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होली आयी रे कन्हाई…रंगोली होली के सदाबहार फ़िल्मी गीतों की

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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होली आयी रे कन्हाई…रंगोली होली के सदाबहार फ़िल्मी गीतों की

देख मेरी चुनरी सखी धानी हैं
खो ना कहीं देना
ये प्यार की निशानी हैं
मैं हूँ तेरे संग बलम तु है मेरे संग
रंग डालो रंग डालो रंग
खेलो रंग हमारे संग
आज दिन रंग रंगीला आया
आज कोई राजा न आज कोई रानी है
प्यार भरे जीवन की एक ही कहानी है
आई खुशी साथ लिए दिल के नए ढंग
रंग डालो रंग डालो रंग…
खेलो रंग हमारे संग
आज दिन रंग रंगीला आया…

होली के सबसे पुराने फ़िल्मी गीतों में सन 1952 में बनी एक बेहद यादगार फिल्म ‘आन’ का ये गीत याद आता है. फिल्म में दिलीप कुमार और निम्मी होली खेलते और मस्ती में झूमते हुए नजर आते हैं. सिनेमा हॉल के रुपहले परदे पर जब ये गीत दिखाया सुनाया जाता था तो गीत-संगीत की कोई जानकारी न रखने वाले लोग भी सिर से लेकर पैर तक झूम उठते थे और समूचे तन मन को रोमांचित कर देने वाले इस गीत-संगीत को आजीवन कभी भूल नहीं पाते थे. अब तो अधिकतर वो पुराने सिनेमा हॉल ही बंद हो चुके हैं, जहाँ पर इस तरह की यादगार फिल्में दिखाई जातीं थीं. आज के युग के आईपी मॉल में नई फिल्मे प्रदर्शित होती हैं, जो देखने के बाद जल्द ही सिनेमा हॉल की तरह लोंगो के जेहन से भी उतर जाती हैं.

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छुटे ना रंग ऐसी रंग दे चुनरिया, जी
रंग दे चुनरिया
धोबनिया धोये चाहे सारी उमरिया
मोहे भाये ना हरजाई, मोहे भाये ना
मोहे भाये ना हरजाई
रंग हलके सुना दे ज़रा बांसरी
होली आयी रे कन्हाई
रंग छलके सुना दे ज़रा बांसरी…

सन 1958 में आई फ़िल्म ‘मदर इंडिया’ का ये होली गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना उस समय था. हर वर्ष होली पर ये फ़िल्मी गीत रेडियों और टीवी पर सुनने-देखने को जरूर मिल जाता है. बचपन में होली खेलने से डर लगता था, किन्तु रेडियो पर इस गीत के बजने का इन्तजार रहता था. मेरी माता जी कहती थीं- “आज होली है और रेडियो पर होली गीत कोई सुन नहीं रहा.. सब खेलने में मगन हैं.. कोई रेडियो तो खोलो..” लकड़ी का बड़े बॉक्स वाला रेडियों भी ऐसा कि जो बजता तो बहुत अच्छा था. उसकी बड़ी ही सुरीली और मधुर आवाज होती थी, लेकिन रेडियों पर जरा भी इधर उधर हाथ लगा नहीं कि बिजली के तेज झटके भी दे देता था.

हो …धरती है लाल,
आज अंबर है लाल …
उड़ने दे गोरी गालों का गुलाल
मत लाज का आज घूँघट निकाल
दे दिल की धड़कन पे धिनक-धिनक ताल
अरे झाँझ बजे चंग बजे संग में मृदंग बजे
अंग में उमंग खुशियाली रे,
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे
अररर अरे जा रे हट नटखट ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो ना तुम भोली भाली रे…

साल 1959 में वी शांताराम की एक फिल्म आई थी- ‘नवरंग’, ये प्रसिद्द होली गीत उसी फिल्म का है. इस फ़िल्म में महिपाल और संध्या ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस गीत की सबसे बड़ी खासियत अभिनेत्री संध्या का स्त्री और पुरुष की दोहरी भूमिका में यादगार नृत्य करना था. आज भी ये गीत होली के अवसर पर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले ‘रंगोली’ कार्यक्रम की शोभा जरूर बनता है.

आज नगरी में रंग है बहार है
गली गली में तो रस की फुहार है
गली गली में तो रस की फुहार है
पिचकरियों में रंग भरा प्यार है
पिचकरियों में रंग भरा प्यार है
इस रंग में जीवन रंग लो
हो तन रंग लो मन रंग लो
रंग लो जी अजी मन रंग लो तन रंग लो
खेलो खेलो उमंग भरे रंग प्यार के ले लो
तन रंग लो जी अजी मन रंग लो तन रंग लो…

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सन1960 में आई फ़िल्म ‘कोहिनूर’ का ये सदाबहार होली गीत है, जो अभिनेत्री मीना कुमारी पर बहुत खूबसूरत ढंग से फिल्माया गया था. दिलीप कुमार ने ‘कोहिनूर’ फिल्म में लीक से अलग हटकर अपनी मस्त और शोखी भरी अदाओं से दर्शकों को खूब हंसाया था. दरअसल हुआए था कि भारतीय सिनेमा के ‘देवदास’ और ‘ट्रेजडी किंग’ कहे जाने वाले दिलीप कुमार गंभीर रोल करते करते गहरे अवसाद में डूब गए थे, इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि वे ट्रेजडी से भरी गमगीन फिल्में करना बंद कर दें.

बाजत ढोलक, झांज, मंजीरा
गावत सब मिल आज कबीरा
नाचत दे- दे ताल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल
ग्वाल बाल संग रास रचाए
नटखट नन्द-गोपाल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल…

साल 1963 में आई फिल्म गोदान का ये होली गीत बहुत ही मधुर और कर्णप्रिय है. बचपन में होली के दिन जब सुबह आँख खुलती थी तो रेडियो पर ये गीत अक्सर बजता हुआ सुनाई देता था. इससे भलीभांति ये एहसास हो जाता था कि आज होली है. इस गीत को मोहम्मद रफ़ी साहब ने इतने जोश से और दिल लगाकर गाया है कि ऐसा लगता है कि मानों वो कृष्ण और गोपियों द्वारा खेली जा रही व्रज की होली का आँखों देखा हाल सुना रहे हों.

रहने दो ये बहाना
क्या करेगा ज़माना
तुम हो कितनी भोली
खेलेंगे हम होली
आज न छोड़ेंगे बस हमजोली
खेलेंगे हम होली
चाहे भीगे तेरी चुनरिया
चाहे भीगे रे चोली
खेलेंगे हम होली
होली है…

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साल 1970 में राजेश खन्ना और आशा पारेख की फ़िल्म ‘कटी पतंग’ आई थी, जिसमे ये सदाबहार होली गीत बहुत सुन्दर और प्रेरक ढंग से फिल्माया गया था. फिल्म की अभिनेत्री आशा पारेख ने एक विधवा ओरत (माधवी) का रोल अदा किया था, जो सामाजिक कुप्रथाओं के चलते होली नहीं खेलती है, लेकिन फिल्म के हीरो राजेश खन्ना (कमल) होली पर माधवी को न छोड़ने का ऐलान करते हुए गाते हैं..आज न छोड़ेंगे हमजोली.. और उसे होली खेलने पर मजबूर कर देते हैं.

देखो जिस ओर, मच रहा शोर
गली में अबीर उड़े, हवा में गुलाल
कहीं कोई हाय, तन को चुराय
चली जाए देती गारी, पोंछे जाए गाल
करे कोई जोरा जोरी
फागुन आयो रे
पिया संग खेलूं होरी
फागुन आयो रे
चुनरिया भिगो ले गोरी
फागुन आयो रे…

साल 1973 में आई वहीदा रहमान और धर्मेन्द्र की फ़िल्म ‘फ़ागुन’ का गाना ‘फ़ागुन आयो रे’ भी एक प्रसिद्द होली गीत है. फिल्म का नायक अपनी पत्नी की नई साड़ी पर रंग डाल देता है, इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा होता है और नायक घर छोड़ के चला जाता है. वो मेहनत मजदूरी करके रूपये कमाता है और एक नई साड़ी लेकर ही घर लौटता है. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कामयाब नहीं हो सकी, लेकिन धर्मेन्द्र और वहीदा रहमान अभिनीत इस फ़िल्म का यह होली गीत आज भी बेहद लोकप्रिय है.

गोरी तेरे रंग जैसा, थोड़ा सा मैं रंग बना लूँ
आ तेरे गुलाबी गालों से, थोड़ा सा गुलाल चुरा लूँ
जा रे जा दीवाने तू, होली के बहाने तू, छेड़ ना मुझे बेसरम
पूछ ले ज़माने से, ऐसे ही बहाने से, लिए और दिए दिल जाते हैं
होली के दिन दिल खिल जाते हैं
रंगों में रंग मिल जाते हैं
गिले शिक़वे भूल के दोस्तों
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं…

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वर्ष1975 में आई फ़िल्म ‘शोले’ का ये होली गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है. फिल्म में दिखाया गया है कि रामगढ़ पर खूंखार डकैतों के हमले से अनजान गांव वाले होली पर्व पर झूमते नाचते और गाते नज़र आते हैं. इस गीत में धर्मेन्द्र और हेमामालिनी की प्यार भरी नोंकझोंक और छेड़छाड़ देखती ही बनती है. ‘शोले’ फिल्म हिन्दुस्तान की सार्वकालिक बेहतरीन फ़िल्मों में शुमार की जाती है तथा इसने बहुत सी आने वाली फिल्मों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत का काम किया.

सोने की थारी में जोना परोसा
सोने की थारी में जोना परोसा
अरे सोने की थाली में
हाँ सोने की थारी में जोना परोसा
अरे खाए गोरी का यार
बलम तरसे रंग बरसे
होली है…
ओ रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे
ओ रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे…

साल 1981 में आई फ़िल्म ‘सिलसिला’ का ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ होली पर गाये और बजाये जाने वाले गानों में विशेष स्थान रखता है. अमिताभ बच्चन के द्वारा गाया गया ये होली गीत उस समय बहुत हिट हुआ था और आज भी होली पर मौज मस्ती के लिए बहुत चाव से सूना व गाया जाता है. ‘सिलसिला’ फ़िल्म को अमिताभ बच्चन, जया बच्चन तथा रेखा की निजी ज़िंदगी से मेल खाने वाली कहानी के रूप में भी प्रचारित किया गया था. सच जो भी हो, इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन व रेखा को काफी प्रसिद्धि दिलाई.

आज कोई उनको भी भेज दे संदेश रे
राह तके दुल्हनिया जाने को परदेस रे
आई-आई रे याद आई
के आई होली आई रे
चुनरी पे रंग सोहे…
प्यार से गले मिलो भेद-भाव छोड़ दो
लोक-लाज की दीवार आज सनम तोड़ दो
रहे दामन न कोई खाली
के आई होली आई रे
मल दे गुलाल मोहे…

सन 1982 में आई राकेश रोशन की फ़िल्म ‘कामचोर’ का होली गीत ‘रंग दे गुलाल मोहे’ भी बहुत लोकप्रिय है. इस फिल्म में हर एक जीवन में आने जाने वाले मिलन और जुदाई के रंग को बहुत खूबसूरती से फिल्माया गया है. यह फिल्म राकेश रोशन और जयाप्रदा के बहुत अच्छे अभिनय के लिए भी याद की जाती है.
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हमारा कौन दुनिया में, यहाँ जो है पराया है
हमारा कौन दुनिया में, यहाँ जो है पराया है
मगर अपना लगा कोई, ये ऐसा कौन आया है
इतना क्या मजबूर है
दिल क्यों गम से चूर है
तु ही सबसे दूर है
दिलों के पास बहुत ले आई
देखो होली आई रे
ओ होली आई, होली आई, देखो होली आई रे
आ हा हा हा होली आई रे, देखो होली आई रे…

साल 1984 में आई फ़िल्म ‘मशाल’ के होली गीत गाने ‘होली आई, होली आई’ की चर्चा भी जरूर होनी चाहिए. ये होली गीत युवाओं में आज भी बेहद लोकप्रिय है. इस गाने में मुंबई की गलियों में खेली जाने वाली मौज मस्ती भरी होली को बख़ूबी दिखाया गया है, जिसे अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री पर फ़िल्माया गया है.

कैसी खींचा तानी, भीगी चुनरी, भीगी चोली
होली का है नाम, अरे ये तो है आँख मिचोली
आज बना हर लड़का कान्हां, आज बनी हर लड़की राधा
तू राधा मैं कान्हां, ना ना ना ना (क्या)
बिजली और बादल, तुम दोनों हो पागल
है खूब ये जोड़ी, बस देर है थोड़ी
तुम जीवन साथी, हम सब बाराती
रंगों की डोली, ले आई होली
भर लो पिचकारी, कर लो तैयारी
एक निशाना बांध के तुम, नैनों के तीर चलाना
अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना
गालों से ये गाल लगा के, नैनों से ये नैन मिला के
होली आज मनाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना
अंग से अंग लगाना…

साल 1993 में आई फिल्म ‘डर’ का एक गाना, ‘अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना’ होली गीत के रूप में आज भी बहुत प्रसिद्द है. हालाँकि फिल्म ‘डर’ को आज भी लोग शाहरुख के नकारात्मक रोल के लिए ज्यादा याद करते हैं, लेकिन हर वर्ष होली आते ही इस फिल्म के होली गीत का बजना और उसकी मधुर धुन पर लोगों का थिरकना एक आम बात हो गई है.

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तनिक शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया
तनिक शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया
हो साठ बरस में इश्क लड़ाए
साठ बरस में इश्क लड़ाए
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया
चुनरी पे डारे अबीरा अवध में
होरी खेरे रघुवीरा
अरे चुनरी पे डारे अबीरा अवध में
होरी खेरे रघुवीरा
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई
भाई महलन में भीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा होली है..
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा….

साल 2003 में आई फ़िल्म ‘बाग़बान’ में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी पर फ़िल्माया गया गाना ‘होली खेले रघुवीरा’ भी होली के गानों में अपना एक विशेष स्थान रखता है. कहीं पढ़ा था कि इस गीत की शूटिंग के समय अमिताभ बच्चन ने गीत को वास्तविक और प्रभावी रंग देने के लिए पहले ख़ुद को होली के विभिन्न रंगों में रंगकर रंग से सराबोर किया और फिर उन्होंने इस मस्ती भरे गीत को हेमा मालिनी के साथ बिना किसी रीटेक के ओके कर दिया.

रंगो के त्योहार में सभी रंगो की हो भरमार,
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार,
बस यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार,
नाचो, गाओ, रंग लगाकर खुशियाँ मनाओ,
मिठाई, गुझिया व नमकीन भी खूब खाओ,
न दारू, न जुआ, न जबरदस्ती रंग लगाओ.
केमिकल रंग से बचें और पानी खूब बचायें,
मेरी और से होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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(गीत-संकलन, आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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