Menu
blogid : 15204 postid : 1306696

काशी विद्वत परिषद् का शास्त्रार्थ और शंकराचार्य का बयान हास्यास्पद- समीक्षा

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

ज्योतिष शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी का निर्णय शास्त्र और मनुस्मृति के सिद्धांतों विरुद्ध है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नोटबंदी का निर्णय वापस ले लेना चाहिए. शंकराचार्य का बयान कितना हास्यास्पद है, देश की समझदार जनता को ये बताने की जरुरत नहीं. सबलोग जानते हैं कि नोटबंदी की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में प्रधानमंत्री जी को नोटबंदी का निर्णय वापस लेने की सलाह देना एक चुटकुला भर लगता है. दूसरी हास्यास्पद बात ये कि नोटबंदी का निर्णय शास्त्र और मनुस्मृति के सिद्धांतों विरुद्ध है. देश हमारे संविधान के आधार पर चल रहा है, शास्त्र और मनुस्मृति के सिद्धांतों के अनुसार नहीं, इसलिए ऐसी अतार्किक बातें कहना महत्वहीन और हास्यास्पद ही है. शंकराचार्य जी ने यह भी कहा कि काशी विद्वत परिषद् भी नोटबंदी के निर्णय के विरुद्ध है. सब जानते हैं कि काशी विद्वत परिषद् पर शंकराचार्य जी का वर्चस्व है और उन्ही की पहल पर केदार घाट स्थित उनके श्रीविद्यामठ में काशी विद्वत परिषद् से जुड़े विद्वानो ने शास्त्रार्थ का आयोजन किया.
2014_06_24_07_03_07_Shankaracharya12
इस शास्त्रार्थ में काशी विद्वत परिषद् से जुड़े विद्वानो ने कहा कि विमुद्रीकरण देश हित में नहीं है. अवैध तरीके से जो धन अर्जित किया जाता है वही असित या आम बोलचाल की भाषा में काला धन है और इस प्रकार के धन को नोटबंदी से खत्म नहीं किया जा सकता है. काशी विद्वत परिषद् के विद्वानो का कहना है कि मनुस्मृति की व्यवस्था के अनुसार बैंकों में जमा जनता का पूरा धन यदि उन्हें वापस नहीं किया जाएगा तो पीएम मोदी दंड के भागी होंगे. सोचिये कितनी हंसी वाली बात है. नोटबंदी के बाद बैंकों में जो धन जमा हुआ है, वो अवैध तरीके से अर्जित नहीं किया गया है, इसका कोई पुख्ता प्रमाण क्या काशी विद्वत परिषद् के विद्वानो के पास है? बैंकों में जमा धान काला है या सफ़ेद, इस बात का निर्णय कौन करेगा, काशी विद्वत परिषद् या फिर केंद्र सरकार के संगठन, जैसे- आयकर विभाग, बैंक और आरबीआई? जाहिर सी बात है कि इस बात का निर्णय केंद्र सरकार के संगठनों को ही करना है. दूसरी बात ये कि हमारा देश क़ानूनी रूप से मान्यता प्राप्त एक संविधान के अनुसार चल रहा है, ऐसे में मनुस्मृति की मान्यता और महत्व ही क्या है?

शास्त्रार्थ के दौरान नोटबंदी के पक्ष में जिन ​विद्वानो ने अपने विचार रखे, उसे कोई महत्व नहीं दिया गया. उन्होंने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए हितकारी बताते हुए कहा कि 1000 और 500 के नोट के कारण देश में आतंकवाद और माओवाद बढ़ रहा था. कश्मीर में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी में और देशभर में नक्सली हिंसा में आई भारी कमी इस बात का पुख्ता सबूत है. पाकिस्तान से नकली नोट की बड़ी खेप भारत के बाजारों में आने से देश की अर्थव्यवस्था भी डावाडोल हो रही थी. देशहित वाली इन बातों को कोई महत्व नहीं दिया गया. देशहित से ज्यादा कांग्रेस का हित सर्वोपरि हो गया. देश की जनता इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद जी हमेशा से ही कांग्रेस के प्रबल समर्थक रहे हैं और कांग्रेस भी उनका इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए कई दशकों से करती चली आ रही है. सच बात तो ये है कि नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस का विरोध और धरना-प्रदर्शन जब टॉय टॉय फिस्स हो गया तो इस तरह की धर्म पर आधारित राजनीतिक चालें चली जाने लगीं. जनता सबकुछ जानती है.
RAHUL-GANDHI-620x400
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस की जनसंवेदना रैली में बोलते हुए कहा, “कुछ दिनों पहले मैं शिवजी की तस्वीर देख रहा था तो मैंने देखा कि शिव जी की पिक्चर में कांग्रेस का चुनाव का चिन्ह दिख रहा था. मैने सोचा बड़ी अजीब से बात है. फिर मैंने गुरू नानक जी की फोटो देखी उसमें कांग्रेस का चिन्ह, बुद्धा जी फोटो देखी उसमें कांग्रेस का चिन्ह, महावीर जैन जी की फोटो में कांग्रेस का चिंन्ह, हजरत अली जी की फोटों में कांग्रेस का चुनाव चिन्ह.” धर्म पर आधारित राजनीति करने वाला यह भाषण राहुल गांधी ने पूरे होशोहवास दिया. क्या चुनाव आयोग इस पर कोई कार्यवाही करेगा या फिर माननीय सुप्रीम कोर्ट इस ओर ध्यान देगी, जो धर्म-जाति पर आधरित राजनीति के खिलाफ हैं. विचित्र बात देखिये कि विभिन्न धर्मों के संतों के आशीर्वाद और कांग्रेस के चुनाव चिन्ह में राहुल गांधी को समानता दिख रही है. सब जानते हैं कि कांग्रेस का हाथ 1984 में गुरु नानक देव जी के अनुयायी हजारों निर्दोष सिखों के कत्लेआम से रंगा है. कांग्रेस यह भी न भूले कि श्री गुरु नानक देव जी ने मलिक भागो की रोटी हाथ में ले पंजे में से खून निकलता भी दिखाया था.

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh