Menu
blogid : 15204 postid : 1168317

उत्तराखंड में सत्ता की जंग में कूदने वाले कई मुफ्त हुए बदनाम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मुफ्त हुए बदनाम,
किसी से हाय दिल को लगा के
जीना हुआ इल्जाम
किसी से हाय दिल को लगा के
मुफ्त हुए बदनाम…
गये अरमान लेके, लूटे लूटे आते हैं
लोग जहाँ में कैसे दिल को लगाते हैं
दिल को लगाते हैं, अपना बनाते हैं
हम तो फिरे नादान
मुफ्त हुए बदनाम
किसी से हाय दिल को लगा के…

harish-rawat_650x400_61461247250
उत्तराखंड में सत्तासुख पाने के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच विगत 18 मार्च से जारी राजनीतिक घमासान पर सोचा कुछ लिखा जाये. भाजपा और कांग्रेस के 9 बागियों की आज जो स्थिति है, उसपर मुकेश साहब का गाया हुआ ये मशहूर गीत याद आ गया. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा18 मार्च से पहले की स्थिति को बरकरार रखते हुए हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने 29 अप्रैल को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का भी आदेश दिया है और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है. उस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने धारा 356 का उपयोग सुप्रीम कोर्ट के तय नियमों के खिलाफ किया था. बोम्मई केस में 9 न्यायधीशों की संवैधानिक पीठ ने स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार को मार्गदर्शन दिया हुआ है कि किसी भी राज्य में जब तक संवैधानिक संकट उत्पन्न न हो, तब तक राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जाना चाहिए. संवैधानिक संकट होने का साक्ष्य पाने और बहुमत साबित करने का स्थल विधानसभा है. भाजपा केंद्र में जब तक सत्ता से दूर विपक्ष में रही है, इस बात की पुरजोर हिमायती रही है.

अब केंद्र की सत्ता में आते ही भाजपा की विचारधारा क्यों बदल गई है? अपने राजनीतिक फायदे के लिए विरोधी दलों की सरकारों को बर्खास्त करने का जो निंदनीय कार्य अपने शासनकाल में कांग्रेस करती रही, अब वही कार्य भाजपा कर रही है. राज्य में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के अन्यायपूर्ण फैसले पर सख़्त टिप्पणी करते हुए उससे पूछा था, ‘यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा. क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’ हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के राष्ट्रपति शासन लगाने के फ़ैसले पर बहुत बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘भारत में संविधान से ऊपर कोई नहीं है. इस देश में संविधान को सर्वोच्च माना गया है. यह कोई राजा का आदेश नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता है. राष्ट्रपति के आदेश को भी संविधान के ज़रिए बदला जा सकता है.’ कई मायनों में कोर्ट की यह टिपण्णी न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि केंद्र सरकार के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन भी है कि वह राष्ट्रपति शासन लगाने के अनुच्छेद- 356 का दुरूपयोग न करे और देश के लोकतांत्रिक संघीय ढाँचे का सम्मान करे.
Nainital-High-Court-Comment-On-Central-government-696x466
नैनीताल हाईकोर्ट ने फिलहाल तो हरीश रावत सरकार को बहाल करते हुए एक बड़ी राहत दे दी है, लेकिन मामला अभी आसानी से सुलझने वाला नहीं है. उत्तराखंड में पैदा हुई राजनीतिक संकट की मूल जड़ मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत करने वाले नौ कांग्रेसी विधायक हैं, जिनकी सदस्यता पर कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है. वहां भी समस्या ये है कि माननीय कोर्ट ने उस विनियोग विधेयक यानि बजट को पारित हुआ मान लिया है, जिसमे बागी विधायकों ने भी हिस्सा लिया था. यदि बागी विधायकों की सदस्य्ता रद्द हुई तो फिर बजट पारित हुआ माना जाएगा या नहीं? हालांकि हाईकोर्ट ने बागी विधायकों के क्रियाकलापों को ‘संवैधानिक पाप’ माना है, लेकिन यदि कोर्ट की एकल पीठ ने बागी विधायकों की सदस्यता बरकरार रखते हुए उन्हें 29 अप्रेल को वोट डालने का अधिकार दे दिया तब तो समस्या और गहरी हो जाएगी. बहरहाल उत्तराखंड में जो सियासी उठापटक चल रही है, उसमे भाजपा कूदकर न सिर्फ एक सिरदर्द मोल ले ली है, बल्कि उसके देशव्यापी वोटरों के बीच एक गलत सन्देश भी गया है कि सही या गलत, किसी भी तरह से सत्ता पाने की जो लोलुपता अब तक कांग्रेस में थी अब वही लोलुपता राजनीतिक सुचिता की बड़ी बड़ी बात करने वाली राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा में भी घर कर गई है. जयहिंद !!

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh