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उत्तर कोरिया के सनकी तेवर विश्व युद्ध न करा दें..?- जंक्शन फोरम
शुक्रवार नौ सितंबर को उत्तर कोरिया ने पांचवां और अब तक का सबसे बड़ा परमाणु बम परीक्षण परीक्षण किया है. उत्तर कोरिया के परीक्षण केंद्र के आस-पास 5.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया. इस परमाणु बम की विस्फोटक क्षमता 10 किलोटन है या 20 किलोटन है, यह अभी अपष्ट नहीं है, किन्तु यह परीक्षण चौथे परीक्षण से ज्यादा बड़ा था, इसमें कोई सन्देह नहीं. परमाणु हथियारों और आईसीबीएम परीक्षणों के कारण उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा हुआ है और इससे उसकी अर्थव्यवस्था को काफी नुक़सान हो रहा है, किन्तु फिर भी उसके तानाशाह नेता किम जोंग की परमाणु महत्वाकांक्षा और आक्रामक इरादे दिनोंदिन बढ़ ही रही है. उत्तर कोरिया लंबी दूरी की मिसाइल (इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल) सहित 200 कि.मी. या इससे अधिक रेंज वाली 30 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल अभी तक लॉन्च कर चुका है. उत्तर कोरिया की उकसाने वाली और परमाणु विकास की गतिविधियां पिछले कई वर्षों से जारी हैं.
इसी साल 6 जनवरी, 2016 को उत्तर कोरिया ने घोषणा की थी कि उसने एटम बम से भी ज़्यादा शक्तिशाली और खतरनाक हाइड्रोजन बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. उत्तरी कोरिया धरती को हिलाने और मानव जाति का विनाश करने का सामान आखिर क्यों बना रहा है, इस सवाल का जबाब उसके सर्वेसर्वा तानाशाह नेता किम जोंग-उन ये कहकर देते हैं कि अमरीका और दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया पर हमले की तैयारी कर रहे हैं. इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो वक्त ही बताएगा, किन्तु फिलहाल अभी तो उत्तरी कोरिया के आक्रामक तेवर से पूरा विश्व चिंतित है. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का ये कहना है कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग अपने देश की आम जनता, कुलीन वर्ग, सेना, मंत्रियों और वैज्ञानिकों को बेहद क्रूरता से नियंत्रित किये हुए हैं. अपनी दमनकारी कार्रवाइयों और मानवाधिकार हनन से विश्व का ध्यान हटाने के लिए वे मिसाइल प्रक्षेपण, परमाणु परीक्षणों और हमला करने की धमकियों का सहारा ले रहे हैं.
उत्तर कोरिया के उकसाने वाले कदमों को लेकर सयुंक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक आेबामा तक ने उसे गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है. अमेरिकी वित्त विभाग ने यूएस पेट्रीअट एक्ट की धारा 311 के तहत ऐलान किया है कि दुनिया का कोई भी देश जो उत्तर कोरिया के साथ व्यावसायिक लेन-देन करेगा, उसे अमेरिका में बिजनेस नहीं करने दिया जाएगा. उत्तर कोरिया द्वारा किये गए परमाणु परीक्षण को भारत ने ‘गंभीर चिंता का विषय’ बताया है. भारत ने उत्तर कोरिया से ऐसे आत्मघाती कदमों से दूर रहने को कहा है, जो उस क्षेत्र सहित पूरे विश्व की शांति एवं स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. पाकिस्तान ने महज दिखावे के लिए उत्तरी कोरिया की निंदा की है, किन्तु पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान ने परमाणु बम बनाने में उत्तरी कोरिया की काफी मदद की है. उसे परमाणु बम बनाने का फार्मूला पाकिस्तान ने ही दिया है. 2004 में पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान ने न्यूक्लियर बम बनाने का फार्मूला उत्तर कोरिया को बेचने की बात कुबूल की थी.
ये भी एक बहुत बड़ी विडम्बना ही है कि किसी भी नए मुल्क द्वारा परमाणु बम का परिक्षण करने पर वो देश हायतौबा मचा रहे हैं, जो स्वयं परमाणु हथियारों से लैस हैं और जो न तो अपने परमाणु परिक्षण को रोकने और न ही अपने परमाणु हथियारों को नष्ट करने को तैयार हैं. एक अनुमान के अनुसार रूस के पास 8,000, अमेरिका के पास 7,300, फ्रांस के पास 300, चीन के पास 250, ब्रिटेन के पास 225, पाकिस्तान के पास 100-120, भारत के पास 90-110, इस्राएल के पास करीब 80 और उत्तर कोरिया के पास कम से कम छह परमाणु हथियार मौजूद हैं. भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है, लेकिन उसने ये वादा किया हुआ है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा और परमाणु हथियार विहीन देशों के खिलाफ भी वो इनका प्रयोग नहीं करेगा. 10 सितंबर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकार किया गया सीटीबीटी एक बहुपक्षीय संधि है जो सभी माहौलों में सभी परमाणु विस्फोटों, चाहे वे नागरिक उद्देश्य के लिए हों या सैन्य उद्देश्य के लिए, पर रोक लगाती है.
20 साल पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सीटीबीटी (व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि) अंगीकार किए जाने और 183 देशों में से 164 देशों के अनुमोदन के बाद भी यह बहुपक्षीय संधि अबतक लागू नहीं हो पाई है, क्योंकि चीन, उत्तर कोरिया, मिस्र, भारत, ईरान, इस्रायल, पाकिस्तान और अमेरिका आदि आठ खास देशों ने इसे अबतक अनुमोदित नहीं किया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने सभी देशों से परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को प्रभाव में लाने का आह्वान किया है. भारत-पाक सहित कई देश सीटीबीटी सन्धि को पक्षपातपूर्ण बता इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर चुके हैं. परमाणु हथियारों से सम्पन्न देश जो परमाणु क्लब में शामिल हैं, वो नहीं चाहते हैं कि अब कोई नया देश इस क्लब में शामिल हो, लेकिन ये संभव नहीं है. उत्तर कोरिया ने इस बार बहुत ताकतवर परमाणु बम का परीक्षण किया है. अगर पाकिस्तान उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक और सामग्री नहीं दिया होता तो वो परमाणु बम नहीं बना पाता. पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान की ही यह देन है कि उत्तर कोरिया ने परमाणु बम से भी अधिक खतरनाक हाइड्रोजन बम तक बना लिया है.
ए क्यू खान ने न्यूक्लियर बम बनाने का फार्मूला उत्तर कोरिया के साथ ही लीबिया और ईरान को भी बेचने की बात कुबूली थी. निकट भविष्य में हो सकता है कि जल्द ही लीबिया, ईरान, सीरिया, सउदी अरब और यहाँ तक कि आईएसआईएस भी अपने-अपने परमाणु बम का परिक्षण करें. पाकिस्तान की गुस्ताखी और गैरजिम्मेदाराना हरकत देखिये कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पूरे विश्व के लिए खतरा बन चुके ए क्यू खान को नेशनल हीरो करार दिया और उसके अक्षम्य अपराधों को माफ़ कर सारी दुनिया को बेवकूफ बनाते हुए इस्लामाबाद के एक आलिशान महल में नजरबंद रखने का स्वांग रचा. बाद में कोर्ट ने उन्हें बाईज्जत बरी कर दिया. एक दिन परमाणु हथियारों का प्रयोग युद्ध या विश्व युद्ध के रूप में जरूर होगा. युद्ध या विश्व युद्ध भारत-पाक-चीन, उत्तर कोरिया- दक्षिण कोरिया, अमेरिका-चीन-रूस कहीं भी हो, अरबों लोगों की मौत हो सकती है. अच्छा यही होगा कि संसार और मानवता का नाश करने वाले इस खतरे से विश्व अब भी चेत जाए.
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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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