Menu
blogid : 15204 postid : 1293154

नोटबंदी के कारण नकदी की अभूतपूर्व कमी से जूझता भारत- जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

नोटबंदी के अच्छे और क्रांतिकारी फैसले के बाद से ही देश के हर बैंक, डाकखाने और एटीएम में लोगों का हुजूम उमड़ रहा है. भीड़ इतनी ज्यादा है कि बैंक और एटीएम के सामने दिनभर लंबी क़तारें लगी रहतीं हैं. एक ओर जहाँ बहुत से एटीम काम ही नहीं कर रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ बैंकों और एटीएम में कैश तेज़ी से खत्म हो जा रहे हैं. देश में नकदी की ऐसी अभूतपूर्व कमी पहले कभी देखने को नहीं मिली. ज्यादा दिनों तक यही हाल रहा तो देश में अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो जायेगी. बैंकों और एटीएम के आगे घंटों खड़े रहने के वावजूद भी लोंगो को पैसा नहीं मिल पा रहा है. जिन्हें पैसा मिल रहा है, वो भी असंतुष्ट हैं, क्योंकि कैश विड्राव करने की सीमा 4000 रूपये बैंक से और दो हजार रुपए एटीम से तय कर दी गई है. इतनी कम रकम में लोग अपने रोज़मर्रा के कामों को नहीं निपटा पा रहे हैं. अपने किसी परिजन के अंतिम संस्कार के लिए, अस्पताल व डाक्टरों की फ़ीस जमा करने के लिए और घर के किसी सदस्य की तय शादी में खरीदारी करने के लिए आम लोग इन दिनों ऐसी विकट आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं कि उनके दर्द को बयान करना मुश्किल है. बस इतना ही कहना काफी हैं कि ‘जाके पाँव ना फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई.’
phpThumb_generated_thumbnail
कई घंटे तक लाइन में खड़े रहने वाले बुजुर्गों की लड़खड़ाने, गिरने से लेकर मरने तक की खबरें दिल को गहरी ठेस पहुंचाती हैं. कुछ बुजुर्ग जो बुढापे की मार के कारण ठीक से चलने में भी असमर्थ हैं, इस उम्र में लाइन में खड़े होने पर आंखों में बेबसी के आंसू हैं, फिर भी रुंधे स्वर में कहते हैं, ‘मोदी साहब ने बहुत अच्छा कार्य किया हैं. ये हमारी भावी पीढ़ियों के भविष्य को उज्जवल करेगा.’ बैंकों और एटीएम की कतार में घंटों खड़े रहने वाले देश के अधिकतर युवा भी यही कह रहे हैं कि कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए पीएम मोदी ने बड़े नोटों की नोटबंदी का जो क्रांतिकारी निर्णय लिया हैं, वो देशहित में बिलकुल उचित है. कुछ रोज की थोड़ी दिक्कते हैं, पर हम झेल लेंगे.’ मेरे पास भी 9 नवम्बर को रोज़मर्रा के जरुरी कामों को निपटाने के लिए और रसोई का कुछ सामान मंगाने के लिए रूपये नहीं थे. टीवी पर बैंक और एटीम में भीड़ देख जाने की हिम्मत नहीं हुई. मैंने बहुत झिझकते हुए अपनी पांच साल की बेटी से उसका गुल्लक माँगा. वो गुल्लक लाकर दे दी. मैं सोचने लगा कि तोड़ें न तोड़ें. मुझे दुविधा में फंसा देख पत्नी ने मेरे हाथ से गुल्लक लेकर तोडा तो उसमें पांच हजार के करीब पांच दस के सिक्के और दस, बीस, पचास और सौ के रूपये निकले.

बेटी की तरफ देखते हुए मैं परेशान था कि गुल्लक टूटने के बाद अब वो रोयेगी, लेकिन वो रोई नहीं. मेरे पास आकर बोली, ‘पापा! आप सब रूपये ले लो. बस मुझे एक नया गुल्लक लाकर दे देना.’ भावावेश में बेटी के सिर पर मैं हाथ रखा और अपनी आँखों के आंसू पोछने के लिए कमरे के बाहर निकल आया. बेटी के जमा किये हुए पाँच हजार रूपये का अब मैं कर्जदार हो गया था. ‘पापा! क्या हो गया? आप बाहर क्यों आ गए?’ बिटिया कुछ ही पल में मेरे पास आकर पूछी. उसे अपनी गोद में उठाते हुए मैं बोला, ‘कुछ नहीं बिटिया.. बस यूँ ही.. आँख में कुछ पड़ गया था.’ ‘तो मैं आँख में डालने के लिए गुलाबजल लाऊं?’ उसने चिंतित होते हुए पूछा. मैंने हंसकर कहा, ‘नहीं.. इसकी जरुरत नहीं.. अब ठीक हैं..’ फिर बात बदलते हुए मैंने कहा, ‘तुम्हारे गुल्लक से आज देखों कितना सारा कालाधन निकला है? मोदी जी सब ले लेंगे.’ बिटिया मुझे समझाते हुए बोली, ‘नहीं.. थोड़ा पैसा कालाधन नहीं होता है.. प्रधानमंत्री जी मेरा पैसा नहीं लेंगे.. वो पूरे रूम भर का ढेर सा रुपया हो न तब लेते हैं..’ उसे नीचे उतारते हुए पूछा, ‘मोदी जी जानती हो कौन हैं ?’ वो बोली, ‘देश के प्रधानमंत्री हैं.. कितनी बार बता चुकी हूँ.. अब मत पूछना..’ मोदी जी के कार्यों के बारे में थोड़ा बहुत छोटे बच्चे भी जानते हैं.
400x400_MIMAGEfce429e19bc702829a6371f079d4a807
ये बड़ों को हैरान करने वाली, किन्तु बहुत अच्छी बात है. देश के भविष्य हैं ये बच्चे. देश के बच्चों और युवा पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए मोदी जी ने जो नोटबंदी की है, उस पुनीत कार्य में देश की अधिकतर जनता उनके साथ है. जनता केवल थोड़ी और राहत व छूट चाह रही है. रूपये बदलवाने की सीमा कुछ और बढे. रूपये जमा करने और निकलवाने की लाइन अलग अलग हो. महिलाओं, बुजुर्ग और विकलांग लोंगो के लिए बैंकों में अलग से एक अच्छी व्यवस्था हो. देशभर के एटीम में जल्द से जल्द नए नोटों को रीड करने वाला सेंसर और नोट रखने की ट्रे बदली जाए, ताकि 500 और 2000 के नॉट जनता को आसानी से उपलब्ध हो सके. जब तक बड़े नोट चलन में नहीं आएंगे तब तक नकदी की किल्लत दूर नहीं होगी. किसी जरुरी चीज की कमी होने की अफवाह उड़ाकर, डॉलर और सोना खरीदकर कालाधन खपाने वालों पर केंद्र सरकार को निगाह रखनी होगी. अभी कुछ रोज पहले कालाधन खपाने वालों ने खूब नमक खरीदा और नमक की कमी होने की अफवाह कई जगहों पर फैलाई, जिससे नमक 300-400 रूपये किलो तक बिका और जनता के बीच अफरातफरी भी मची. नोटबंदी और जनता की परेशानी को भुनाने की जुगत में कई राजनीतिक दल भी लगे हैं. कोई आश्चर्य की बात नहीं जो बैंक और एटीम पर भीड़ बढ़ा ये लोग अराजकता फैलाने की कोशिश करें.

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh