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झूठा विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटीज भुगतेंगे सजा- जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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झूठा विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी भुगतेंगे सजा

‘आठ दिनों में गोरापन’…
‘दो मिनट में नूडल तैयार’…
‘ठंडा मतलब कोका कोला’…
‘अपना लक पहन कर चलो’…
‘आठ दिनों में वज़न कम करें’…
‘इसको लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला’…

इस तह की टैग-लाइंस यानि उपनाम वाली पंक्तियाँ मीडिया पर अक्सर आपने देखी सुनी या पढ़ीं होंगी, जो तरह तरह की चीजों के विज्ञापनों में सेलिब्रिटीज यानि विभिन्न क्षेत्रों के मशहूर व्यक्तियों के मुख से बुलवाई जाती हैं. ये विज्ञापन जब टीवी पर आते हैं तो बच्चे, जवान और बूढ़े सभी लोग बड़े ध्यान से उसको सुनते हैं और देखते हैं. अधिकतर लोग उसपर विश्वास करके वस्तुओं की गुणवत्ता को जांचे-परखे बिना ही महज भ्रामक विज्ञापनों से प्रभावित हो उसे खरीद लेते हैं और बाद में नुकसान का अहसास होने पर खुद को ठगा सा महसूस करते हैं.
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बड़ी बड़ी कम्पनियां किसी मशहूर सेलेब्रिटी को अपने प्रोडक्ट कैम्पेन प्रोजेक्ट के तहत साइन करती है और उसे प्रोडक्ट के प्रॉफिट में से एक से पच्चीस करोड़ रुपये तक देती हैं, जिसे वो विज्ञापन खर्च के रूप में अपनी वस्तु अथवा सेवा के मूल्य में जोड़ लेती हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि वस्तुतः उपभोक्ता ही विज्ञापन में काम करने वाली मशहूर हस्तियों को अपनी जेब से रूपये देता है. सेलेब्रिटी जिस प्रोडक्ट का विज्ञापन करते हैं, उस प्रोडक्ट के लाभ में उनकी भी हिस्सेदारी होती है, इसलिए उसकी गुणवत्ता में भी उनकी जिम्मेदारी बनती है, जिससे वो बच नहीं सकते.

इस सत्य को महसूस करते हुए इसी संदर्भ में गठित संसदीय समिति के सभी सदस्यों की एकमत राय है कि किसी भी वस्तु या सेवा के गुण दोष के लिए मैनूफेक्चरर और प्रमोटर के साथ ही सेलिब्रिटीज को भी जवाबदेह बनाया जाना चाहिए. संसदीय समिति ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में संशोधन करने की सिफारिश करते हुए कहा है कि किसी उत्पाद का पहली बार भ्रामक और झूठा प्रचार करते हुए पाए जाने पर सेलिब्रिटीो को 10 लाख रुपये का जुर्माना और दो साल की जेल अथवा जर्माना और जेल दोनों ही तरह की सजा का प्रावधान हो सकता है.

वहीं दूसरी बार ऐसा करते हुए पाये जाने पर 50 लाख रुपये तक की पेनल्टी और 5 साल की सजा हो सकती है या दोनों भी हो सकते हैं. लेकिन यदि बार-बार ऐसा किया जा रहा है तो तो उत्पाद अथवा सर्विस की बिक्री के आधार पर पेनल्टी लगाई जा सकती है, जो काफी बड़ी रकम होगी. इन सिफारिशों को जल्द ही मंत्रिपरिषद और संसद के सामने रखे जाने की तैयारी हो रही है. कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में संशोधन कर इस तरह का कानून बनाया जाना नितांत जरुरी है, क्योंकि उपभोक्ता अनेक वस्तुओं और सेवाओं के मामले में तन, मन और धन से रोग और ठगी के शिकार हो रहे हैं.

विज्ञापन में भाग लेने वाली मशहूर हस्तियों की सबसे बड़ी गलती यही है कि जिन वस्तुओं और सेवाओं का वो स्वयं उपयोग नहीं करते हैं, उसका उपयोग जनता को करने की सलाह देते हैं और विज्ञापन में उत्पाद से संबंधित झूठे दावे कर गलत जानकारी भी लोंगो को देते हैं. पिछले साल मैगी के मामले में बिहार के मुजफ्फपुर कोर्ट ने अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, प्रिटी जिंटा और नेस्ले कंपनी के अधिकारीयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, जब मैगी में घातक रासायनिक पदार्थ पाये जाने का विवाद उठ खड़ा हुआ था.

उस समय इन सेलिब्रिटीज का कम्पनी से करार था कि अगर कानूनी तौर पर उन्हें इस ऐड से कोई भी दिक्कत होती है तो कम्पनी के लोग उन्हें बचाएंगे. किन्तु अब कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में संशोधन के बाद कोई भी कम्पनी उन्हें सजा से नहीं बचा पायेगी. अब उनके पास एक ही रास्ता बचता है, जो अमिताभ बच्चन ने पिछले साल कहा था, “मैं एक सेलिब्रिटी हूं. इसके चलते मेरा नाम विवादों में घसीटा जाता है. ऐसा न हो, इसलिए मैं खाने-पीने के सामान का ऐड करने से पहले उन्हें खुद देखता और परखता हूं, खास तौर से उन चीजों में जो हमेशा विवाद में रहती हैं.”

जनता भी यही चाहती है. सेलिब्रिटीज जिस चीज का प्रचार करें, उसके स्वयं भी एक उपभोक्ता हों. विज्ञापन में सेलिब्रिटी ही नहीं एक उपभोक्ता भी बोले. भारत में स्वदेशी आन्दोलन चलाने वाले स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी ने अपने एक व्याख्यान में कहा था कि एक महीने हमने अपना टॉयलेट साफ़ नहीं किया. वो बहुत गन्दा हो गया था. इतना गन्दा हो गया था कि आधा आधा इंच तक पीला पीला कचड़ा उस पर जमा हो गया था. बाजार में बिकने वाली ठंडा पेय की दो बोतल लाया और दोनों को मिक्स करके टॉयलेट स्पॉट पर मैंने स्प्रे किया और दो मिनट के बाद पानी से फ्लश किया.
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टॉयलेट झकाझक सफ़ेद हो गया. एकदम वाइट एंड वाइट. एकदम नीट एंड क्लीन. उस दिन से हमने एक नया विज्ञापन करना शुरू किया, ‘ठंडा मतलब टॉयलेट क्लीनर.’ उन्होंने कहा था कि मैंने एक टूटा हुआ दांत एक ठंडे पेय की बोतल में डाल दिया था. पंद्रह दिन में वो पूरा दांत गलकर गायब हो गया था. उन्होंने ठंडे पेय को कैंसर पैदा करने वाला और खून ख़राब करने वाला बताया था. उन्होंने काले को गोरा बनाने का दावा करने वाली एक कम्पनी पर चले मुकदमे भी जिक्र किया था. कम्पनी ने एक क्रीम बना झूठा प्रचार किया था कि इसे लगाने से काला व्यक्ति गोरा हो जाएगा.

जज के सामने कंपनी के वकीलों ने कहा था कि इस क्रीम से कोई काला गोरा हो ही नहीं सकता, क्योंकि इसमें ऐसा कोई केमिकल ही नहीं है जो काले को गोरा बनाये. जो काला है वो काला ही रहेगा. तो फिर जज ने पूछा कि आप लोग ये झूठा विज्ञापन क्यों करते हो? तो उसके वकीलों ने कहा कि भारत सरकार ने हमको इस प्रोडक्ट को बनाने और बेचने का लाइसेंस दिया हुआ है. इस बात में जरा भी संदेह नहीं कि किसी भी वस्तु या सेवा के गुणवत्ता की सम्मिलित जिम्मेदारी लाइसेंस देने वाली सरकार से लेकर उत्पादक, प्रोमोटर और विज्ञापन करने वाली मशहूर हस्तियों तक सभी की है.

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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