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नोटबंदी: संसद में सार्थक बहस हो और कालेधन के खिलाफ ठोस कार्यवाही

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात के भरूच में सहकारी बैंक के भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने नोट बंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला करने के लिए कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों पर पर तीखा प्रहार किया. अमित शाह ने कहा, ‘दस साल के सोनिया-मनमोहन राज में हर महीने एक घोटाला होता था. 2जी, सीडब्ल्यूजी, कोल ब्लॉक आवंटन, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी, विमान खरीद घोटाले उनमें से कुछ एक हैं. इसके जरिये कांग्रेसी नेताओं ने 12 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो तीन आम बजट के बराबर है. मोदी ने उसे रद्दी के ढेर में बदल दिया. आठ नवंबर को उठाए गए कदम से कांग्रेसी नेताओं के चेहरे की चमक चली गई है.’ राहुल गांधी पर तंज कास्ट हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष चार हजार रुपये का नोट बदलवाने के लिए चार करोड़ की कार से बैंक गए थे.’ भाजपा अध्यक्ष ने अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव तथा अन्य विपक्षी नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये सब बड़ी परेशानी में हैं, लेकिन इसकी वजह छुपा रहे हैं.
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पांच सौ और एक हजार के नोट वापस लेने से काला धन रखने वाले परेशान हैं, आमलोग नहीं.’ अमित शाह की बात को सच माने तो प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्ट तरीके से कमाए कांग्रेस के 12 लाख करोड़ रुपये को रद्दी में बदल दिया. अमित शाह का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है. यदि वाकई ऐसा है और पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से दिया गया बयान है तब तो मोदी सरकार को उन दलों और नेताओं पर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए, जो बड़ी मात्रा में काला धन अपने पास छुपाये हुए हैं. यदि ये सच है तो सरकार को किसी भी कीमत पर और किसी भी हालत में नोट बंदी का क्रांतिकारी व् ऐतिहासिक फैसला वापस नहीं लेना चाहिए, जैसा कि पीएम मोदी दावा और वादा कर रहे हैं. तमाम विपक्षी दल संसद के आज से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में पांच सौ और हजार रूपये के नोट को वापस लेने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में में जुटे हैं, जिसमे एनडीए और भाजपा का सहयोगी दल शिवसेना भी शामिल है. पीएम मोदी ने नोट बंदी के पक्ष में तल्ख तेवर अपनाते हुए सदन में सरकार द्वारा सख्त रुख अपनाने का स्पष्ट संकेत दे दिया है.

पीएम मोदी ने कहा है कि सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है. उन्होंने विपक्ष को नोटबंदी के मुद्दे पर खुलकर बहस करने की चुनॉती दी है. विपक्ष को उनकी इस चुनॉती को स्वीकार करना चाहिए. सरकार चर्चा के लिए तैयार है, किन्तु सदन की आज की कार्यवाही को देखते हुए यही लगता है कि विपक्ष का मकसद इस मुद्दे पर कोई सार्थक चर्चा करना नहीं, बल्कि महज हंगामा खड़ा करना भर है. आम जनता नोट बंदी से परेशान है, इसमें कोई संदेह नहीं, किन्तु यह भी गौर करने वाली बात है कि देश की अधिकतर जनता नोट बंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ है और वो इस फैसले से देश का भविष्य बहुत बेहतर होने की उम्मीद कर रही है. बैंकों और एटीम पर एक हफ्ते बाद भी भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है. नोट बदलवाने वाले लोंगो के बाएं हाथ में अमिट स्याही भी लगाईं जा रही है, ताकि वो एक हफ्ते के अंदर दुबारा बैंक में रूपये बदलवाने न आएं. दरअसल इसी गलत तरीके से बहुत से लोग मजदूरों और गरीब लोंगो के सहारे अपना कालाधन सफ़ेद करने में जुटे हुए थे.
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नोट बंदी कुछ अच्छे नतीजे भी नजर आने लगे हैं. काश्मीर घाटी में शान्ति और खुशहाली लौटने लगी है. दसवीं और बारहवीं के बच्चे चेहरे पर रौनक और दिल में बेइंतहा ख़ुशी के साथ एक अच्छे माहौल में अपनी परीक्षाएं दे रहे हैं. अलगाववादी और पत्थरबाज भी इस समय खामोश हैं. नोट बंदी से सबसे ज्यादा बेचैनी पाकिस्तान को हो रही है, जो अपने यहां छपने वाले नकली नोट भारत में अब खपा नहीं पा रहा है. ‘खिसियानी बिल्ली खम्बा नोंचे’ वाली तर्ज पर वो सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करते हुए वक्त बेवक्त फायरिंग किये जा रहा है, जिसका उसे भारतीय सेना की तरफ से करारा जबाब भी मिल रहा है. इससे भारत को भी जानमाल का नुकसान हो रहा है और पाकिस्तान भी अपने सैनिकों और नागरिकों के हताहत होने की शिकायत कर रहा है, किन्तु फिर भी दोनों मुल्कों के बीच बेमियादी और अघोषित जंग जारी है. ये जंग कब ख़त्म होगी, किसी को पता नहीं. अंत में, मोदी सरकार के बेशकीमती नवरत्नों में से एक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, जो इन दिनों किडनी फेल होने से पीड़ित है. उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना है कि वो शीघ्र स्वस्थ हों.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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