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ब्रिक्स सम्मेलन: पाकिस्तान आतंकवाद का जन्मदाता है- जागरण फोरम
कुछ रोज पहले मुंबई हमले का मास्टरमाइंड और आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद भारत और अमेरिका को चुनौती देते हुए कहा था, “5 साल से अमेरिका ने एक अरब रुपये का इनाम घोषित कर रखा है, लेकिन मैं तो बहुत आराम से हूं. जबकि दुश्मन बहुत परेशान है. मुझे लेकर भारत भी जब बहुत परेशान होता है तो मुझे बहुत इत्मिनान होता है. अमेरिका इस्लामाबाद में आकर पाकिस्तान से पूछता है कि हाफिज सईद का क्या किया है, तो मुझे बहुत खुशी होती है. इन लोगों ने मेरी कीमत एक अरब रुपये लगाई है. पांच साल हो गया है, लेकिन मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया. हिम्मत है तो पकड़कर दिखाओ.’ हाफिज सईद कभी भारत पर परमाणु हमला करने की धमकी देता है तो कभी कहता है कि ‘कयामत तक साबित नहीं कर पाओगे मुंबई हमले में मेरा हाथ.’ दूसरी तरफ आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कर्ताधर्ता मसूद अजहर भारत के खिलाफ जेहाद को जंग में बदलने की चेतावनी देता है. दुनिया के इन दोनों ही मोस्ट वांटेड आतंकियों को पाकिस्तानी सेना और सरकार का पूरा समर्थन हासिल है.
गोवा में दो दिन चले ब्रिक्स सम्मेलन के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के बारे में बिलकुल सही कहा, “हमारे क्षेत्र में आतंकवाद शांति, सुरक्षा और विकास के लिए गहरा खतरा है. दुर्भाग्यवश आतंकवाद का जन्मदाता हमारे पड़ोस में है. ये देश ना केवल आतंकवादियों को पनाह देता है, बल्कि एक मानसिकता को भी बढ़ावा देता है. ये एक ऐसी मानसिकता है जो पूरजोर तरीके से आतंकवाद को राजनीतिक फायदे से जोड़ता है.” प्रधानमंत्री मोदी ने समूचे विश्व को चेतावनी दी कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंक को जन्म देने वाला देश है, बल्कि उसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए पालने पोसने और पनाह देने वाला देश भी है. इस बात में कोई सन्देह नहीं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी मजबूती के साथ पाकिस्तान को घेरा है. उन्होंने आतंकवाद को दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था और विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए ब्रिक्स देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की पुरजोर अपील भी की.
आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन गोवा में पीएम मोदी ने ब्रिक्स नेताओं की बैठक में कहा कि आज बढ़ता आतंकवाद मिडल ईस्ट, वेस्ट एशिया यूरोप और साउथ एशिया के लिए बड़ा खतरा है. हम इस राय से एकमत हैं कि आतंकवाद और इसके समर्थकों को सजा मिलनी चाहिए, इनाम नहीं. ब्रिक्स देशों को इस खतरे के खिलाफ एक सुर में बोलना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए व्यावहारिक तौर पर एक-दूसरे का सहयोग भी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों ने सीसीआईटी समझौता किया है, जिसके अनुसार पाँचों देश आतंकवाद के खिलाफ एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. पाकिस्तान की ओर से भारत पर कई दशकों से जारी आतंकी हमले के मुद्दे पर रूस, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका जहाँ एक तरफ खुलकर भारत के समर्थन में खड़े हुए, वहीँ दूसरी तरफ चीनी राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया. चीन का पाकिस्तान के साथ 50 साल पुराना काफ़ी मज़बूत रिश्ता है. चीन फ़िलहाल तो भारत के लिए पाकिस्तान से अपने रिश्ते खराब करने को तैयार नहीं दिख रहा है.
इसकी एक बड़ी वजह यह है कि चीन 41 अरब यूरो के आर्थिक कॉरीडोर के साथ पाकिस्तान में मजबूती से अपना पैर जमाने में लगा है. इस वृहद् परियोजना के जरिये वो अरब सागर में स्थित पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र के साथ जोड़ेगा. कॉरीडोर में रेल और रोड बनाने के अलावा तेल पाइपलाइन बिछाने की भी योजना है. पाकिस्तान के इन दिनों जो बद से बदतर हालात हैं, उसमें कॉरीडोर बनाने में चीन को आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर की मदद लेने की जरुरत पड़ सकती है. यही वजह है कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर यूएन में प्रतिबंध लगवाने की भारत की दुबारा की गई कोशिश का चीन ने अपनी वीटो पॉवर का दुरूपयोग करते हुए फिर से विरोध किया है. सुरक्षा परिषद के लिए भारत की दावेदारी पर न तो चीन खुले तौर पर समथन कर रहा है और न ही विरोध. एनएसजी के मुद्दे पर भी चीन का रवैया टालमटोल वाला है. भारत के रास्ते में चीन बाधाएँ भी खड़ी कर रहा है और बातचीत जारी रखने का सुझाव भी दे रहा है.
रूस के साथ जो रक्षा सौदे हुए हैं, उससे निश्चित रूप से भारत-रूस के लगभग 70 साल पुराने घनिष्ठ संबंध और बेहतर होंगे. पिछले कुछ सालों से भारत और अमरीका के बीच बढ़ती नज़दीकियां भारत और रूस के रिश्ते को थोड़ा कमज़ोर जरूर कर दी थीं. पीएम मोदी ने कुछ रोज पहले कहा था, “एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है.” ये मुहावरा भारत और रूस दोनों पर ही लागू होता है. पिछले कुछ सालों में भारत की अमेरिका से और रूस की पाकिस्तान से नज़दीकियां बढ़ीं हैं. इसके वावजूद भी रूस और भारत की गहरी मित्रता बढ़ी ही है, घटी नहीं है. ब्रिक्स सम्मेलन से बहुत हद तक भारतीय हितों की पूर्ति हुई है. इसे पूर्णतः सफल कहा जा सकता है. पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों की 8वीं एनुअल समिट के दौरान बिजनेस काउंसिल को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया की सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है, जिससे अब यहां पर व्यापार करना और भी आसान हो गया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बीते दो साल के दौरान गवर्नेंस को आसान बनाने के लिए कई सुधार किए, जिसके अच्छे परिणाम बढ़ते हुए विदेशी निवेश और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के रूप में स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को अगले 4 साल में आपसी व्यापार को दोगुना करके 50 हजार करोड़ डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए. पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों के सहयोग से बनाए गए न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) का स्वागत करते हुए कहा कि यह बैंक हमारे साझा प्रयासों का नतीजा है. हम संभावित आर्थिक परियोजनाओ की पहचान कर उन्हें कार्यरूप देने में ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल को एनडीबी के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. ब्रिक्स सम्मलेन में आतंकवाद के अलावा भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रिका आदि पांचों देशों की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और आपसी समन्वय के मुद्दे पर बहुत विस्तृत और लाभप्रद चर्चा हुई. यही इसे सम्मलेन की सबसे बड़ी सफलता भी है. अंत में जो चीज मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित की, उसकी चर्चा करना चाहूंगा. ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में शिरकत करने आए वैश्विक नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ जैकेट पहना कर भारतीय रंग में रंगा बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी उनका परिचय कराया. इस अवसर पर ओडिशा के कलाकार सुदर्शन पटनायक की बनाई गई रेत की कलाकृतियां भी उन्हें दिखायी गईं. यह सब देखना बेहद सुखद रहा.
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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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