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रोजा और रोजा इफ्तार व्यक्तिगत धार्मिक कर्तव्य, फिर दिखावा क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर के एक अरब 70 करोड़ मुसलमानों को रमजान का पवित्र महीना शुरू होने के चार दिन पूर्व ही हार्दिक बधाई दी थी. अफगानिस्तान के शहर हेरात में चार जून को दिए गए भाषण के अंत में उन्होंने कहा था, “अफगानिस्तान की जनता एवं दुनिया भर के तमाम मुसलमानों को पवित्र रमजान महीने की हार्दिक बधाई.” प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सात जून को भी रमजान के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को बधाई दी थी. उन्होंने कहा था, “रमजान का पवित्र महीना शुरू होने पर, मैं मुस्लिम समुदाय के लोगों को बधाई देता हूं. रमजान का पवित्र महीना हमारे समाज में भाईचारा और सौहार्द की भावना को मजबूत करेगा.”
पीएम मोदी ने सन 2014 और 2015 में भी हमारे देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनियाभर के मुसलामानों को रमजान और ईद की बधाई दी थी. 18 जुलाई सन 2015 को ट्विटर पर ट्वीट कर उन्होंने कहा था, “रमजान का पवित्र महीना खत्म होने जा रहा है, लोग ईद का इंतजार कर रहे हैं. देश-विदेश ईद मना रहा है. मैं इस मौके पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं.” 29 जुलाई, 2014 को ईद-उल-फितर के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा था, ‘‘ईद की बधाई. मेरी कामना है, यह खास दिन पूरे देश में शांति, एकता और भाईचारे के बंधन को मजबूती प्रदान करे.’’ इस रिकार्ड से यह सिद्ध होता है कि पीएम मोदी ने मुस्लिम त्योहारों पर उन्हें बधाई दी है.
इस रिकार्ड का उल्लेख मैंने इसलिए किया है क्योंकि मीडिया में छपे एक समाचार के अनुसार हमारे हिन्दुस्तान के एक भाई एडवोकेट मुहम्मद खालिद जिलानी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से यह सुचना मांगी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद ग्रहण करने के बाद से लेकर अब तक सभी धर्मों के कौन- कौन से पर्व, त्योहार पर बधाई संदेश देशवासियों को किस माध्यम से दिया है. दूसरी जानकारी यह मांगी गई थी कि ईद उल फितर, ईद उल जुहा और ईद ए मिलादुन्नबी के अवसर पर पीएम मोदी ने बधाई संदेश दिए हैं कि नहीं और तीसरी जानकारी यह चाही थी कि पीएम मोदी 2014 व 2015 में किस- किस रोजा इफ्तार पार्टी में शामिल हुए है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 व 2015 में किसी भी रोजा इफ्तार पार्टी में शिरकत नहीं की है. एडवोकेट मुहम्मद खालिद जिलानी के द्वारा पूछे गए अन्य दो सवालों के बारे में जबाब देते हुए इतना ही कहा गया है कि इसकी सूचना उन्हें कालांतर में दी जाएगी. हालाँकि इन सवालों के जबाब या जानकारियों की उपलब्द्धता गूगल सर्च पर भी मिल सकती है, किन्तु इन सब सवालों से एक सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या देश के मुसलमानों को पीएम मोदी की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं है? उन्हें क्यों ऐसा लगता है कि पीएम मोदी उनसे भेदभाव कर रहे हैं या फिर उनकी उपेक्षा कर रहे हैं?
इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी की आज जो बेहद आक्रामक और सबका विकास करने वाली कार्यशैली है, भविष्य में उसका सबसे ज्यादा लाभ देश के दलित हिन्दुओं और गरीब मुसलमानों को होगा. यदि ईमानदारी और बेबाकी से कहूं तो हमारे देश के बहुत से लोग तथाकथित सेकूलर पार्टियों द्वारा फैलाए गए भ्रमजाल और उनके द्वारा उत्पन्न किये गए काल्पनिक भयवश अपने दिल और दिमाग से पीएम मोदी को आज भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, किन्तु मुझे लगता है कि ‘सबका साथ सबका विकास’ यानि देश का सर्वांगीण विकास होता देख भविष्य में उनकी भ्रम, भय और पूर्वाग्रह से परिपूर्ण संकीर्ण सोच जरूर बदलेगी.
रही बात प्रधानमंत्री के वर्ष 2014 व 2015 में किसी भी रोजा इफ्तार पार्टी में शिरकत नहीं करने की तो इस बारे में इतना ही कहूंगा कि वोट बैंक बढ़ाने के लालच में मुस्लिम तुष्टीकरण करने का ये तरीका ही सही नहीं है. इससे मुसलमाओं को क्या फायदा हुआ है और कितने गरीब मुसलमान बड़े नेताओं और राईस लोंगो की इन पार्टियों में शामिल हो पाते हैं? रमजान के पवित्र महीने में रोजा या उपवास रखना और रोजा इफ्तार यानि उपवास तोडऩा हर मुसलमान का एक व्यक्तिगत धार्मिक कर्तव्य है, जिसका दिखावा करने की जरुरत ही क्या है? बस खुदा की निगाह में हम सही रहें. केवल वही जाने कि कब हमने रोजा रखा और कैसे तोडा. अंत में सभी मुस्लिम भाइयों को रमजान की बधाई.
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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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