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पीएम नरेंद्र मोदी का ‘मोदी युग’ और नास्‍त्रदेमस- जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
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पीएम नरेंद्र मोदी का ‘मोदी युग’ और नास्‍त्रदेमस- जंक्शन फोरम
कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजिजू ने फेसबुक पर एक दिलचस्प पोस्ट प्रकाशित की थी, जिसमे उन्होंने पीएम मोदी की तरफ संकेत करते हुए लिखा था कि नास्‍त्रदेमस की भविष्‍यवाणी के अनुसार 2014 से 2026 तक एक ऐसा आदमी भारत का नेतृत्‍व करेगा, जिससे लोग पहले नफरत फिर प्यार करेंगे. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि पीएम मोदी का दौर भारत में 2014 से लेकर 2026 तक जारी रहेगा. पीएम मोदी की तस्वीर के नीचे उन्होंने लिखा था कि अब से 450 वर्ष पहले विश्व प्रसिद्ध फ्रांसिसी भविष्यद्रष्टा नोस्त्रदामस ने भारत में ‘मोदी युग’ आने की घोषणा कर दी थी. किरण रिजिजू ने पीएम मोदी से जुडी नास्‍त्रेदमस की भविष्‍यवाणी का जिक्र करते हुए लिखा था- ‘2014 से 2026 तक एक आदमी भारत का नेतृत्‍व करेगा. शुरुआती दौर में लोग उस शख्‍स से नफरत करेंगे, लेकिन बाद में वे उससे प्‍यार करने लगेंगे. यह शख्‍स देश को एक नई दिशा प्रदान करेगा और पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव छोड़ेगा.’ यह बेहद रोचक पोस्ट अब उनके फेसबुक पेज से गायब है. पता नहीं क्यों उन्होंने इसे अब अपने फेसबुक की टाइम लाइन से हाईड कर दिया है या फिर डिलीट कर दिया है. यह कोई पहली बार नहीं है, जब नास्‍त्रेदमस की भविष्‍यवाणी को मोदी से जोड़कर देखा जा रहा है.
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सन् 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी नास्‍त्रेदमस की कुछ भविष्यवाणियों को लेकर काफी चर्चा हुई थी, जिन्हे मोदी से जोड़कर देखा जा रहा था. हो सकता है कि वोटरों पर इसका कुछ असर भी पड़ा हो. यह कटु सत्य है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए दुनिया के कई नेताओं ने नास्‍त्रेदमस की पहेलीनुमा अबूझ भविष्यवाणियों का भरपूर उपयोग किया है. मोदी से संबंधित कही जाने वाली नास्‍त्रेदमस की कुछ भविष्यवाणियों पर एक निष्पक्ष चर्चा करने से पहले पाठकों को यह जरूर बताना चाहूंगा कि नास्‍त्रेदमस कोई पेशेवर ज्योतिषी या तांत्रिक नहीं थे. वो विज्ञान विषय से पढ़े थे और पेशे से चिकित्सक और शिक्षक थे. भविष्य जानने की दिलचस्पी और उत्सुक्ता उन्हें ज्योतिष और तंत्र के क्षेत्र में ले गई. उन्होंने ग्रह नक्षत्रों की गति का गूढ़ अध्ययन करने से लेकर क्रिस्टल बॉल पर लम्बे समय तक त्राटक साधना भी की. नास्‍त्रेदमस ईसाई होते हुए भी हिन्दू दर्शन से बेहद प्रभावित थे. हिन्दुओं की तरह उन्हें भी इस बात का पूरा यकीन था कि भविष्य में जो कुछ भी घटना है, वो पूर्व निश्चित है और कठिन साधना के द्वारा भविष्य में घटने वाली घटनाओं को काफी समय पूर्व ही देखा जा सकता है.

नास्त्रेदमस ने अपनी साधना के बल पर आज से लगभग 450 वर्ष पूर्व दुनिया का भविष्य देखा और सन 1555 में उसे एक किताब ‘द प्रोफेसीज’ के रूप में प्रस्तुत किया. फ्रेंच भाषा में लिखित यह पुस्तक पहेलीनुमा कविता के रूप में थी. बिना तारीख का जिक्र किये अबूझ काव्य शैली में की गई नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को समझना तब भी उतना ही कठिन था, जितना कि आज है. अपनी अपनी अक्ल, महत्वाकांक्षा और सुविधा के अनुसार प्रकाशकों, व्याख्याकारों, दुनियाभर के नेताओं और पाठकों ने उसके अर्थ निकाले. उस समय इस पुस्तक के प्रकाशकों द्वारा यह प्रचारित किया गया था कि महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने आने वाले पांच सौ सालों तक की यानि सन 2055 तक की भविष्यवाणी इस पुस्तक में कर दी है. नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के आधार पर सन 2055 तक दुनिया के ख़त्म हो जाने की बात भी की गई. दुनियाभर के असफल व्यक्ति, प्यार में धोखा खाये लोग, ऋण लेकर घी पीने वाले लोग यानि दूसरों के धन पर अय्यासी करने वाले लोग और आर्थिक रूप से दिवलोिया हो चुके जैसे लोग नास्त्रेदमस के प्रशंसक उनके समय में भी थे और आज भी हैं, जिन्हे इन्तजार है, दुनिया के ख़त्म होने का. बड़ी सरलता से ऋणमुक्त होने का और संसार की सब मुसीबतों से छुटकारा पाने का.

जो चीज बनती है, वो एक दिन बिगड़ती भी है. ये कुदरत का नियम है, इसलिए दुनिया जरूर ख़त्म होगी, लेकिन फिलहाल अभी कई सदियों तक तो नहीं, क्योंकि ये अभी अपने चरम शिखर पर नहीं पहुंची है. ये मेरा अपना निजी विचार है. हाँ, नास्‍त्रेदमस की इस बात से जरूर सहमत हूँ कि आने वाले 39 वर्षों में यानि 2055 तक दुनिया के कई देशों में बहुत भीषण युद्ध यानि तृतीय विश्वयुद्ध, कई देशों में गृहयुद्ध, महामारी, बिमारी, सूखा, बाढ़, ज्वालामुखी फटने और तरह तरह की अकल्पनीय प्राकृतिक आपदाओं से जन धन की बहुत भारी तबाही देखने को मिलेगी. दुनिया के कई देशों में आने वाले अनेक भयावह भूकंप भी भारी तबाही मचाएंगे. नास्त्रेदमस के अनुसार अमेरिका, इंगलैंड, जर्मनी और फ़्रांस को युद्ध, आतंकवाद, आर्थिक मंदी और प्राकृतिक आपदाओं से बहुत ज्यादा क्षति उठानी पड़ेगी. इन देशों में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी का भयावह दौर शुरू होगा, जो लम्बे समय तक चलेगा. बहुत सी विपत्तियाँ झेलने के बाद दुनिया के अच्छे भविष्य की बात भी नास्त्रेदमस ने की है. उनके अनुसार दुनिया धीरे धीरे छोटी होती चली जाएगी और एक महासंघ यानि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का रूप धारण कर लेगी. वैज्ञानिकों को बड़ी बीमारियों के इलाज में बहुत बड़ी सफलता मिलेगी.

अब नास्‍त्रेदमस की उस भविष्यवाणी जिक्र करूंगा, जिसकी इन दिनों बहुत चर्चा है और जो पीएम मोदी से जोड़कर देखी जा रही है. इस बात में कोई संदेह नहीं कि आज से लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व नास्‍त्रेदमस ने अपनी दिव्य दृष्टि से इक्कीसवी सदी की युद्ध, आतंकवाद, आर्थिक मंदी, तरह तरह की बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से जूझती जो दुनिया देखी, उसमे निष्काम भाव से जगत में सर्वत्र शांतिपूर्ण माहौल बनाने का प्रयास करने वाला और पूरे संसार को ही अपना परिवार मान सबके सुखद भविष्य की कामना करने वाला एक ही देश उन्हें दिखाई दिया और वो है, ‘हिन्दुस्तान’. यहीं से इक्कीसवीं सदी में एक महान विश्व नेता के उभरने की बात उन्होंने अपनी पुस्तक के सेंचुरी 1, सूत्र 50वां में कही है-
Of the aquatic triplicity there will be born
one who will make of Thursday his holiday:
his fame, praise, rule and power will grow,
by land and sea a tempest to the East

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इसमें नास्‍त्रेदमस ने लिखा था, ”तीन ओर समुद्र से घिरे क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा. उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा. पूर्व के देशों में उसकी तेज आंधी यानि लहर चलेगी.’ नास्त्रेदमस ने आगे के सूत्रों में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह देश एशिया में है और जिसका नाम सागरों के नाम पर आधारित है अर्थात हिन्द महासागर के नाम पर ‘हिन्दुस्तान.’ नास्‍त्रेदमस के ग्रंथ ‘द प्रोफेसीज’ का गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि 2025 तक यह व्‍यक्ति भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की कायापलट कर देगा. नास्‍त्रेदमस ने इक्कीसवीं सदी में एंटीक्रिस्ट यानि ईसाई विरोधियों का जन्म होने और उनसे भीषण युद्ध यानि तृतीय विश्व युद्ध होने की बात कही है. दुनियाभर में आतंक फैलाने वाला आईएसआईएस ईसाई विरोधी तो है ही, उससे ज्यादा ईसाई विरोधी परमाणु और हाइड्रोजन बमों से लैस उत्तरी कोरिया है, जहाँ पर बाइबिल पढ़ने भर की सजा मौत है. तृतीय विश्व युद्ध होना तो इन्ही से है, इसमें कोई संदेह नहीं. रही बात पीएम मोदी की तो इक्कीसवीं सदी में भारत में एक महान विश्व नेता के उदय का संकेत फिलहाल तो स्पष्ट रूप से उन्ही की तरफ है. जयहिंद !!

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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