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भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को अभिन्न रखने का उपाय

सद्गुरुजी
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भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को अभिन्न रखने का उपाय
पाक के कब्जे वाले कश्मीर में अपनी पार्टी पीएमएल-एन के 41 में से 30 सीटें जीतने के बाद पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने मोदी से दोस्ती को ठेंगा दिखाते हुए पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हुई एक पब्लिक रैली में कहा, ‘हमें बस उस दिन का इंतजार है, जब कश्मीर पाकिस्तान बन जाएगा।’ इससे पहले, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर में मुठभेड़ में मारे गए हिज्बुल आतंकवादी बुरहान वानी को ‘शहीद’ करार दिया था। यही नहीं बल्कि उन्होंने अपनी कैबिनेट द्वारा कश्मीर में आतंकवादियों और अलगाववादियों से अपनी जान पर खेलकर अदम्य बहादुरी से जूझ रहे भारतीय सुरक्षा बलों के विरुद्ध कश्मीरियों के खिलाफ ‘अत्याचार’ करने का झूठा प्रस्ताव पास करवाया और पूरे पाकिस्तान में 19 जुलाई को ‘काला दिवस’ मनवाया। नवाज शरीफ के इस शातिराना और काले कारनामे पर एक ओर जहाँ पीएम मोदी ने चुप्पी साधी तो वहीँ दूसरी ओर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को बहुत वाजिब और करारा जवाब दिया.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि पूरा भारत एक स्वर से वज़ीर-ए-आजम पाकिस्तान को यह बताना चाहता है कि उनका और पाकिस्तान का यह दिवास्वप्न क़यामत तक कभी पूरा नहीं होगा कि एक दिन भारत का अभिन्न अंग काश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने काश्मीरियों को कभी दुआएं नहीं दीं बल्कि कश्मीर में आतंकवाद को खुले रूप में प्रोत्साहन देते हुए काश्मीरियों को हथियारों और आतंकवाद का गहरा दर्द दिया है। सुषमा स्वराज ने बेहद कड़े शब्दों में कहा कि जो देश अपने ही लोगों के खिलाफ तोप और जंगी जहाज़ से हमले करता हो उसे इस बात का कोई नैतिक हक नहीं है कि वह भारत के पेशेवर और अनुशासित पुलिस और सुरक्षाबलों पर उंगली उठाए। कश्मीर में सुरक्षाबलों की तरफ से दिखाए जा रहे संयम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों के संयम का सबूत इस बात से मिलता है कि कश्मीर की हिंसा में अब तक 1700 के करीब जवान घायल हुए हैं।

सारी दुनिया अब इस सच से वाकिफ हो चुकी है कि पाकिस्तान की कोशिश यही है कि अपने संसाधनों, संस्थाओं और आतंकवादी संगठनों के द्वारा जम्मू-काश्मीर में अस्थिरता पैदा की जाए और हिन्दुस्तान की इस सरज़मी को स्वर्ग से नरक बना दिया जाए। कुछ समय पहले मीडिया में एक खबर छपी थी कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के हिस्सों में करीब 1150 आतंकवादी लगभग 17 प्रशिक्षण शिविरों में हैं तथा करीब 325 आतंकवादी नियंत्रण रेखा के समीप घुसपैठ की फिराक में हैं। इस वर्ष जेनेवा में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के नेता शौकत अली कश्मीरी ने खुलासा किया था कि पीओके में लश्कर के आतंकी दनदनाते हुए सरेआम घूम रहे हैं। पीओके से निष्कासित नेता शौकत अली के अनुसार आतंकवाद पर पाकिस्तान दोहरी नीति अपनाते हुए कश्मीरी अवाम के हक के नाम पर पीओके को भारत में आतंकवाद फैलाने के लांचिंग पेड के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

बकौल शौकत अली, पीओके में बड़ी संख्या में आतंकी हैं, जिनका कश्मीर की आजादी से कोई लेना-देना नहीं है। वे पाकिस्तान और अल्लाह के नाम पर खूनखराबा कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान की आतंकी धरती पर रहकर अपने कुकर्मों से कश्मीर की पावन धरती को अशांत और नापाक कर रहा जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद ने भारत को धमकी दी है कि गिलानी का 4 सूत्री फॉर्मूला स्वीकार करो अथवा यूद्ध के लिए तैयार रहो। चार सूत्रीय फॉर्मूला वह है जिसे माना ही नहीं जा सकता है, क्योंकि न तो काश्मीर को पूर्ण स्वायत्तता दी जा सकती है और न ही वहां से सेना हटाई जा सकती है, न ही कश्मीर में भारत-पाक की सीमा खोली जा सकती है और न ही भारत-पाक अधिकृत कश्मीर को एक किया जा सकता है। अपने कार्यकाल में कुछ न कर पाने वाले पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कश्मीर के हालात का समाधान बताते हुए कहा है कि कश्मीर के विलय होने के समय जिस ‘बड़े समझौते’ को लागू करने का वादा किया गया था, उसका पूरी तरह से पालन किया जाए।

पी चिदंबरम अपने कार्यकाल में अपना ये क्रांतिकारी समाधान क्यों नहीं लागू किये, इसका कोई उत्तर उनके पास नहीं है। कश्मीरियों को खुश करने के लिए आजादी के बाद से लेकर अब तक हर केंद्र सरकार ने हर संभव कोशिश की है और काश्मीर का “विशेष दर्जा” (धारा 370) बरकरार रखते हुए काश्मीर के विकास के लिए पानी की तरह पैसा बहाया है और हमारे अनगिनत बहादुर सैनिकों, सुरक्षा बालों और काश्मीर की पुलिस ने अपना अनमोल शहीदी लहू बहाया है। सोचने वाली बात है कि काश्मीर के युवा इन सबसे प्रभावित होने की बजाय आतंकवादियों से प्रभावित क्यों हो रहे हैं? हिंसा और आतंक ने काश्मीर की समूची युवा पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में क्यों ले लिया है? जम्मू-कश्मीर समस्या के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती राज्य के हालात पर बात करते हुए रो पड़ीं। महबूबा मुफ़्ती ने काश्मीर में हुए हाल के प्रदर्शन के दौरान लोगों की जानें जाने और घायल होने पर दुख जताते हुए कहा कि अनिश्चितता और अशांति ने राज्य में समाज के सभी तबके को प्रभावित किया है। हिंसा ने समूची युवा पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।

भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह दो दिन की कश्मीर यात्रा पर गए हुए हैं। गृहमंत्री एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक करेंगे, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे तथा कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करेंगे। गृहमंत्री ने शिकारा और हाउसबोट के मालिकों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी और उन्हें हर संभव मदद देने की बात कही है। हालाँकि कश्मीर के व्यापारियों ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने से इंकार कर दिया, क्योंकि उन्हें भरोसा ही नहीं है कि इससे उन्हें कोई फायदा होगा। दरअसल कश्मीर में अभी भी हिंसा और आतंक का खौफ पसरा हुआ है। मीडिया में प्रसारित ख़बरों के अनुसार काश्मीर के कुछ इलाकों में भारत का समर्थन करने और ‘जयहिंद’ बोलने पर आतंकवादियों और अलगाववादियों की धमकियां मिलने लगती हैं, इसलिए खौफ के मारे बहुत से कश्मीरी खुलकर न तो भारत के पक्ष में बोल पा रहे हैं और न ही आतंकवादियों और अलगाववादियों का विरोध ही कर पा रहे हैं।

अंत में इस बात पर विचार किया जाए कि आखिर कश्मीर समस्या का समाधान क्या है? कश्मीर में पाकिस्तान समर्थ‍ित आतंकवाद को करारा जवाब देने के लिए अब एक ही रास्ता है कि पीएम मोदी हिम्मत जुटाएं और पाकिस्तान में घुस कर आतंकी कैम्प नष्ट करने पर विचार करें। कश्मीरी अलगाववादियों और आतंकवादियों का हौसला तोड़ने के लिए कश्मीर समस्या का यही एकमात्र उपाय है। भारत को पाक-अध‍िकृत कश्मीर पर कब्जा करने के लिये अब पुरजोर प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तान से सारे कूटनीतिक संबंध तोड़ लेने चाहिए और बलोच आंदोलन में मदद करनी चाहिए। भारत के विरुद्ध हमेशा षड्यंत्र रचने वाले शातिर मिजाज पाकिस्तान को सबक सिखाने का इससे बेहतर कोई उपाय नहीं है। भारत की सिधाई कश्मीर को परेशान और बर्बाद कर रही है, इसलिए भारत अब सिधाई का रास्ता छोड़े। सरकार अन्य राज्यों के लोंगों को कश्मीर में बसाए, यह भी कश्मीर समस्या का एक उचित उपाय है। अंत में हरियाणा की एक छात्रा जाह्नवी बहल का जिक्र करूँगा, जिसने घोषणा की हे कि वह 15 अगस्त को श्रीनगर के लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराएगी। उसके अदम्य साहस को सलाम। जयहिंद!!

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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