Menu
blogid : 15204 postid : 1149746

फतवे पर फतवा जारी, देश की चिंता नहीं- जागरण जंक्शन मंच

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

फतवे पर फतवा जारी, देश की चिंता नहीं- जागरण जंक्शन मंच
‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर उठा विवाद ‘वंदे मातरम’ वाले विवाद की तरह ही थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुस्लिम शिक्षण संस्थान इस विवाद पर फतवे पर फतवा जारी कर रहे हैं. हैदराबाद के बेहद प्रभावशाली इस्लामिक मदरसे जामिया निजामिया ने कुछ दिनों पहले फतवा जारी करते हुए कहा था कि भारत माता की जय कहना इस्‍लामिक मान्‍यताओं के अनुकूल नहीं है. इस्लाम से जुड़ी तालीम के एक और सबसे बड़े केंद्र दारुल उलूम देवबंद ने अभी हाल ही में इसी मुद्दे पर फतवा जारी करते हुए कहा कि कोई भी मुसलमान ‘भारत माता की जय’ न बोले. मुफ्ती-ए-कराम ने कहा कि हम मुल्क की पूजा नहीं कर सकते. हम सिर्फ खुदा की इबादत करेंगे. इस तरह के फतवा जारी करने वाले और भी कई छोटे बड़े मुल्ला मौलवी और मुस्लिम नेता हैं, जो स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि हम लोग जिस तरह वंदे मातरम नहीं बोल सकते उसी तरह से भारत माता की जय भी नहीं बोल सकते.
images89898
हालाँकि ये एक पुराना मुद्दा है, लेकिन पिछले महीने यह विवाद फिर से तब उठ खड़ा हुआ जब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में ‘भारत माता की जय’ बोलना भी अब सिखाना पडेगा. ऐसा नहीं बोलने वालों की संख्या ज्यादा है और ये संख्या बढ़ती ही जा रही है. हालाँकि ये बात उन्होंने जेएनयू में बढ़ते देशद्रोही माहौल पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कही थी और बाद में स्पष्ट भी किया था कि हमें ‘भारत माता की जय’ बोलने वाले संस्कार, अपनी सनातन जीवन पद्धति और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ वाले शाश्वत व विश्व कल्याणकारी विचार किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है. हमें अपने देशवासियों ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्र्व के प्रति ऐसी आत्मीयता और सेवा भाव लानी होगी कि लोग स्वयं ‘भारत माता की जय’ कह उठें.

आज दुनिया दुखी, भयभीत और अशांत है, ऐसे में भारतीय संस्कृति व दर्शन से ही विश्र्व को सुख-शान्ति का सही रास्ता मिलेगा. मोहन भागवत जी ने करोड़ों देशवासियों के दिल की बात कह दी, लेकिन इसे एक साम्प्रदायिक विवाद की शक्ल दे इस मामले को आगे बढ़ाने वाले मुस्लिम नेता व एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी थे, जिन्होंने अपने सियासी फायदे के लिए यह कहकर इस मुद्दे को गरमा दिया था कि चाहे मेरे गले पर चाकू रख दो, मैं ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलूंगा. असदुद्दीन ओवैसी के बस आग में घी डालने भर की देर थी, ये मुद्दा ऐसा गरमाया कि मुल्ला मौलवी और मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं द्वारा फतवे पर फतवे जारी होने शुरू हो गए. उन्होंने फतवा जारी करते हुए पूछा कि इंसान ही इंसान को जन्म दे सकता है तो फिर धरती मां कैसे हो सकती है? मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी की पूजा नहीं कर सकता तो फिर भारत को देवी कैसे माने? ये सवाल बचकाने हैं, लेकिन इनके सही जबाब कुरान और बाइबल में हैं, उनके अनुसार तो धरती यानि मिट्टी से ही आदम को बनाया गया था.

इस दृष्टि से तो धरती हमारी माता ही नहीं, पिता भी है. यह बात भी विचार करने योग्य है कि नमाज अदा करते समय मुस्लिम भाई कई बार धरती पर अपना सिर झुकाते हैं. मेरे विचार से तो ऐसा करने से ईश्वर के साथ साथ धरती की भी वंदना हो जाती है. अपने मुल्क के धरती की जय बोलना धार्मिक दृष्टि से गलत नहीं है. पाकिस्तान जैसे मुस्लिम राष्ट्र में वहां के इस्लामी विद्वान ताहिर उल कादरी कहते हैं कि मादरे वतन की जय बोलना गैर इस्लामिक नहीं है. फतवा जारी करने वाले देश के प्रसिद्द गीतकार और लेखक जावेद अख्तर के ‘भारत माता की जय’ बोलते हुए सांसद में दिए गए भाषण को सुनें. उन्होने कितना सही तर्क दिया था कि संविधान में अगर भारत माता की जय बोलने की बात नहीं लिखी है तो टोपी और शेरवानी पहनने की बात भी नहीं लिखी है, वो क्यों पहनते हो? मुल्ला मौलवी से लेकर बड़े बड़े मुस्लिम नेता तक टीवी देखते ही नहीं हैं, बल्कि टीवी चैनलों पर आकर बहस में भाग भी लेते हैं, जो इस्लाम विरुद्ध है.

यदि धर्म को ही ब्रह्म वाक्य यानि सब कुछ मान के चलेंगे तब तो धरती पर सुख चैन से जीना ही हराम हो जायेगा. इस्लाम में तो संगीत सुनना और फिल्म देखना दोनों ही मना है. क्या देश के करोड़ों मुसलमान इसे छोड़ सकते हैं? कभी नहीं, चाहे कितने भी फतवे मुस्लिम समाज द्वारा क्यों न जारी हो जाएँ. इस्लाम में तो फोटो खिंचवाना भी मना है, लेकिन बिना फोटो खिचवाए तो आज के युग में काम ही नहीं चलेगा. देश में कोई भी सरकारी कार्य हो या राशन कार्ड, आधार या पासपोर्ट बनवाना हो या फिर हज करने जाना तो भी फोटो चाहिए. अधिकतर मुस्लिम भाई हर मामले में शरीयत की दुहाई देंगे, लेकिन कभी भूल से भी शरीयत में वर्णित सजाओं को मुस्लिम समाज पर लागू करने की बात नहीं करेंगे, क्योंकि तब उन्हें भारतीय संविधान ही ठीक और सुविधाजनक लगता है. भाई मेरे भारतीय संविधान को मानने के साथ साथ भारत को भी तो अपनी मातृभूमि मान सम्मान दो, उससे परहेज क्यों? परहेज तो देश विरोधी फतवों से करो. कानूनन भी इस पर जरूर रोक लगनी चाहिए.
imagesoio
‘भारत माता’ शब्द डेढ़ सौ करोड़ भारतियों का प्रतीक है, ठीक वैसे ही जैसे ‘तिरंगा’ डेढ़ सौ करोड़ भारतियों का प्रतीक है. उसे सभी मानते हैं और सम्मान देते हैं, क्योंकि उसे संवैधानिक मान्यता प्राप्त है. आज जरुरत इस बात की है कि ‘भारत माता की जय’, ‘जय भारत’, ‘जयहिंद’, और ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ जैसे नारों को संसद द्वारा कानून बनाकर उसे संवैधानिक मान्यता प्रदान की जाये और सभी नागरिकों को इसे बोलना अनिवार्य किया जाये. विश्वभर में बढ़ते हुए आतंकवाद को देखते हुए उससे निपटने के लिए तथा भारत को एकजुट व अखण्ड बनाए रखने के लिए देशवासियों के मन में देशभक्ति की भावना बढ़ाना जरुरी है. देश धर्म से ऊपर है, यह सन्देश सबको दिया जाए. कुछ दिन पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर के जरिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर तीखा हमला करते हुए बहुत सही सवाल किया था कि क्या मुस्लि‍म पर्सनल लॉ संविधान से भी ऊपर हैं? सही जबाब है- हरगिज नहीं. जो ये बात नहीं मानेंगे, उनकी देशभक्ति पर तो सवाल उठेंगे ही. ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ यानि जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानने वाली भारतीय संस्कृति को हम सबको ह्रदय से अपनाना और मानना चाहिए. जयहिंद!!

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ (आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment