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फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’: देखने न देखने का फैसला जनता को करने दें

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ
ज़रा हट के, ज़रा बच के
ये है बॉम्बे मेरी जाँ…
ऐ दिल है आसाँ जीना यहाँ
सुनो मिस्टर, सुनो बन्धु
ये है बॉम्बे मेरी जाँ…
ऐ दिल है मुश्किल…

मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ ये गीत 1956 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘सी.आई.डी.’ का है. इस दिलचस्प और मधुर गीत में दोनों ही बातें कही गईं हैं कि बॉम्बे यानी मुम्बई में जीना मुश्किल भी है और आसान भी. मुश्किल तब है, जब आप इस शहर की एक ख़ास सोच को चुनॉती देते हैं और आसान तब है, जब आप सबसे घुलमिलकर कोई काम करते हैं. अगले सप्ताह 28 अक्टूबर को दीपावली के मौके पर रिलीज होने वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ करण जौहर की बतौर निर्देशक छठी फिल्म है. उन्होंने अपनी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ का टाईटल और गाना ‘ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ..’ साल 1959 में परदे पर आई मशहूर फिल्म ‘सी.आई.डी.’ से लिया है, जो अभिनेता जॉनी वॉकर पर फिल्माया गया था. इस फिल्म के निर्देशक राज खोसला और निर्माता गुरु दत्त थे. करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के प्रदर्शन पर उस समय भारी मुसीबत आ गई थी, जब राज ठाकरे की पार्टी मनसे यानि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पाकिस्तानी कलाकार फ़व्वाद खान को फिल्म में लेने के कारण फिल्म का विरोध करना शुरू कर दिया और सिनेमा ओनर एन्ड एक्सहिबिटर्स एसोसिएशन (COEAI) ने इस फिल्म को सिनेमाघरों में प्रदर्शित ना होने देने का फैसला सुना दिया.

भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को यू/ए प्रमाण पत्र देकर फिल्म के रिलीज होने का रास्ता साफ कर दिया है, लेकिन फ़िल्म में चूँकि पाकिस्तानी कलाकार फ़व्वाद ख़ान ने भी काम किया है, इसलिए मनसे और कुछ अन्य संगठन अभी भी फिल्म के रिलीज होने का भारी विरोध कर रहे हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने कहा है कि मुंबई में अगर ये फिल्म कहीं भी रिलीज़ हुई तो वो थिएटरों में अपने तरीके से विरोध करेंगे. उनका तरीका क्या होगा, ये वो मुंबई के सबसे बड़े मल्टीप्लेक्स कार्निवल सिनेमा मेट्रो को तोड़फोड़ करने की धमकी वाली चिट्ठी सौंपकर अच्छी तरह से समझा चुके हैं. एमएनएस की तोड़फोड़ करने की धमकी देने के बाद मुंबई मल्टीप्लेक्स कर्मचारियों की यूनियन ने फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के रिलीज होने पर काम पर ना आने का फैसला किया है. मुंबई में लगभग 70-80 के करीब मल्टीप्लेक्स हैं और अधिकतर मल्टीप्लेक्स के कर्मचारी एमएनएस के कामगार संगठन से जुड़े हैं. सरल शब्दों में कहें तो एमएनएस (मनसे) का इन संगठनों पर काफी हद तक कब्जा है. जाहिर सी बात है कि निर्माता निर्देशक करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ का मुम्बई में एमएनएस की सहमति के बिना रिलीज होना संभव नहीं है. उड़ी हमले के बाद देश में देशभक्ति की जो लहर चल रही है, वो लहर ही फ़िल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में पाकिस्तानी कलाकार फ़व्वाद ख़ान के होने को लेकर सवाल खड़े कर रही है.
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हालांकि निर्माता निर्देशक करण जौहर ने लगभग दो मिनट का एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि उनके लिए उनका देश सबसे पहले आता है और वो भारतीय सेना का दिल से सम्मान करते हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि जब पिछले सितंबर से दिसंबर के बीच ये फ़िल्म बन रही थी तब भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बिल्कुल अलग थे. भारत की सरकार पड़ोसी देश (पाकिस्तान) से संबंध सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थी. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब वो किसी पाकिस्तानी कलाकार के साथ काम नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि इस फ़िल्म को बनाने में 300 भारतीय लोगों का भी सहयोग रहा है और अगर ये फ़िल्म रिलीज़ नहीं की गई तो ये उन 300 लोगों के साथ नाइंसाफ़ी होगी. करण जौहर की बहुत चालाकी से इस यूटर्न लेने वाली अपील को एमएनएस ने ठुकरा दिया है और उसने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि मुंबई में कहीं भी अगर ये फिल्म रिलीज़ हुई तो वो थिएटरों में जाकर उसका विरोध करेंगे. मनसे की इस धमकी के बाद 28 अक्टूबर को फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज पर विरोध-प्रदर्शन, तोड़फोड़ और हंगामा होने की पूरी संभावना लग रही है. हालांकि मुंबई पुलिस ने करण जौहर को यह आश्वासन दिया है कि कानून के तहत फिल्म की रिली़ज़ को हर संभव सहायता मुहैया कराई जाएगी.

करण जौहर से देश के लोंगो की नाराजगी की वजह एक और भी है, जिसका जिक्र करते हुए स्वयं करण जौहर ने कहा है कि कुछ लोग उन्हें राष्ट्रविरोधी मानने लगे थे, जिसका उन्हें बेहद अफ़सोस हुआ. इसी साल 21 जनवरी को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में फिल्म निर्माता करण जौहर ने देश में लोकतंत्र पर सवाल उठाते हुए और तथाकथित असहिष्णुता के मुद्दे को फिर से हवा देते हुए कहा था कि मन की बात कहना भारत में सबसे मुश्किल काम है. अभिव्यक्ति की आजादी हमारे देश में सबसे बड़ा मजाक है और लोकतंत्र दूसरा बड़ा मजाक. उन्होंने यह भी कहा था कि मैं एक फिल्म मेकर हूं, लेकिन जब भी फिल्में बनाता हूं तो डरता हूं कि कहीं कोई मेरे खिलाफ किसी बात से नाराज होकर लीगल नोटिस न जारी कर दे. यही नहीं, बल्कि उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में अपने को एफआईआर किंग तक कह डाला था. अक्षय कुमार ने उस समय करण जौहर का विरोध करते हुए कहा था कि हमारा देश बहुत ज्‍यादा सहिष्‍णु है. मुझे अपने देश पर गर्व है. यहां सभी को बोलने की पूरी आजादी है. लेकिन जो भी बोलें सोच-समझ कर बोलें. आप जब भी मीडिया के सामने बोलें तो सारे तथ्‍य की पुष्टि करके ही बोलें. सब जानते हैं कि अक्षय कुमार देश के बारे में फ़ालतू कमेंट करने की बजाय देश के लिए कुछ अच्छा करने में यकीन रखते हैं.
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वो सेना के परिवारों की मदद के लिए अब तक 80 लाख से भी ज्यादा रुपए दान कर चुके हैं. पिछले साल अक्षय कुमार ने महाराष्ट्र के सूखा पीड़ित किसानों को 90 लाख रूपये दिए थे, जब किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे थे. अक्षय कुमार को सलाम करना चाहिए कि वो देश और समाज की बेहतरी के लिए कुछ न कुछ योगदान हर साल देते रहते हैं. देश में फर्जी असहिष्णुता का हौवा खड़ा कर उसकी आड़ में ओछी राजनीति करने वाले और पुरस्कार वापसी का नाटक करने वाले लेखक और कलाकार देश के लिए क्या किये हैं? उन्हें अक्षय कुमार से शिक्षा लेनी चाहिए कि देशप्रेम क्या होता है. मैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और अन्य संगठनों के देशभक्ति के जज्बे को सलाम करते हुए एक अच्छी सलाह यह दूंगा कि फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज पर सिनेमाघरों या मल्टीप्लेक्स में किसी भी तरह की तोड़फोड़ या हिंसा नहीं करनी चाहिए. ज्यादा अच्छा तो यही होगा कि देशवासियों को ही अपने बुद्धि विवेक से यह फैसला करने दिया जाए कि वो फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ देखना चाहते हैं या नहीं? देशभक्ति का जज्बा स्वाभाविक और स्थायी रूप से सभी देशवासियों के मन में हो तो ज्यादा अच्छा है. हिंदुस्तान शान्ति, अहिंसा और मानवता का पुजारी है और मानवता की सेवा का शुभ सन्देश आज वो सारी दुनिया को दे रहा है.

किसी भी मुल्क से हमारा वैर नहीं है, किन्तु पाकिस्तान आजादी के बाद से ही भारत से दुश्मनी निभाता चला आ रहा है. कई दशकों से भारत पर उसके आतंकी हमले निरन्तर जारी हैं. भारत के खिलाफ हमेशा जहर उगलने वाले और हमारे मुल्क में तमाम आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकी सरगना हाफिज सईद, मसूद अज़हर और सैयद सलाउद्दीन पाकिस्तान में ही डेरा जमाये हुए बैठे हैं. पाकिस्तान की सरकार और सेना इनसे मिली हुई है. पाकिस्तान के नेता, खिलाड़ी, लेखक, कलाकार और बुद्धिजीवी वहां के न्यूज चैनलों पर हमें दिनरात गालियां दे रहे हैं. आज से पाकिस्तान में भारतीय टीवी चैनलों का प्रसारण पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. भारतीय फ़िल्में वहां पर पहले से ही वैन है. ऐसे हालात में पाकिस्तानी कलाकार भारत में आकर दौलत व शोहरत कमाएं तथा पाकिस्तान द्वारा हमारे देश में निरन्तर जारी आतंकी हमलों के खिलाफ एक शब्द भी न बोलें, यह बिल्कुल भी उचित नहीं है. ऐसे कलाकारों का बायकॉट होना ही चाहिए, फिल्म इंडस्ट्री के द्वारा काम न देकर और भारत सरकार के द्वारा देश में आने का वीजा न देकर. अंत में चाहे करण जौहर हों या अनुराग ठाकुर या कोई और.. बेवजह हर बात में पीएम मोदी का नाम लेकर उन्हें कोसने वाले महानुभावोँ से बस यही कहूंगा-

बुरा दुनिया को है कहता,
ऐसा भोला तो ना बन
जो है करता, वो है भरता,
है यहाँ का ये चलन
दादागिरी नहीं चलने की यहाँ
ये है बॉम्बे…
ऐ दिल है मुश्किल…

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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