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वास्तविक जीवन में सलमान हीरो या विलेन?- जागरण जंक्शन मंच

सद्गुरुजी
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वास्तविक जीवन में सलमान हीरो या विलेन?- जागरण जंक्शन मंच
“औरतों पर हाथ उठाया गया… लोगों पर गाड़ी चढ़ाई गई… वन्यजीवन को नष्ट किया गया… लेकिन फिर भी देश का हीरो… यह है गलत… भारत में ऐसे समर्थकों की भरमार है…” सलमान के बारे में पार्श्वगायिका सोना महापात्र ने ट्विटर पर सच लिख दिया तो सलमान के चाहने वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया और ट्विटर पर उन्हें जी भर कर कोसा. यही नहीं, बल्कि उनके खिलाफ बेहद अश्लील भाषा में ऐसे ऐसे कमेंट किये कि पूछिए मत. मित्रों, यही है इस देश में महिलाओं और सच बोलने वालों की वास्तविक स्थिति. सलमान ने अनेकों फिल्मों में भले ही काल्पनिक रूप से आदर्शमय रोल किये हों, किन्तु वास्तविक जिंदगी में वो कोई आदर्श व्यक्ति या हीरो नहीं बल्कि, विलेन से भी बुरे साबित हुए हैं. काले हिरण के शिकार का आरोप हो, फुटपाथ पर सो रहे गरीब लोगों के ऊपर शराब के नशे में कार चढ़ा देने वाला ह्त्या का केस हो या फिर अपने साथ काम करने वाली कुछ नायिकाओं को थप्पड़ मारने जैसा बेहद गम्भीर और निंदनीय मामला हो, सलमान अपने वास्तविक जीवन में फ़िल्मी विलेन से भी बदतर नजर आते हैं.
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मीडिया में प्रकाशित समाचारों के अनुसार पिछले शनिवार को सलमान खान ने एक बेवसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अपनी आने वाली फिल्म ‘सुल्तान’ की शूटिंग के दौरान काफी मेहनत करनी पड़ती थी. उन्हें120 किलो के पहलवान को 10 अलग-अलग एंगल से उठाना होता था और उन्हें जमीन पर पटखनी भी देनी होती थी, ताकि रियल फाइट का फील आए. कई घंटे की रिहर्सल और फाइनल शॉट देने के बाद जब रिंग से बाहर निकलता था तो मैं रेप की शिकार महिला की तरह पीड़ा महसूस करता था. यहाँ तक कि मैं सीधा होकर भी नहीं चल पाता था. सलमान के इसी बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खिचाई शुरू हो गई. कइयों ने उनका समर्थन भी किया. विरोध और समर्थन से ऊपर उठकर यदि हम सलमान के बयान पर गम्भीरता से विचार करें तो कई तथ्य उजागर होते हैं. पहला रेप पीड़ित महिलाओं का मजाक उड़ाना. निर्भया की मां ने सही कहा है कि सलमान मेरी बेटी से मिले होते तो उन्हें पता चलता कि रेप विक्टिम की क्या हालत होती है? उनके ऐसे बयान समाज में गलत संदेश पहुंचाते हैं उन्हें अपनी जुबान पर लगाम रखनी चाहिए.

दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य है, लिंगभेद यानि औरतों को अपने बराबर और अपना मित्र नहीं समझना, बल्कि इसके विपरीत पैरों की जूती समझने वाली पुरुषवादी और सदियों पुरानी स्त्रियों का शोषण करने वाली भोगवादी सामन्ती प्रवृत्ति नजर आती है. मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट्स के अनुसार इसी इंटरव्यू में सलमान खान ने महिलाओं का ज़िक्र ‘बुरी आदत’ के रूप में भी किया था, और कहा था कि उन्होंने लड़कियों के अलावा सभी बुरी आदतें छोड़ दी हैं. ‘महिलाऐं एक बुरी आदत हैं’ सलमान यदि यही कहना चाहते हैं तो सुन्दर महिलाओं के पीछे भागने की जरुरत ही क्या है? अपनी पसंदीदा कुछ नायिकाओं के लिए उन्होंने कई नायकों से वैर-विरोध क्यों मोल लिया? अपने अब तक के जीवन में मैं बहुत से ऐसे लोंगो से मिला, जो औरतों को माया और ठगिनी कहते थे, जबकि उनके करीबी लोगों से पता चला कि वो स्त्री सानिध्य के लिए दिन-रात लार चुआते हैं. इस तरह का पाखण्ड करके वास्तव में कोई बड़ा या महान नहीं बन सकता, चाहे वो कितना भी नाटक क्यों न कर ले. प्राकृतिक और भावनात्मक रूप से स्त्री को जितनी जरुरत पुरुष की है, उससे कहीं ज्यादा पुरुष को स्त्री की है. यह एक ऐसी सच्चाई है, जिसे अधिकतर पुरुष स्वीकार करते हैं.
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सलमान के विवादास्पद बयान पर उनके पिता सलीम खान ने मंगलवार को ट्वीट कर मांफी मांगते हुए कहा था कि ‘बेशक सलमान ने जो भी बोला वो गलत है, लेकिन उसका इरादा गलत नहीं था.’ सलीम खान ने लिखा था कि मैं अपने परिवार, अपने फैंस और अपने दोस्तों की तरफ से माफी मांगता हूं. इंसान से गलती हो जाती है और उसे ईश्वर भी माफ कर देता है. इस गलती पर अपनी दुकान ना चलाएं. यहाँ भी कई सवाल उठते हैं. सबसे पहला ये कि सलमान ने खुद माफ़ी क्यों नहीं मांगी? दूसरा ये कि गलत बयान देकर दूकान कौन चला रहा है? मीडिया में इस तरह का विवादित बयान यदि अपनी फिल्म को प्रचारित करने हेतु दिया जाये तो वह बेहद अशोभनीय और दंडनीय है. सलमान खान ने बड़ी गलती की है, उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए. राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेजकर सही काम किया है. कुछ दिनों पूर्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एन संतोष हेगड़े ने सही कहा था कि बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को जमानत देने और ‘बिना बारी के’ सुनवाई करने से न्यायपालिका की छवि खराब हुई.

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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