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भूतपूर्व सैनिक की ख़ुदकुशी दुखद है, किन्तु शहादत का दर्जा देना गलत है

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भूतपूर्व सैनिक की ख़ुदकुशी दुखद है, किन्तु उसे शहादत का दर्जा देना गलत है. सीमा पर देश की खातिर अपनी जान न्योछावर करने वाले सैनिक ही शहीद कहलाने के अधिकारी हैं और शहादत का दर्जा भी सही मायनों में उन्हें ही हासिल होना चाहिए.

‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू करने का जो काम 40 सालों में कांग्रेस न कर सकी, वो जटिल काम मोदी सरकार ने कर दिखाया, किन्तु फिर भी एक पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल ने दिल्ली में मंगलवार शाम को वन रैंक वन पेंशन का लाभ न मिलने पर खुदकुशी कर ली. इस दुखद घटना का लाभ उठाने के लिए सियासी संग्राम शुरू हो गया. राहुल गांधी पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल के परिजनों से मिलने आरएमएल अस्पताल गए ताकि वो इस मुद्दे पर अपनी राजनितिक रोटी सेंक सकें. अस्पताल के नियम तोड़कर रामकिशन ग्रेवाल के परिवार से मिलने के लिए जबरदस्ती की गई कोशिश के चलते राहुल गांधी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कुछ अन्य नेता कुछ देर के लिए पुलिस हिरासत में लिए गए और कुछ देर बाद रिहा कर दिए गए. राहुल गांधी दो बार गिरफ्तारी देने का ड्रामा किये और पुलिस की बस में बैठकर हंसते मुस्कुराते हुए फोटो खिंचाते रहे. इससे जग जाहिर हो गया कि वो रामकिशन ग्रेवाल के शोक संतप्त परिजनों से सहानुभूति दर्शाने नहीं, बल्कि एक सैनिक की ख़ुदकुशी पर घटिया राजनीति करने भर को गए थे. पूर्व सैनिक के परिजनों को मंदिर मार्ग थाने में संरक्षण दिए जाने पर राहुल गांधी ने पुलिस पर अपना रोब झाड़ने की असफल कोशिश भी की. रामकिशन ग्रेवाल के परिजनों को वो अपने साथ ले जाने के चक्कर में थे. यदि वो अपने इस मकसद में कामयाब हो जाते तो दिल्ली में न जाने कितना हंगामा होता और दिल्ली के लोंगो को न जाने कितनी परेशानी झेलनी पड़ती.
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पुलिस यदि उन्हें राहुल गांधी के साथ जाने देती तो दिल्ली में और भी घटिया दर्जे की राजनीति होती. दिल्ली पुलिस ने पूरी सूझबूझ और संयम से काम लेते हुए बिल्कुल सही काम किया. उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए वो कम है. आत्महत्या करने वाले 70 वर्षीय पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले थे. वो अपने तीन साथियों के साथ वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय को ज्ञापन सौंपने के लिए दिल्ली आए हुए थे. दिनांक 31 अक्टूबर को उन्होंने अपना ज्ञापन रक्षा मंत्रालय को दिया था, किन्तु मानसिक रूप से वो इतने हताश और निराश थे कि रक्षा मंत्रालय के जबाब का कुछ रोज तक इन्तजार तक नहीं किये और ज्ञापन देने के अगले ही दिन जवाहर भवन स्थित एक पार्क में दोपहर के समय सल्फास की गोलियां खाकर बेहोश हो गए. सूचना मिलते ही पुलिस उन्हें तत्काल डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराई, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. शाम करीब पांच बजे उनकी मौत हो गई. इसकी खबर मिलते ही देश में ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ करने वाले वाले सत्तालोलुप नेताओं की देश में विकासवादी और बेहतरीन शासन चला रही मोदी सरकार से सियासी जंग शुरू हो गई. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक ने हर बात के लिए सीधे सीधे प्रधानमंत्री मोदी को ही कोसना शुरू कर दिया. मोदी ही इनके एकमात्र सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं, जो हर बात के लिए जिम्मेदार हैं.

सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर और सेना के जवानों का प्रधानमंत्री मोदी के प्रति बढ़ता प्रेम व् विश्वास देखकर बैकफुट पर आ गई विपक्ष इसी बहाने केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ी बेशर्मी से सड़क पर उतर आई. जैसे ही बुधवार की सुबह राम किशन के परिजन डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे, वैसे ही मौत पर भी ओछी राजनीति करने वाले नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुँचने शुरू हो गए, ताकि राम किशन के परिजनों से सहानुभूति दर्शाने के बहाने मिलें और उन्हें अपने साथ मिला ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ का डर्टी खेल खेलें. पुलिस ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अस्तपताल के भीतर नहीं जाने दिया और हंगामा खड़ा करने पर उन्हें हिरासत में ले लिया और कुछ देर बाद रिहा कर दिया. लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल जहाँ पर पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल का पोस्टमॉर्टम किया गया, वहां पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को हिरासत में लिया गया और उन्हें आरके पुरम थाने लाने के बाद रिहा कर दिया गया. सीमा पर शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से मिलने नहीं जाने वाले राहुल गांधी ने वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर जंतर-मंतर पर खुदकुशी करने वाले पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल को शहीद तक घोषित कर दिया. देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले राहुल गांधी को ये मालूम न हो कि शहीद किसे कहते हैं, ये संभव नहीं.
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सब जानते हैं कि ये सब ड्रामा वोटों की ओछी राजनीति के सिवा और कुछ नहीं. मीडिया पर प्रकाशित खबरों के अनुसार दिल्ली पुलिस रामकिशन ग्रेवाल के पार्थिव शरीर और उनके परिजनों को लेकर भिवानी जिले के बामला गांव पहुँच गई है, जहाँ उनका अंतिम संस्कार होना है. खबर है कि राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल सहित अन्य कई नेता अपनी ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ जारी रखने के लिए पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे. रामकिशन ग्रेवाल की दुखद मौत के बाद कांग्रेस तथा आप समेत कई राजनीतिक दल केन्द्र सरकार पर वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) ठीक से लागू नहीं करने का जो आरोप लगा रहे हैं, उसमे सच्चाई कम राजनीति ज्यादा हैं. ‘वन रैंक, वन पेंशन’ जैसा जटिल मुद्दा हल कर भारतीय सेना के लिए एक ऐतिहासिक कार्य करने पर मोदी सरकार से उनकी जलन समझ में आती हैं, किन्तु ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को लागू करने में हो रही कुछ तकनीकि त्रुटियों को लेकर घटिया राजनीति करना शर्म की बात है. सूबेदार रामकिशन ग्रेवाल की ख़ुदकुशी दुखद हैं, किन्तु उसे शहादत का दर्जा देना गलत हैं. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल को वन रैंक वन पेंशन का लाभ मिल रहा था. उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के हिसाब से पेंशन लाभ दिया जा रहा था, लेकिन भिवानी की एसबीआइ शाखा की तकनीकि गलती के कारण कम पैसा मिल रहा था. सरकार का कहना है कि अब इस मामले की जांच की जाएगी.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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