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ढाका में आतंकी हमला: आतंकवाद की बेहद क्रूर रूप में दस्तक

सद्गुरुजी
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ढाका में आतंकी हमला: आतंकवाद की बेहद क्रूर रूप में दस्तक
बांग्लादेश की राजधानी ढाका स्थित एक कैफे में शुक्रवार की रात को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमे आतंकियों ने 20 विदेशी नागरिकों की गला रेतकर नृशंसतापूर्वक ह्त्या कर दी. मरने वालों में एक भारतीय लड़की भी शामिल है. बारह घंटे तक चले कमांडो ऑपरेशन में 6 आतंकियों के भी मारे जाने और एक के जिन्दा पकडे जाने की पुष्टि हुई है. इस क्रूर हमले की जिम्मेदारी आईएस और अल-कायदा दोनों ने ली है. बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों को शक है कि बांग्लादेश को बदनाम करने के लिए इस आतंकी हमले में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ भी हो सकता है, जो आतंकवाद को जन्म देने और उसे फैलाने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम है. हालांकि इस नृशंस हमले की जिम्मेदारी आईएस ने न सिर्फ ली है, बल्कि आईएस की न्यूज एजेंसी अमाक ने रेस्टोरेंट के अंदर की भयानक तस्वीरें जारी की हैं, जो खून से लथपथ उन बीस विदेशियों की हैं, जिनकी धारदार हथियार से बड़ी ही क्रूरतापूर्वक गला रेतकर ह्त्या कर दी गई थी.
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ढाका स्थित एक कैफे में बंधक संकट खत्म होने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने टेलीविजन पर दिए अपने संबोधन में कहा, “यह बहुत भयावह कृत्य है. ये लोग किस तरह के मुसलमान हैं? उनका कोई धर्म नहीं है. उन्होंने रमजान की तरावीह (खास नमाज) के असल संदेश का उल्लंघन किया और लोगों की हत्या की है. जिस तरह से उन्होंने लोगों की हत्या की वह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है. उनका कोई धर्म नहीं है. आतंकवाद ही उनका धर्म है. मैं अल्लाह का शुक्र अदा करती हूं कि हम आतंकवादियों को खत्म करने और 13 बंधकों को बचाने में कामयाब रहे.’’ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बिलकुल सही कहा है कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं है. आतंकवाद ही उनका एकमात्र धर्म है. सभी मुस्लिम देशों को शेख हसीना की गम्भीर बातों पर गौर करना चाहिए, क्योंकि ये एक कड़वी सच्चाई है कि वारदात के समय आतंकी “अल्लाह-ओ-अकबर” के नारे लगा रहे थे और कुरान की आयतें सुनाने वालों को जीवित छोड़ दे रहे थे.

इससे जाहिर होता है कि आतंकी इस्लाम को मानने वाले थे. उनके धर्म-प्रचार का जरिया पवित्र कुरान रूपी धर्मशास्त्र नहीं, बल्कि आधुनिक मशीनगन और धारदार हथियार थे. धर्म-प्रचार के इस हिंसक तरीके को वो जिहाद का नाम देते हैं. पूरी दुनिया में इस्लाम धर्म पर आधारित एकछत्र शासन का अजीबोगरीब ख्वाब वो देखते हैं, जो कभी संभव नहीं है. हैरत होती है कि अपने बदतर अंजाम की परवाह किये बिना न सिर्फ कई देशों के युवा आईएस से जुड़ रहे हैं, बल्कि कई मुस्लिम देश भी चोरी-छिपे आईएस को हथियार से लेकर धन तक, हर तरह का सहयोग और समर्थन दे रहे हैं. कुछ देश तो उनसे व्यापार तक कर रहे हैं और कौड़ी के भाव उनके कब्जे वाले कुओं से तेल खरीद रहे हैं. पूरे विश्व पर किसी एक धर्म पर आधारित शासन कभी पूरा न होने वाला एक झूठा ख्वाब है, ये सच्चाई सारी दुनिया के लोंगो को स्वीकार करनी चाहिए. ऐसे कुप्रचार से न सिर्फ पवित्र धर्मशास्त्र, बल्कि उससे जुड़े करोड़ों धार्मिक लोंगो की भी बदनामी होती है.
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किसी भी धर्म या धर्मशास्त्र का प्रचार शस्त्र से नहीं, बल्कि तर्क, व्यक्तिगत अनुभव और शांतिपूर्ण अहिंसक तरीके से होनी चाहिए. सभी धर्मों का मूल उद्देश्य सत्य की खोज करना है और शास्त्रार्थ ही धर्म-प्रचार का एकमात्र सही तरीका है. हिंसा का रास्ता हिंसा और बर्बादी पर ही जाकर ख़त्म होता है. आज दुनिया के अधिकतर देश आतंकियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ रहे हैं. हिन्दुस्तान के लोंगो में भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता आनी बेहद जरुरी है, क्योंकि कोलकाता से ढाका की दूरी महज 300 किलोमीटर ही है. आतंकवाद हमारे द्वार पर यूँ तो काफी पहले ही दस्तक दे चुका है, किन्तु अपने और क्रूर रूप में यह अब फिर से दस्तक दे रहा है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने कुछ दिन पहले हैदराबाद के अगल-अलग इलाकों से आईएस से जुड़े पांच संदिग्धों को अरेस्ट किया है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि उनकी पार्टी एमएआईएम गिरफ्तार किए गए पांच संदिग्ध आतंकियों को कानूनी मदद देगी. मित्रों, इस देश में आतंकवाद से क्या ऐसे लड़ेंगे हम?

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कंदवा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106)
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