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बच्चे को जबरी किस कर प्यार बांट रहे या रोग?- जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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मेरे घर पर जब भी कोई मेहमान आते हैं या फिर विदा होते हैं, सबसे ज्यादा परेशान मेरी चार साल की बच्ची हो जाती है. किसी महिला या पुरुष ने उसके गाल पर किस किया नहीं कि रोते हुए आकर मुझसे लिपट जाती है. शांतिप्रिय स्वभाव का होते हुए भी उनकी इस अक्षम्य हरकत पर मुझे गुस्सा आ ही जाता है. मैं अपने सारे मेहमानों, परिचितों और आश्रम से जुड़े लोंगो को मना भी करता हूँ कि बच्ची को किस न करें. बहुत से अनपढ़, गंवार से लेकर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोंगो के ऊपर भी प्यार जताने का ऐसा भूत सवार रहता है कि बच्चे को जबरदस्ती किस करते हैं, भले ही बच्चा उस किस को स्वीकार न करे और जबरदस्ती कई बार ऐसा करने पर चाहे वो रोने ही क्यों न लगे या बुरी तरह से चिड़चिड़ा ही क्यों न हो जाये. कुछ लोंगो की जबरी वाली किस को देखकर तो ऐसा लगता है कि वो किसी बड़े को इसी तरह की किस करने की ख्वाईस लिए अपने नाकामी की खीझ बच्चे पर उतार रहे हैं. जब कोई मेहमान घर आता है या फिर विदा होता है, उस समय तो उससे कुछ कहना या फिर उसे रोकना टोकना ठीक नहीं लगता है. हर मेजबान की यह मज़बूरी होती है. किन्तु मेहमान को भी तो यह सोचना चाहिए कि वो कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं. वो बच्चे से प्यार जताने के लिए उसके गाल पर या उसके होठों पर किस करते हैं. किन्तु अक्सर उनकी यही गन्दी हरकत बच्चे को बीमार कर देती है.
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मेडिकल साइंस के अनुसार बच्चे को उसके गालों या होठों पर किस करने से उसे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, क्योंकि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम विकसित होती है. बच्चे को किस करते समय बड़ों के मुख्य से निकला स्लाइवा बहुत सी बीमारिया लेकर बच्चे के शरीर में प्रवेश कर जाता है. किस यानि चुम्बन के माध्यम से ईबीवी नामक एक खतरनाक वायरस यदि बच्चे के शरीर में प्रवेश कर गया तो बच्चे को रोगी बनाते हुए जिंदगी भर उसके शरीर में बना रहेगा. किस के संक्रमण से बच्चे को बुखार, टीबी, चर्मरोग और अन्य बहुत सी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. अभी कुछ दिनों पहले दो महिलायें अपने दो तीन साल के छोटे बच्चों को लेकर मेरे पास आश्रम में आईं थीं, जिनमे से एक बच्चे को टीबी और दुसरे को चर्मरोग हो गया था. दोनों ही बच्चे उनके ऐसे परिचितों और रिश्तेदारों के द्वारा खिलाए और चूमे गए थे, जो इन रोगों से ग्रस्त थे. ये ठीक है कि बच्चों को हर कोई खिलाना चाहता है, उन्हें छूकर और किस कर बड़े लोग तृप्ति और सुख का अनुभव करते हैं और अधिकतर बच्चे भी अपने माता, पिता, बहनों, भाईयों, अन्य नज़दीकी परिचितों और रिश्तेदारों को छूकर और चूमकर खूब खुश होते हैं और एक सुरक्षा की भावना भी महसूस करते हैं, किन्तु बड़ों को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को किस देते समय वो पूर्णतः स्वस्थ हों और बच्चे के माता पिता या बच्चे की मर्जी के बिना जबरदस्ती किस ना करें.
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रोगग्रस्त अवस्था में किस करके आप बच्चे को प्यार की जगह रोग बांट रहे हैं, जो बच्चे को जीवन भर के लिए रोगी या अपंग बना सकता है. छोटे बच्चे मासूम होते हैं, उनके साथ कई बार प्यार के नाम पर बहुत अक्षम्य ज्यादती भी होती है. एक बार मेरे एक परिचित अपने दो छोटे बच्चों के साथ आये हुए थे. उनकी सबसे गन्दी आदत यही थी कि वो दाढ़ी बढ़ जाने पर खुरदुरी दाढ़ी से अपने और दूसरों के बच्चों का गाल तबतक रगड़ते थे, जबतक कि वो रोने न लगे. उनकी ये रोज की हरकत देखते देखते जब मुझसे रहा न गया तो परिचय और पुराने संबंध को दरकिनार करते हुए उन्हें ऐसी कड़ी फटकार लगाईं कि वो कई साल तक मेरे घर नहीं आये. कुछ समय पहले एक महिला अपने आठ साल के बेटे को लेकर मेरे पास आई थी. उसका रोना ये था कि बच्चा पढता नहीं है, दिनभर गुमसुम रहता है, किसी से बोलता नहीं है. मैंने बच्चे से प्यार से पूछा तो बच्चे ने बताया कि उसका चाचा जब भी गाँव से आता है, उसे जबरदस्ती रात को अपने साथ सुलाता है और उसका शारीरिक शोषण करता है. ये बात बच्चे ने अपने माँ बाप को रोते हुए बताई थी, पर वो लोग रिश्तेदारी निभाने के नाम पर उलटे उसे ही मारे और बच्चे पर झूठ बोलने का आरोप मढ़ दिए. बच्चे की माँ को मैंने डांटा कि ऐसी रिश्तेदारी और चाचा को भाड़ में झोंको और अपने बच्चे का जीवन बर्बाद होने से बचाओ.
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इसमें कोई संदेह नहिं कि चुम्बन प्यार की कोमल भावनाओं को प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम है और ये मनुष्यों में कई ऐसे हार्मोन का रिसाव भी करता है, जो उन्हें रोमांच और आनंद की गहरी अनुभूति प्रदान करते हैं. चुम्बन का प्रयोग सिर्फ पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिका के बीच ही नहीं होता, बल्कि यह तो किसी भी रिश्ते में प्यार को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है. बहुत से लोग ये नहीं जानते होंगे कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में हर वर्ष 28 अप्रैल को ‘किस डे’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन चुम्बन समारोहों का आयोजन होता है, जिसमे भाग लेने वाले प्रेमी युगल और परिजन एक-दूसरे को सार्वजनिक रूप से चूमकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं. इतना ही नहीं ‘किस डे’ के मौके पर कई जगह तो चुम्बन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है. ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में सदियों से खुलेपन वाली पश्चिमी संस्कृति का बोलबाला है, इसलिए ये कोई आश्चर्य की बात नहीं, किन्तु भारत जैसे सनातन सभ्यतावाले आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और संस्कारित देश में इन दिनों इन सब विदेशी चीजों की जो नक़ल हो रही है, वो भारतीय संस्कृति और परिवेश के अनुसार ठीक नहीं है और यह भी ध्यान देने वाली बात है कि विदेशों में लोग एक दूसरे को किस करते समय अपने और दूसरों के स्वस्थ और अस्वस्थ होने का पूरा ध्यान रखते हैं.

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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