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अमेरिका: ओबामा के बाद हिलेरी क्लिंटन या फिर डॉनल्ड जे ट्रंप?

सद्गुरुजी
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अमेरिका: ओबामा के बाद हिलेरी क्लिंटन या फिर डॉनल्ड जे ट्रंप?
डॉनल्ड ट्रंप के रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार बनने के स्पष्ट संकेत मिल जाने के बाद आगामी 8 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में मुकाबला अब हिलेरी क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप के बीच ही होने की पूरी सम्भावना लग रही है. प्राइमरी चुनाव में ट्रंप को अभी तक 1047 प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल हो चुका है. रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए अब उन्हें शेष बचे 520 प्रतिनिधियों में से मात्र 190 प्रतिनिधियों का समर्थन और चाहिए. वहीं दूसरी ओर हिलेरी क्लिंटन को 2202 प्रतिनिधियों का समर्थन मिल चुका है और अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद हेतु उम्मीदवारी हासिल करने के लिए मात्र 181 प्रतिनिधियों के समर्थन की उन्हें और जरूरत है.
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पिछले महीने डॉनल्ड ट्रंप ने पांच राज्यों में जीत के बाद कहा था कि रिपब्लिकन पार्टी को अब उन्हें अपना उम्मीदवार मान लेना चाहिए. रिपब्लिकन दावेदारों में दूसरे नंबर पर चल रहे ट्रेड क्रूज की राष्ट्रपति उम्मीदवारी की दौड़ से अपना नाम वापस लेने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप का आगामी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उमीदवार बनना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि अब कोई भी रिपब्लिकन उम्मीदवार इतना मजबूत नहीं दिखता कि वह उन्हें चुनौती दे सके. दूसरी तरफ इंडियाना प्रांत में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में बर्नी सैंडर्स से हारने के वावजूद भी अब तक कुल 2202 प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल कर चुकीं हिलेरी क्लिंटन अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में सबसे आगे चल रही हैं.

उम्मीद यही की जा रही है कि वो कुल 2383 प्रतिनिधियों में से शेष बच्चे 181 प्रतिनिधियों का समर्थन अब आसानी से हासिल कर लेंगी. अब तक कुल 1400 प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करके बर्नी सैंडर्स डेमोक्रेटिक पार्टी में दूसरे नंबर पर चल रहे हैं और वो हिलेरी क्लिंटन से काफी पीछे चल रहे हैं. अमेरिका में राजनीतिक सरगर्मियां अब काफी तेज हो चुकी हैं. हिलेरी और ट्रंप के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है. पिछले साल डॉनल्ड ट्रंप ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि अगर वो सत्ता में आए तो अमेरिका में मुस्लिमों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. अमेरिका के मुस्लिमों पर अभूतपूर्व निगरानी रखने की बात करते हुए डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि वो देश को आतंकवाद से बचाने के लिए अमेरिका में मुस्लिमों के डेटाबेस की व्यवस्था को लागू करेंगे.

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि हम मस्जिदों पर निगाह रखने जा रहे हैं. हमें बहुत, बहुत सावधानी से देखना होगा. डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि हम ऐसी चीज करने जा रहे हैं, जो हमने पहले कभी नहीं की. कुछ लोग इसे लेकर नाराज होंगे, लेकिन मेरा मानना है कि अब हर कोई यही सोच रहा है. सुरक्षा सर्वोच्च होनी चाहिए. ट्रंप के इस मुस्लिम विरोधी बयान की काफी निंदा हुई थी, यहाँ तक कि व्हाइट हाउस ने भी ट्रंप के बयान को अमेरिकी मूल्यों और समावेशी लोकतांत्रिक संविधान के खिलाफ बताया था. मुस्लिम-अमेरिकी डेटाबेस और विशेष पहचानों को लेकर दिए गए डॉनल्ड ट्रंप के विवादित बयानों को अमेरिका की विभिन्न धर्म व् नस्ल वाली महान समावेशी संस्कृति के खिलाफ और एक खतरनाक साजिश व सोच बताया गया. अमेरिका की राजनीति में डॉनल्ड के विवादस्पद बयानों को लेकर खूब हंगामा हुआ.

उनकी जमकर आलोचना भी हुई लेकिन हैरानी की बात यह हुई कि इन्ही विवादस्पद बयानों की वजह से डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी नागरिकों के काफी बड़े तबके का विश्वास हासिल कर लोकप्रियता की ऐसी छलांग लगाईं कि अपनी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में वो सबसे आगे निकल गए. ट्रंप यह दावा कर रहे हैं कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट पर इतनी कड़ी कार्रवाई करेंगे कि अब तक उतनी कड़ी कार्यवाही किसी ने नहीं की होगी. उनके इस बयान को लेकर आईएस अपनी नाराजगी वीडियो सन्देश के जरिये व्यक्त भी कर चुका है. दुनिया के कई नेता अमेरिकी खरबपति डॉनल्ड ट्रंप की प्रशंसा भी कर रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ट्रंप को अमेरिका का बेहद प्रतिभाशाली नेता मानते हैं.

ट्रंप चीन, मेक्सिको, भारत ओर वियतनाम से नाराज होकर कहते हैं कि वो हमसे नौकरी और व्यापार के काफी अवसर छीन रहे हैं. वे ये भी कहते हैं कि मैं इन देशों से नहीं, बल्कि मैं इससे निपटने में अक्षम और इससे अनजान बने रहने वाले अपने देश के नेताओं पर नाराज हूं. इनकी गलत नीतियों के कारण ही जापान, भारत, चीन और वियतनाम जैसे देश अमेरिका के नागरिकों से नौकरियां छीन रहे हैं. अमेरिकी लोग चाहते हैं कि ट्रंप अमरीका को फिर से महान बनाने का वादा करें. बेरोजगारों के लिए अधिक से अधिक नौकरियों के अवसर, मज़बूत अर्थव्यवस्था, सुरक्षित सीमाएं और क़ानूनी रूप से अमेरिका में रह रहे लोगों के लिए और बेहतर ज़िंदगी देने का वादा करें. किन्तु ट्रंप के विरोधी कहते हैं कि अगर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बन गए तो अमरीका ‘रसातल’ में पहुंच जाएगा.

खरबपति डॉनल्ड ट्रंप न सिर्फ एक कुशल वक्ता हैं. बल्कि भीड़ जुटाने की कला में भी उन्हें महारत हासिल है. जनता की भीड़ और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच वो कहते हैं कि प्रवासी और सीरियाई शरणार्थी अमरीका में न घुस सकें, इसलिए अमरीका और मैक्सिको के बीच एक बड़ी दीवार बनना चाहिए. वो अमेरिका में रह रहे करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा अवैध प्रवासियों को भी वापस उनके देश भेजना चाहते हैं. ट्रंप वेतन वृद्धि और महिलाओं द्वारा गर्भपात कराने के खिलाफ हैं. वे विश्वभर में हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए चीन की पर्यावरण विरोधी नीतियों को दोषी मानते हैं. डॉनल्ड ट्रंप दूसरे देशों द्वारा परमाणु हथियार हासिल करने को सही मानते हैं. उनकी इन सभी बातों की कड़ी आलोचना करते हुए उनकी विरोधी हिलेरी क्लिंटन कहती हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के ये सभी बयान बेहद खतरनाक हैं. हिलेरी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हम डॉनल्ड ट्रंप जैसे बेलगाम व्यक्ति के हाथ में देश की कमान सौंपने का जोखिम ले सकते हैं.

अमेरिका के प्रेज़िडेंट बराक ओबामा ने भी डॉनल्ड ट्रंप और वोटरों को चेताया है कि वे इस चुनाव को गंभीरता से लें. इसे एक मनोरंजन भर न समझें. हिलेरी या फिर ट्रंप कौन जीतेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, किन्तु ट्रंप यदि अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तो मुस्लिम समुदाय को चिंता करने की जरुरत नहीं, क्योंकि अमेरिका के लोकतांत्रिक और समावेशी संविधान के अनुसार ही उन्हें चलना होगा. भारत में 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर ट्रंप जैसा ही हौवा खड़ा किया गया था, किन्तु उनके पीएम बनने के बाद भारत का मुस्लिम समाज उन्हें संविधान के अनुसार चलते देख रहा है और भविष्य में भी उन्हें ऐसा ही करते देखेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का प्राइमरी इलेक्शन ख़त्म होने और पार्टियों द्वारा अपने उम्मीदवार का ऐलान करने के बाद वास्तविक चुनाव प्रचार शुरू होता है.
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राष्ट्रपति पद के उम्मीदावारों के भाषण (प्रेसिडेंशियल डिबेट्स) प्राइमरी इलेक्शन से शुरू होकर ‘इलेक्शन डे’ के पहले तक यानि लगभग एक साल तक जारी रहते हैं और फिर नवंबर के पहले सप्ताह में इलेक्शन डे आता है, जो अमेरिकी चुनाव की एक बेहद दिलचस्प परम्परा के अनुसार सुपर ट्यूसडे यानि मंगलवार को ही हमेशा होता है. प्राइमरी इलेक्शन में पार्टी के डेलीगेट चुने जाते हैं, जो अपनी पार्टी का उम्मीदवार तय करते हैं. इलेक्शन डे में इलेक्टर्स चुने जाते हैं, जो अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत चाहिए. अपनी जेब में सदैव हनुमान जी की मूर्ति रखने वाले हनुमान भक्त बराक ओबामा पर तो दो बार हनुमान जी की पूरी कृपा रही, अब देखना ये है कि अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में मंगलवार के देवता हनुमान जी 8 नवम्बर 2016 को किसे विजय श्री दिलाते हैं और ओबामा के बाद दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क का मुखिया कौन बनता है, हिलेरी क्लिंटन या फिर डॉनल्ड जॉन ट्रम्प?

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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