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एनएसजी: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती- जागरण फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

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सोल में अपनी दो दिवसीय बैठक की समाप्ति के बाद एनएसजी ने ‘परमाणु अप्रसार संधि’ के ‘‘पूर्ण और प्रभावी’’ क्रियान्वयन के प्रति अपना ‘पूर्ण समर्थन’ व्यक्त करते हुए उसे वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताया. इसका सीधा सा अर्थ यह है कि किसी देश को यदि एनएसजी यानि ‘न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप’ की सदस्यता लेनी है तो पहले वो एनपीटी (नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी) यानि ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर हस्ताक्षर करे. हमारे देश की न्यूज मीडिया और सोशल मीडिया पर काफी दिनों से चीन को कोसा जा रहा है और ये माना जा रहा है कि एनएसजी की सदस्यता पाने की राह में भारत के लिए चीन सबसे बड़ा रोड़ा अटका रहा है, जबकि वास्तविकता ये है कि एनएसजी के दस सदस्य देश ये चाहते हैं कि भारत पहले ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर हस्ताक्षर करे, फिर उसे एनएसजी की सदस्यता प्रदान की जाए.

‘परमाणु अप्रसार संधि’ को भारत और पाकिस्तान दोनों ही पक्षपातपूर्ण और अपने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताते हैं, इसलिए ये दोनों ही देश उसपर साइन नहीं कर सकते हैं. एनपीटी पर साइन किये बिना ही दोनों देश एनएसजी की सदस्यता हासिल करना चाहते हैं. एक तरफ भारत की पैरवी अमेरिका कर रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की पैरवी चीन कर रहा है. अमेरिका और चीन जैसी विश्व की महाशक्तियां अपना राष्ट्रीय हित साधने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों को ही मूर्ख बना रही हैं. एनएसजी के सभी 48 सदस्य देश ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर हस्ताक्षर किये हुए हैं और इनमे से बहुत से देश नहीं चाहते हैं कि बिना एनपीटी पर साइन किये कोई नया देश एनएसजी का मेंबर बने. एनएसजी का नियम है कि 48 में से एक भी सदस्य देश यदि सदस्यता पाने हेतु किसी नए देश के द्वारा दिए गए आवेदन पर आपत्ति जाहिर करे तो वो देश सदस्य नहीं बन सकता है.

सदस्य बनने हेतु दिए गए भारत के आवेदन पर ऐसा नहीं है कि विचार नहीं किया गया. भारत के आवेदन पर विचार विमर्श करने की पुष्टि करते हुए एनएसजी की दो दिवसीय बैठक के उपरान्त दिए गए बयान में कहा गया है कि एनएसजी ने एनपीटी पर गैर हस्ताक्षरकर्ता देशों की भागीदारी के सभी तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया और इस चर्चा को आगे भी जारी रखने का फैसला किया गया. एनएसजी के इस बयान का यह अर्थ हुआ कि एनपीटी पर हस्ताक्षर किये बिना एनएसजी की सदस्यता चाहने वाले भारत को फिलहाल कोई रियायत नहीं दी जा सकती है. पहले एनएसजी के सभी 48 सदस्य देश मिलकर सर्वसम्मत्ति से एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को सदस्य बनाने का प्रस्ताव पास करेंगे, उसके बाद ही भारत एनएसजी का सदस्य बन सकेगा.

भारत को अभी कुछ समय तक इन्तजार करना पडेगा. भारत इस मामले में फ़्रांस का उदाहरण देता है, जो एनएसजी का सदस्य बना तब ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर हस्ताक्षर नहीं किया था. भारत ऐसे अपवाद का जिक्र करते हुए ये क्यों भूल जाता है कि फ़्रांस एनएसजी के संस्थापक सदस्यों में से एक है और उसने सदस्य बनने के बाद एनपीटी पर हस्ताक्षर भी किया. भारत ने ‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर हस्ताक्षर किये बिना एनएसजी की सदस्यता हासिल करने हेतु पुरजोर कोशिश की है. उसे सफलता भी अवश्य मिलेगी, किन्तु अभी कुछ समय लगेगा. पीएम मोदी और उनके मंत्रियों ने एनएसजी की सदस्यता हासिल करने हेतु रात-दिन जो दौड़-भाग की और अंतिम समय तक बिना निराश हुए जो जीतोड़ मेहनत की, उस निष्ठा और देशभक्ति को सलाम. हमारे देश के कई बेशर्म नेता जो मोदी सरकार की विदेश नीति को असफल बता उसपर हंस रहे हैं, उनसे बड़ा देश का बुरा चाहने वाला और गद्दार कोई दूसरा नहीं हो सकता है.

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अंत में ‘पद्मश्री’ और ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की कविता “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ की कुछ और प्रेरक पंक्तियाँ देश-विदेश हर मामले में बहुत अच्छा कार्य कर रही मोदी सरकार के लिए एक बार फिर प्रस्तुत है-
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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