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बाबा रामदेव विशुद्ध व्यापारी, बस उनका चोला भर संन्यासी का है

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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सिया ने पूछा,
प्रभु, कलजुग में धरम करम को
क्या कोई नहीं मानेगा ?
तो प्रभु बोले,
धरम भी होगा , करम भी होगा
परन्तु शरम नहीं होगी !
बात बात पर मात पिता को
लड़का आँख दिखाएगा !
हे रामचन्द्र कह गए सिया से
ऐसा कलजुग आएगा !
हंस चुगेगा दाना दुनका
कौव्वा मोती खाएगा !

गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने सन् 1970 में ‘गोपी’ फिल्म के लिए यह गीत लिखा था. यह गीत आज भी कितना प्रासंगिक है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है. देश की जनता ये सब जानती है. योग गुरु बाबा रामदेव बुधवार को लालू यादव से दिल्ली स्थित उनके घर पर मिले. लालू ने मीडिया के सामने बाबा रामदेव के सिखाये योग को करके दिखाया, फिर बाबा रामदेव और उनके प्रोडक्ट की जमकर तारीफ की. बाबा रामदेव ने कहा कि लालू अब पतंजलि प्रोडक्ट के ब्रान्ड एम्बेसडर बनेंगे. लालू ने रामदेव को योग का महाराज करार देते हुए उनके प्रोडक्ट को बहुत अच्छा बताया. दोनों ने एक दूसरे की इतनी तारीफ़ की कि टीवी पर उनका भरत-मिलाप देखने वाली देश की जनता भी चौंक गई. जनता का चौंकना लाजमी भी था, क्योंकि अब तक तो दोनों ही एक दूसरे के घोर विरोधी रहे हैं. आपको याद होगा कि बिहार में चुनाव के समय लालू ने जब कहा था कि हिंदू भी गोमांस खाते हें तो बाबा ने उन्हें कंश का वशंज तक करार दे दिया था. इसके जवाब में लालू ने कहा था कि ‘रामदेव साधु नहीं स्वाधू है. वह महाराज नहीं, दवा बेचने वाला है.’ लालू प्रसाद ने बाबा रामदेव को बीजेपी के इशारे पर कार्य करने वाला एजेंट, डिरेल बाबा (पटरी से उतरा हुआ) और मोदी का राजनीतिक गुरु बताते हुए उसका भी हाल आसाराम जैसा होने की भविष्यवाणी तक कर डाली थी.
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यही नहीं, बल्कि यहाँ तक कि लालू ने लोंगो को रामदेव से दूर रहने का सुझाव देते हुए कहा था कि जनता को असली संत और बहरुपिए के बीच फर्क करना आना चाहिए. रामदेव ने जब कहा था कि संसद के भीतर कुछ लोग अच्छे हैं, लेकिन ज्यादातर लुटेरे और जाहिल बैठे हैं. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लालू ने कहा था कि रामदेव मेंटल केस हैं. बाबा रामदेव पगला गए हैं. जो भी इस प्रकार की बातें करता है वह पगलेट है. पत्रकारों द्वारा पिछली कड़वी बातों, भारत माता की जय न बोलने पर सिर काटने और बाबा रामदेव के बीजेपी से संबंधों के बारे में सवाल पूछने पर लालू और बाबा रामदेव दोनों ही उससे बचने की कोशिश करते दिखे. लालू यादव ने कहा, “हमारा कोई झगड़ा नहीं है. मैं अब से बाबा रामदेव के प्रोडक्ट ही इस्तेमाल करूंगा. हम बाबा के परमानेंट ब्रांड एंबेसडर हैं.” उन्होंने बाबा रामदेव के प्रोडक्ट की तारीफ करते हुए कहा कि बाबा रामदेव अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट देते हैं. उनके प्रोडक्ट बाजार में आने के बाद कई लोगों की दुकानें बंद हो गईं हैं. कुछ दिन पहले बाबा रामदेव ने पतंजलि का बिजनेस 1100% बढ़ने का दावा करते हुए कहा था कि पतंजलि का टर्न ओवर 5 हजार करोड़ रुपए से ऊपर जा चुका है. विदेशी कंपनियों को हम शीर्षासन करा देंगे. उन्हें भारत से भगा देंगे. वास्तव में इस तरह के दावों में कोई सच्चाई नहीं है.

आश्रम में आने वाले कई जनरल स्टोर्स के दुकानदारों से मेरी बात हुई. मैंने उनसे पूछा कि पतंजलि के प्रोडक्ट बाजार में आने पर क्या नामी-गिरामी कम्पनियों के प्रोडक्ट की बिक्री कुछ प्रभावित हुई है? वो बताते हैं कि शुरू-शुरू में पतंजलि के प्रोडक्ट जब बाजार में आये थे तो कुछ असर जरूर पड़ा था, लेकिन अब फिर से नामी-गिरामी कम्पनियों के प्रोडक्ट की बिक्री पहले जैसी हो गई है. इसका कारण पूछने पर वो लोग बताते हैं कि देशभर में नामी-गिरामी कम्पनियों के प्रोडक्ट के प्रति एक खौफ पैदा किया गया था. लोग अपनी सेहत को लेकर चिंतित हो पतंजलि प्रोडक्ट की तरफ भागने लगे थे, लेकिन लोग अपनी वर्षों पुरानी आदत और कई चीजों के स्टेटस सिंबल से प्रभावित हो फिर से देशी-विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट इस्तेमाल करने लगे हैं. कई प्रोडक्ट उनके बहुत अच्छे हैं. बाबा रामदेव के कुछ प्रोडक्ट अच्छे हैं, लेकिन सभी नहीं. उनकी कई चीजें एक बार ले जाने के बाद ग्राहक दुबारा लेने नहीं आते हैं. जनता को शुद्ध और अच्छा उत्पाद मिले, चाहे उसे बनाने वाली देशी कम्पनी हों या विदेशी. विदेशी कम्पनियों पर भारत का रुपया विदेश ले के भाग जाने के आरोप लगते हैं, किन्तु इसमें भी बहुत ज्यादा सच्चाई नहीं है. विदेशी कंपनियों ने देश के लाखों-करोड़ों लोंगो को रोजगार दिया हुआ है, उस पर भी हमें निष्पक्ष ढंग से जरूर विचार करना चाहिए.
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बाबा रामदेव का योग से हर तरह के रोग के इलाज का दावा भी सही नहीं है. आपातकाल में हर किसी को अंग्रेजी दवाओं की जरुरत पड़ती है और ऐसी स्थिति में अपनी जिद और पूर्वाग्रह छोड़ चाहिए. भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के सचिव और हमारे देश के एक बड़े होनहार विद्वान राजीव दीक्षित अंग्रेजी दवाइयों के सेवन से बच सकते थे, पर बाबा रामदेव ने उन्हें ये सलाह नहीं दी. उनके योग से राजीव दीक्षित के हार्ट की बीमारी क्यों नहीं ठीक हुई? उन पर अपने गुरु शंकर देव को गायब करने, दिव्य योग मंदिर और आस्था चैनल को जबरदस्ती हथियाने के आरोप हैं. उनके रिश्तेदारों पर भी करोड़ों की संपत्ति बटोरने के आरोप लगे हुए हैं. वास्तव में सत्य क्या है, उन्हें देश की जनता को बताना चाहिए. मीडिया में यही चर्चा है कि योगगुरु बाबा रामदेव जून में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर फरीदाबाद में होने वाले अपने पांच दिवसीय कार्यक्रम में लालू यादव को आमंत्रण देने उनके घर गए थे, किन्तु देश के बहुत से बुद्धिजीवी यही कह रहे हैं कि बाबा रामदेव विशुद्ध व्यापारी हैं बस उन्होंने चोला भर संन्यासी का पहना हुआ है. वो बड़ी चालाकी से राजनीति का इस्तेमाल अपना कारोबार बढ़ाने में कर रहे हैं. बहुत से नेताओं का राजनीतिक संरक्षण भी उन्हें हासिल है. सरकार को वो कितना टैक्स देते हैं, इसका खुलासा वो नहीं करते हैं. अंत में मित्रों, फिर उसी गीत के कुछ बोल प्रस्तुत हैं-

सुनो सिया कलजुग में
काला धन और काले मन होंगे !
चोर उचकके नगर सेठ
और प्रभु भक्त निर्धन होंगे !
जो होगा लोभी और भोगी
वो जोगी कहलाएगा !
हे रामचन्द्र कह गए सिया से
ऐसा कलजुग आएगा !
हंस चुगेगा दाना दुनका
कौव्वा मोती खाएगा !

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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