैलाने वाले कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे छात्र ही केवल जेएनयू में नहीं हैं, बल्कि एंटी नेशनल यानी राष्ट्रविरोधी मुद्दा उठाने और उस पर बयानबाजी और नारेबाज़ी करने की शिक्षा देने वाले कुछ शिक्षक भी मौजूद हैं. अभी हाल ही में मीडिया में एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमे जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर निवेदिता मेनन यह कहती नजर आ रही हैं कि कश्मीर पर भारत का गैरकानूनी कब्जा है और पूरी दुनिया ऐसा मानती है. यही नहीं बल्कि इस वीडियो में वो यहां तक बोल गई हैं कि भारत नें नागालैंड और मणिपुर पर भी कब्ज़ा किया हुआ है जबकि वो एक अलग देश होनें चाहिए.
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जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन के और भी कई वीडियो यूट्यूब पर सामने आ रहे हैं. एक विडियो में वो हिंदी, हिन्दू और हिंदुस्तान का मजाक उड़ाते हुए दिख रही हैं. उनके अनुसार हिंदी केवल देश के बीस प्रतिशत लोगों की भाषा है. उनके विचार से मैथिलि, भोजपुरी, बुंदेली, अवधी और ब्रज जैसी पचास भाषाओँ के बोलने वालों को मिलाकर यह दिखाया जाता है कि देश के पचास फ़ीसदी लोग हिंदी भाषा बोलते हैं. वो मानती हैं कि ताकतवर राजनीतिक लोगों द्वारा एक अजीब सी और बहुत ही अटपटी सी भाषा का गठन राष्ट्र भाषा के रूप में किया गया. सबसे बड़ी शर्म की बात ये है कि वे उस वक्त हिंदी भाषा में ही भाषण दे रही थीं और हिंदी की ही हंसी उड़ाते हुए कह रही थीं कि आप देख रहे हैं ना कि मै बोलते हुए अटपटा रही हूँ, उनके इतना कहते ही वहां उपस्थित जेएनयू के छात्र भी राष्ट्रभाषा हिंदी की बेइज्जती पर हंसने लगते हैं. मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार कन्हैया कुमार के साथ साथ प्रोफेसर निवेदिता मेनन के खिलाफ भी पुलिस में देशद्रोह का केस दर्ज कर लिया गया है. दोनों के ही खिलाफ कड़ी कार्यवाही जरूर होनी चाहिए. ऐसे लोगों को तो इस देश में रहने का हक बिलकुल भी नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग तो जिस देश की थाली में खा रहे हैं, उसी में छेद भी कर रहें हैं.
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दिल्ली की जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में एक तरफ जहाँ क्रांति और आजादी की बातें करने वाले अतिवादी और राष्ट्रविरोधी लोग हैं, वहीँ दूसरी तरफ राष्ट्रवाद और तथ्यात्मक बातें कहने वाले प्रोफेसर मकरंद परांजपे जैसे कुछ लोग भी हैं. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने राष्ट्रवाद का पक्ष लेते हुए कन्हैया कुमार को करारा जवाब दिया है. उन्होंने कन्हैया कुमार को तथ्यात्मक जवाब देते हुए कहा है कि जेल से आने के बाद आपने भाषण दिया था ‘गोलवरकर मुसोलिनी से मिलने गए थे’, जबकि सत्य यह है कि मुसोलिनी से मिलने ना तो गोलवरकर गए थे और ना ही हेडगेवर गए थे, उन्होंने कन्हैया से यह भी कहा है कि आप कहते हैं कि आरएसएस तानाशाह है लेकिन आप यह नहीं देखते हो कि सीपीआई और कम्युनिस्टों में भी तानाशाही चलती है. उन्होंने चाइना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है लेकिन आप वहां एक मोर्चा भी नहीं निकाल सकते, आप वहां ना तो धरना दे सकते हो और ना ही सरकार के खिलाफ हाथों में पोस्टर बैनर उठा सकते हो. आप जैसे ही वहां की सरकार के खिलाफ पोस्टर उठाओगे वो आपको उठा देंगे. प्रोफेसर मकरंद परांजपे जैसे सच बोलने वाले और देशद्रोहियों को चुनौती देने वाले शिक्षकों को सलाम. जयहिंद !!

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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