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‘ख्बाब की लहरि में काह भूला’- सत्संग संत पलटू साहिब के साथ

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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देह और गेह परिवार को देखि कै,
माया के जोर में फिरै फूला ।
जानता सदा दिन ऐसे ही जायेंगें,
सुन्दरी संग सुखपाल झूला ॥

संत पलटू साहिब अपने इस भजन में कहते हैं कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। किसी को अपने स्वस्थ व् सुंदर शरीर पर अभिमान है तो किसी को अपने आलिशान मकान पर गर्व है और किसी को अपने परिवार के सदस्यों पर घमंड है कि वो ऊँचे पदों पर हैं। अपने.शरीर, मकान, परिवार, वाहन और धन-दौलत पर आदमी घमंड करते हुए माया के नशे में हमेशा चूर रहता है। वो ये भूल जाता है कि सब दिन एक समान नहीं होते हैं। ख़राब समय पता नहीं कब जीवन में आ जाये। बहुत से लोग अमीरी के समय में सुंदर स्त्रियों का सुख भोगने के लिए दिन रात अपनी दौलत लुटातें हैं। सुंदर स्त्री के संग सुख का झूला झूलते हैं यानि नशा करतें हैं, नाच-गाना देखतें हैं और विभिन्न प्रकार के भोग-विलास करतें हैं। संत पलटू साहिब की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी। वर्तमान समय में हमारे देश के कई बड़े राजनीतिक नेता और कई प्रसिद्ध धार्मिक लोग जेलों में बंद हैं। ये लोग कभी इस संसार में अपने को राजा और यहाँ तक कि स्वयं को भगवान से कम नहीं समझते थे और अपने मन में कई तरह के अहंकार पाले घूमते थे। भ्रष्टाचार और व्यभिचार में लिप्त रहे ये लोग आज समय के हाथों बेबश व् लाचार हैं।
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अपने अच्छे समय में इन्हें आभास भी न था कि एक दिन ऐसा भी बुरा समय आएगा। हर मनुष्य को अपने अच्छे-बुरे कर्मो का फल एक दिन जरुर भोगना पड़ता है, इसीलिए प्रत्येक अच्छा-बुरा कर्म सोच-विचार कर करना चाहिए। देश के नौजवानों को गलत ढंग से पैसा नहीं कमाने और जीवन के अच्छे समय में अपने पद व् प्रतिष्ठा का दुरूपयोग नहीं करने की शपथ लेनी चाहिए। जीवन में कभी भी किसी का तन, मन या धन से शोषण मत करें। रातो-रात अमीर बनने का सपना मत देखें और अपने मेहनत की कमाई कर सुख-शांति से जीवन जियें। सबसे बड़ी बात जो सदैव याद रखने वाली है वो ये कि भगवान का नित्य स्मरण करना चाहिए, पता नहीं कब ये नश्वर शरीर छूट जाये। शरीर तो मिटटी का घड़ा है पता नहीं कब फूट जाये। भगवान को हमेशा याद करते रहेंगे तो जीवन में हर समय उनकी दया मिलती रहेगी। भक्तिमार्ग में स्मरण का अर्थ है अंतिम साँस तक या मरते दम तक भगवान को याद करना और उनका कोई भी नाम जो आपको प्रिय लगे या आपके गुरु जी ने दिया हो उसका निरन्तर जाप करते रहना।

चारि जून खात है बैठि कै खुसी से,
बहुत मुटाई के भया थूला ।
सेज-बंद बांधि के पान को चाभते,
रैन दिन करत है दूध कूला ॥

संत पलटू साहिब कहते हैं कि अमीरी के समय में व्यक्ति घर में व् घर के बाहर विभिन्न प्रकार के अपने मन-पसंद भोजन करता है और चार बार यानि बार-बार वक़्त-बेवक्त अपना मन-पसंद भोजन करता है, जिसके कारण उसका शरीर मोटा और बेडौल हो जाता है। वो महंगे गदेदार बिस्तर पर सोता है। जब इच्छा होती है पान चबा लेता है और रात-दिन वो दूध से कुल्ला करता है यानि अच्छे समय में प्रचुर मात्रा में धन पास में होने पर व्यक्ति फिजूल के खर्च कर अपनी अमीरी का दिखावा करता है। सही या गलत ढंग से दौलत कमाकर जो लोग अमीर हो जाते हैं उनका रहन-सहन बहुत अमीराना व् दिखावटी हो जाता है। उनके यहाँ पार्टी हो या शादी, रुपया जी खोल के खर्च किया जाता है। पलटू साहिब की वाणी आज के समाज पर भी लागू होती है। हमारे समाज में बहुत से अमीर लोग आरामतलबी का जीवन बिता रहे हैं। वो कई तरह की फिजूलखर्ची कर अपने अमीर होने का दिखावा करते हैं। अपने सांसारिक वैभव का दिखावा करके ऐसे लोग ये जाहिर कर देते हैं कि उनके पास आध्यात्म रूपी असली दौलत नहीं है।

आध्यात्म रूपी असली दौलत ही मृत्यु के समय और उसके बाद काम आने वाली हैं। अपनी ख़राब दिनचर्या और ख़राब खान-पान के कारण बहुत से लोग कई तरह के रोगों के शिकार भी हो रहे हैं। आज हमारे देश का सामाजिक ढांचा इतना बिगड़ गया है कि राजा यानि सत्ता का सुख भोग रहे लोगों से लेकर प्रजा यानि आम आदमी तक सभी सही या गलत ढंग से रुपया कमाकर एशो-आराम का जीवन जीना चाहतें हैं। गलत ढंग से यानि घोटाले करके रुपया कमाने और भोग-विलास के के चक्कर में पड़कर कई नेता और धार्मिक गुरु जेलों में बंद हैं। भगवान ने इन्हें इतना दिया था कि दो जून की रोटी ख़ुशी से खाकर सुख-शांति और सम्मान के साथ अपना जीवन बिता सकते थे, लेकिन इन्हें संतोष न था। आज ये जेलों में बंद हो अपने लालच और गलत कर्मों का फल भोग रहें हैं और अपमानित जीवन जी रहे हैं। अत:नौजवानों को इस भजन से प्रेरणा ले जीवन में कभी भी लोभ-लालच में आकर गलत कामों से रूपया कमाने की बात सोचना भी नहीं चाहिए। उन्हें अपनी मेहनत और भगवान पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। इस भजन से यह भी प्रेरणा मिलती है कि शारीरिक रोगों और मानसिक तनाव से बचने के लिए अपनी दिनचर्या और खान-पान को संयमित और अनुशासित रखना चाहिए।
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जानता अमर हूँ मरूँगा अब नहीं,
बाघ की रास जा काल हूला ।
दास पलटू कहै नाम का याद करू,
ख्बाब की लहरि में काह भूला ॥

धन-दौलत के नशे में चूर हो आदमी खूब भोग-विलास करता है और इस भ्रम में जीता है कि वो अब अमर हो गया है और रूपये से वो स्वास्थय, भोग-विलास और दुनिया की हर सुख-सुविधा खरीद सकता है। आदमी ऐसा सोचते हुए ये भूल जाता है कि अपनी सारी दौलत देकर भी मृत्यु से नहीं बच सकता है। मृत्यु को आप रिश्वत देकर उससे नहीं बच सकते हैं और मृत्यु जीवन में किसी भी क्षण आ सकती है और मृत्यु बाघ की तरह किसी भी समय अपना नुकीला पंजा मनुष्य के शरीर में भोंक सकती है। संत पलटू साहिब फरमाते हैं कि हे मनुष्य यदि अपना कल्याण चाहते हो तो भगवान के किसी भी नाम का सुमिरन करना प्रारंभ कर दो। ये तुम्हारी धन-दौलत और ये सुख-सुविधा एक सपने की तरह है और सपने का क्या भरोसा की कब टूट जाये। सुख के दिन स्वप्न की लहरों के समान हैं जो पता नहीं कब टूट-फूट जाये। इस भजन में संत पलटू साहिब भोग-विलास में अपना कीमती जीवन गवां रहे लोगों को चेताते हैं कि समय बदलते देर नहीं लगती है। जीवन में ख़राब समय और मृत्यु दोनों ही कभी भी आ सकतें हैं। अत: भोग-विलास छोड़कर भगवान के किसी भी नाम का जाप करो और उम्र बढ़ने के साथ-साथ दुनिया से अपना लगाव कम करते हुए भगवान से लगाव बढ़ाते जाओ।

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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