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कांग्रेस पार्टी का 132 वां स्‍थापना दिवस: सकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को अपना 132 वां स्‍थापना दिवस मनाया, जो कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी द्वारा नोटबंदी को लेकर पीएम मोदी पर हमला करने तक ही सीमित रहा. इतिहास की बात करें तो सन 1885 में ब्रिटिश राज के समय कांग्रेस की स्थापना आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए हुई थी. इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम और दादा भाई नौरोजी जैसे महान नेता शामिल थे. देश को आजाद कराने में कांग्रेस ने सामाजिक और राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. महात्मा गांधी चाहते थे कि कांग्रेस को आजादी के एक वृहद् जन आंदोलन के रूप में भारत की जनता हमेशा याद रखे, इसलिए आजादी के बाद वो कांग्रेस रूपी मंच को ख़त्म करना चाहते थे, किन्तु उनके सुझाव की अवहेलना करते हुए कांग्रेस से जनता के जुड़ाव को भुनाने के लिए 1947 में आजादी के बाद, कांग्रेस को एक राजनीतिक पार्टी के रूप स्थापित कर दिया गया. आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए 16 आम चुनावों में से कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत हासिल किया और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया. कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री देश पर शासन कर चुके हैं.

पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और हाल ही में मनमोहन सिंह थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने आजादी से लेकर अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में वो केवल 44 सीटें ही जीत सकी. 2014 के लोकसभा चुनाव में, देशभर में केवल 44 सीटें जीतना यही दर्शाता है कि कांग्रेस से अब देश की जनता का पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है, जो आजादी के एक मंच के रूप में और इसके कुछ प्रसिद्द नेताओं जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से जुड़ाव की वजह से था. जनता को कांग्रेस से बड़ी उम्मीदें थीं, पर पूरी नहीं हुईं. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने भारत की गद्दी पर आज़ादी के बाद से लेकर अबतक लगभग 60 सालो तक राज किया है. इतने लंबे समय में कांग्रेस अगर ईमानदारी से शासन चलाती तो कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला हमारा देश भारत फिर से सोने की चिड़िया बन गया होता और गरीबी व बेरोजगारी की भीषण मार से छुटकारा पा लिया होता. किन्तु दुर्भाग्य से कांग्रेस के शासनकाल में मनमाने लूटपाट के कारण इसके ठीक उल्टा ही घटित हुआ.
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पीएम मोदी अक्सर अपनी सभाओं में कहते हैं कि कांग्रेस ने आजादी के बाद से लेकर अब तक सिर्फ और सिर्फ देश को लूटने का काम ही किया है. उनके बार बार ऐसा कहने के पीछे कुछ ठोस कारण हैं. आइये, एक नजर उन ठोस कारणों पर डालें. सब जानते हैं कि कांग्रेस में मुख्य रूप से नेहरू-गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है, जो आज भी है. राहुल गांधी ने एक बार कहा र्था कि कांग्रेस पार्टी नहीं, बल्कि एक परिवार है. उन्होंने बिलकुल सही कहा था. देश को इसी परिवार ने लूटा. आज़ाद भारत में बहुत से ऐसे घोटाले हुए हैं, जिनमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके परिवार के लोगों पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं. मूंदड़ा स्कैंडल- जिसे जवाहरलाल नेहरू से जोड़कर देखा गया. सन1957 में कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा ने नेहरू सरकार पर दबाब डालकर सरकारी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के ज़रिए अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का निवेश कराया, जिससे एलआईसी को कई करोड़ का नुक़सान उठाना पड़ा था. मजेदार बात है कि इस केस को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दामाद फ़िरोज़ गांधी ने उजागर किया था.

नागरवाला स्कैंडल- जिसमे इंदिरा गांधी पर आरोप लगे थे. सन 1971 में रुस्तम सोहराब नागरवाला नामक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज़ की नकल करके संसद मार्ग स्थित स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा को फ़ोन करके 60 लाख रुपए निकलवा लिए थे. पकडे जाने पर उसने कहा था कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दफ़्तर के आदेश पर बांग्लादेश संकट से निपटने के लिए उन्होंने बैंक से पैसा लिया. रुस्तम सोहराब नागरवाला की जेल में ही रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी. मारुति घोटाला- 1973 में भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम मारुति घोटाले में आया था. इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने यात्री कार बनाने का लाइसेंस लिया था. उसी आधार पर 1973 में मारुति टेक्निकल सर्विसेज़ प्राइवेट लि. की स्थापना कर कोई तकनीकी योग्यता न होते हुए भी सोनिया गांधी को कंपनी का एमडी बनाया गया. कंपनी को इंदिरा सरकार की ओर से हर संभव मदद दी गई. टैक्स, फ़ंड और ज़मीन सम्बन्धी कई छूटें लेकर भी कंपनी बाजार में बेचने लायक एक भी कार नहीं बना सकी और अंततः भारी घाटे में 1977 में बंद कर दी गई.
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बोफ़ोर्स घोटाला– इस घोटाले ने 1980 और 1990 के दशक में गांधी परिवार के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया. आरोप थे कि स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के तौर पर 64 करोड़ रुपए राजीव गांधी को दिए थे. कुछ समय बाद सोनिया गांधी पर भी बोफ़ोर्स तोप सौदे के मामले में कमीशन लेने के गंभीर आरोप लगे थे. नेशनल हेराल्ड केस- मार्च 2011 में सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने यंग इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी खोलकर नेशनल हेरल्ड में एजेएल यानि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की 1938 में कांग्रेस के पैसे से बनी कंपनी का पैसा लगाया. सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ख़िलाफ़ संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया था. इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालत में हाजिर होना पड़ा था और फिलहाल वो जमानत पर हैं. वाड्रा-डीएलएफ़ घोटाला- 2012 में सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लेने का आरोप लगा था.

आरोप यह भी लगा कि उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई हिस्सों में बेहद कम क़ीमतों पर ज़मीनें ख़रीदीं. अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला- 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इतालवी चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस वीआईपी चॉपर ख़रीद के पीछे अहम भूमिका निभाने के आरोप लगे थे. कांग्रेस के हाल ही के शासनकाल में हुए कुछ और घोटालो पर नजर डालें तो कोल् ब्लॉक घोटाला, आदर्श घोटाला, 2G घोटाला, बोफोर्स घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, सी डब्लू जी घोटाला, टाट्रा ट्रक घोटाला, एयरसेल मैक्सिस घोटाला आदि घोटाले ही घोटाले नजर आएंगे. ये वो घोटाले हैं जो सामने आये, बहुत से घोटालों का तो पता ही नहीं चला. पता चलता तो गिनते गिनते जनता थक जाती. उम्मीद थी कि कांग्रेस पार्टी बुधवार को अपने 132 वें स्‍थापना दिवस पर आत्मचिंतन करेगी और अपने भीतर कोई सकारात्मक बदलाव लाएगी, किन्तु राहुल गांधी के ऊपर सवार मोदी फोबिया रूपी जिन्न मोदी विरोध के सिवा कुछ न करने दिया.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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