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हिंदुस्तान की आजादी के दुश्मन कौन हैं?- जागरण जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है
सैकड़ों क़ुरबानियाँ देकर ये दौलत पाई है
मुस्कराकर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियाँ
कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है
ख़ाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं

शकील बदायूंनी साहब का लिखा हुआ फिल्म ‘लीडर’ का ये गीत इस सच को बखूबी बयान करता है कि कितनी कुर्बानियां देकर और कई सदियों तक विदेशी हुकूमत से लड़ने के बाद हमारे मुल्क हिंदुस्तान ने आजादी रूपी दौलत पाई है.15 अगस्त सन 1947 को हिंदुस्तान के आज़ाद होते ही यहाँ रहने वाले करोड़ों हिंदुस्तानी भी आज़ाद हो गए. हमें आजाद हुए और अपनी आजादी की रक्षा करते हुए 69 साल बीत चुके हैं. 15 अगस्त 2016 को सवा सौ करोड़ से भी अधिक हिंदुस्तानी अपना 70वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. विकासशील से विकसित मुल्क में तब्दील होते हिंदुस्तान की आजाद हवा में बड़े गर्व के साथ आज हम लोग सांस ले रहे हैं, किन्तु हिंदुस्तान की आजाद आबोहवा को दूषित करने की कोशिश वाले बहुत से असामाजिक और देशद्रोही तत्व मुल्क की आजादी, एकता और अखण्डता के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बनते चले जा रहे हैं. जम्मू-काश्मीर में पाकिस्तान समर्थित और प्रायोजित आतंकी घुसपैठ पिछले 69 सालों से किसी असाध्य रोग की तरह जारी रह घोर पीड़ा दे रही है.

पिछले एक माह से कश्मीर में हालात बहुत ख़राब हैं, क़रीब 60 लोग मारे गए हैं, हजारों जख्मी हैं. अब भी काश्मीर घाटी के कई हिस्सों में हिंसा, प्रदर्शन और कर्फ्यू का दौर जारी है. ऐसा लग रहा है मानो सीआरपीएफ और पुलिस जैसे सुरक्षा बल भीड़ को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रहे हैं. एक तरफ जहाँ आतंकियों और अनियंत्रित भीड़ से लड़ते हुए हमारे बहादुर सैनिक और पुलिस के जवान आये दिन शहीद हो रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ काश्मीर घाटी के कई नेता और वहां के बुद्धिजीवी अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा करने वाले सुरक्षा बलों की जान की परवाह न करते हुए अलगाववादी हिंसक प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन का इस्तेमाल न करने और कुछ क्षेत्रों से अफस्पा हटाने की सलाह दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि कश्मीर शांति चाहता है. हम जम्मू-कश्मीर का विकास चाहते हैं और विकास के ज़रिए सभी समस्याओं का समाधान तलाश रहे हैं.
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विकास के जरिये कश्मीर की समस्या का समाधान आजादी के बाद से लेकर अब तक हम ढूंढ नहीं पाए हैं. आज कश्मीर के जो खराब हालात हैं, उसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की फिर वही कोशिश कितनी कारगर होगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन कश्मीर के अलगाववादियों का नापाक इरादा बिल्कुल साफ है. वो ‘आजाद कश्मीर’ का अपना पुराना राग अलापते हुए भारत के साथ नहीं रहना चाहते हैं. वो चाहते हैं कि कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक़ जनमत संग्रह हो और लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार मिले. इसके लिए वो भारत-पाकिस्तान के साथ मिलकर त्रिस्तरीय वार्ता के लिए भी तैयार हैं. गौर करने वाली ख़ास बात ये है कि कश्मीर में अलगाववाद का बीज बोने वाले और सुरक्षा बलों पर पत्थर फिंकवाने वाले अधिकतर देशद्रोही नेता जम्मू-कश्मीर से बाहर हिंदुस्तान के अन्य राज्यों में या फिर विदेशों में रह रहे हैं. पाकिस्तान की सरकार, सेना और वहां स्थित अनेकों खतरनाक आतंकी संगठन उनके सबसे बड़े साथी हैं.

हिंदुस्तान को इन पर कड़ा प्रहार करने की जरुरत है. जब तक हमारे मुल्क में, खासकर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने वाली इन जड़ों का समूल नाश नहीं होगा, तब तक कश्मीर के हालात स्थायी रूप से बेहतर नहीं हो सकते हैं. कश्मीर के पत्थरबाज संगठनों ने केवल अमन पसंद कश्मीरी मर्दों की ही आजादी नहीं छीनी है बल्कि ये औरतों की आज़ादी के भी दुश्मन हैं. मीडिया में छपी ख़बरों के अनुसार उन्होंने कश्मीर में जगह जगह अंग्रेजी और उर्दू में लिखे पोस्टर लगाए है. जिनमे लिखा है कि अगर युवतियां स्कूटी चलाएंगी तो उन्हें उसी के साथ जला दिया जायगा. इससे न केवल महिलाओं के अधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है बल्कि ये अमन पसंद इस्लाम धर्म के बुनियादी उसूलों के भी खिलाफ है. कश्मीर की मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द करते हुए संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए महिला आयोग, राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
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हमारी आजादी के अन्य दुश्मनों की बात करें तो डॉ ज़ाकिर नाइक और ‘गौरक्षा’ की आड़ लेकर दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार करने वाले कुछ तथाकथित ‘गौरक्षकों’ की चर्चा करना चाहूँगा. पहले डॉ ज़ाकिर नाइक का जिक्र करूँगा. इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन के संस्थापक डॉ ज़ाकिर नाइक को लेकर कुछ चौंका देने वाले समाचार सामने आए है. मीडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार डॉ ज़ाकिर नाइक लेकर हुई जाँच से पता चला है कि डॉ ज़ाकिर नाइक के जमात उद दावा, इंडियन मुजाहिदीन और हिज़बुल मुजाहिदीन जैसे चरमपंथी संगठनों से संबंध है. निश्चित रूप से यह हिंदुस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत चिंता की बात है. महाराष्ट्र और केंद्र सरकार को जल्द से जल्द डॉ ज़ाकिर नाइक के ख़िलाफ़ कड़ी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए. इस बात में अब कोई सन्देह नहीं कि धर्म प्रचार की आड़ लेकर डॉ ज़ाकिर नाइक द्वारा जारी राष्ट्रविरोधीं गतिविधियाँ तथा उनके जहरीले भाषण देश की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर ख़तरा बन चुके हैं.

कुछ रोज पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ‘गौरक्षा’ संगठनों द्वारा ‘गौकशी’ के नाम पर दलितों एवं मुसलमानों पर की जा रही हिंसा की कड़ी आलोचना की थी. दिल्ली में बोलते हुए मोदी ने कहा था कि कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं. मुझे इस पर बहुत ग़ुस्सा आता है. उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि रात में गोरख धंधे में लगे कुछ असमाजिक तत्व दिन में गौ रक्षक बन जाते हैं और इनमें से 70-80 फ़ीसदी फ़र्ज़ी हैं. हालाँकि उन्होंने बाद में हैदराबाद में बोलते हुए कहा कि मुठ्ठी भर गौ रक्षक फ़र्ज़ी हैं. प्रधानमंत्री ने गोरक्षकों से कहा, “अगर वार करना है तो मुझ पर कीजिए, मेरे दलित भाइयों पर वार करना बंद कर दीजिए.” प्रधानमंत्री को ये एहसास शायद तब हुआ जब उन्हें पता चला कि गुजरात सहित देश के कई अन्य राज्यों में गौ रक्षकों के ज़रिये दलितों और मुसलामानों पर हो रहे हमलों को लेकर दलित समुदाय भाजपा से नाराज़ चल रहा है. आरएसएस के एक सर्वे ने गुजरात में अभी चुनाव होने पर मात्र 65 सीटें जितने की बात कही थी. यही तो दिक्कत है कि पीएम जगते हैं, विवादित मुद्दों पर बोलते हैं, पर देर से. यह भी राष्ट्रीय एकता व सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है.

अंत में सभी देशवासियों को स्वतन्त्रता दिवस की बधाई देते हुए शकील बदायूंनी साहब के लिखे गीत के कुछ और अनमोल बोल प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो हिंदुस्तान की आज़ादी और अमन के दुश्मनों से निपटने का बेहतरीन उपाय सुझाते हैं-
वक़्त की आज़ादी के हम साथ चलते जाएंगे
हर क़दम पर ज़िंदगी का रुख़ बदलते जाएंगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार\-ए\-वतन
अपनी ताक़त से हम उसका सर कुचलते जाएंगे
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं.. जयहिंद!!

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