Menu
blogid : 15204 postid : 1313249

रेनकोट पहनकर ‘नहाने की कला’: मोदी के तंज पर हंगामा है क्यूँ बरपा? -राजनीति

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

सूरज में लगे धब्बा, फ़ितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहे काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है
हंगामा है क्यूँ बरपा..

मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने क्या खूब फ़रमाया है. सूरज पर लगे दाग तो जनाब फ़ितरत यानि कुदरत के करिश्मे हैं. उसमे भला सूरज का क्या दोष? इस युग का एक यह भी बहुत बड़ा करिश्मा है कि आजकल बुत यानि मूर्तियां इंसानों को काफ़िर कह रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ‘नहाने की कला’ पर हँसते मुस्कुराते हुए 100 प्रतिशत सत्य एक व्यंग्य क्या कस दिया, उसपर उसदिन से जो हंगामा मचा है, वो आजतक जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए कहा था, “इस देश में आर्थिक क्षेत्र से शायद ही कोई दूसरा है, जो आज़ादी के बाद देश के 70 साल में से आधे वक़्त इतना वर्चस्व रख सका है. इन 70 में से 30-35 साल वे (मनमोहन सिंह) सीधे तौर पर वित्तीय फ़ैसलों से जुड़े रहे हैं. इस दौरान इतने सारे घोटाले हुए…हम लोग डॉ साहब से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं. इतना कुछ हुआ, लेकिन उनके दामन पर एक भी दाग़ नहीं लगा. बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की ये कला तो डॉक्टर साहब से ही सीखी जा सकती है.”

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाथरूम में रेनकोट पहनकर ‘नहाने की कला’ पर हंसी मजाक में कहा गया यही वो बयान था, जिसे अपनी पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तौहीन मानते हुए बुधवार को कांग्रेस ने सदन से वाकआउट किया और अब कांग्रेस ने यह चेतावनी दी है कि अगर पीएम मोदी ने माफी नहीं मांगी तो वे संसद के दोनों सदनों में पूरे बजट सत्र के दौरान उनके भाषण का बायकॉट करेंगे. कांग्रेस की शिकायत थी कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में न बोलकर केवल बड़ी बड़ी जनसभाओं में ही बोलते हैं. अब पीएम मोदी ने संसद में समय देना और बोलना शुरू किया है तो भी कांग्रेस को परेशानी हो रही है. दरअसल कांग्रेस की असली परेशानी यह है कि कई राज्यों में चुनाव का समय चल रहा है और चतुर राजनीतिज्ञ मोदी कांग्रेस की कमजोर नस दबा दिए हैं. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोग जानते हैं कि 2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते अनेकों घोटाले हुए और उन्होंने एक भी घोटालेबाज को नहीं पकड़ा, बल्कि सारे घोटालेबाज कोर्ट और भाजपा सहित कई विपक्षी नेताओं ने पकडे. इसमें सुब्रह्मण्यम स्वामी की भूमिका भी उल्लेखनीय रही.

2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस के शासनकाल में 12 लाख करोड़ रूपये के हुए अनेकों घोटाले ही कांग्रेस की कमजोर और दुखती नस बन चुकी है. जिसे दबाते ही वो दर्द और शर्म से छटपटाने लगती है. मजेदार बात ये है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नाक के नीचे 10 साल तक घोटाले होते रहे और वो इसकी जिम्मेदारी लेने से साफ़ बचना चाहते हैं. सोचने वाली बात है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि 1.76 लाख करोड़ रूपए का टू-जी घोटाला, 1.86 लाख करोड़ रूपए का कोयला घोटाला, 72 हजार करोड़ रुपये का राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला आदि 12 लाख करोड़ रूपए के घोटालों का मोटा माल किसने खाया? जो पकडे गए सो पकडे गए, पर वो किसी का नाम लेना नहीं चाहते हैं. वाह रे पूर्व प्रधानमंत्री.. तभी तो पीएम मोदी ने कहा कि बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो डॉक्टर मनमोहन सिंह साहब से ही सीखी जा सकती है. इसका सीधा सा अर्थ यही है कि मनमोहन सिंह की गठबंधन वाली सरकार में घोटालों की तेज बारिश होती रही और वो मूकदर्शक व विरक्ति वाली रेनकोट पहनकर उस बारिश से अपने को बचाते रहे.

यदि मनमोहन सिंह खुद को साफपाक रहते हुए घोटालों के लेनदेन से दूर रहे हों तो भी वो सरकार का मुखिया होने के नाते अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं. उनके शासनकाल में कई लाख करोड़ रूपये के घोटाले हुए, ये एक ऐसी कड़वी सच्चाई है, जिससे वो मुंह नहीं फेर सकते. कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए भले ही मनमोहन सिंह इस बात को सार्वजनिक रूप से न स्वीकारें, किन्तु उनके मन में इस कड़वी सच्चाई का अहसास जरूर होगा. यही वजह थी कि सदन में चुपचाप बैठकर प्रधानमंत्री मोदी की बात सुनते मनमोहन सिंह कांग्रेस के सदन से वाकआउट करने के फैसले से शायद सहमत नहीं थे, लेकिन मोदी के कड़वे भाषण से तिलमिलाए कांग्रेस के नेता उनके कान में कुछ बोले और उन्हें अपने साथ लेकर सदन के बाहर चले गए. कांग्रेस के नेता मोदी पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने मनमोहन सिंह, कांग्रेस और सदन का अपमान किया. यह भी हास्यास्पद बात है. कांग्रेस वाले प्रधानमंत्री मोदी के लिए क्या क्या कहते हैं, ये देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया जानती है. कांग्रेस वाले खुद मर्यादा लांघते हैं और जवाब सह नहीं पाते हैं. राहुल गांधी गांधी जब देखो तब चुनावी जनसभाओं में अडानी, अंबानी और विजय माल्या का नाम लेकर पीएम मोदी को कोसते हैं.

जबकि सच्चाई ये है कि संप्रग सरकार ने ही अडानी और अंबानी के 36 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये थे और वर्ष 2012 में जब भारतीय स्टेट बैंक ने विजय माल्या के खाते सील कर दिए थे तब संप्रग सरकार ने ही उसे 1500 करोड़ रूपए का अतिरिक्त ऋण दिया था. राहुल गांधी को पूरी जानकारी रखनी चाहिए. आधी अधूरी जानकारी किसी व्यक्ति को हीरो नहीं, बल्कि हंसी का पात्र यानि जोकर बना देती है. मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में संवैधानिक मर्यादा की तमाम सीमाओं को लांघते हुए नोटबंदी को संगठित लूट और कानूनी डाका कहा था. क्या यह पीएम मोदी, संविधान, सदन और बहुमत देने वाली जनता का अपमान नहीं है. देश को मंदी से बचाते हुए और तमाम जरुरी आर्थिक सुधार करते हुए जो मोदी भारत के संकटमोचक साबित हुए हैं, उन्ही के बारे में लोकसभा चुनाव से पहले मनमोहन सिंह ने कहा था कि मुझे ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए त्रासदी से कम नहीं होगा. मनमोहन सिंह उस समय भय और पूर्वाग्रह से ग्रस्त थे जो ऐसा बोल गए.

ये बड़ी हास्यास्पद बात है कि मनमोहन सिंह खुद देश के लिए एक बड़ी त्रासदी साबित हुए और दूसरों के बारे में वो ऐसा सोचते और कहते हैं. रही बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान की तो मुझे लगता है कि मोदी सरकार ने उनका सम्मान करते हुए बहुत से मुसीबतों से उन्हें बचा रखा है, जैसा कि अक्सर बड़े नेता एकदूसरे के लिए करते हैं, भले ही सार्वजनिक रूप से जनता के सामने वो एकदूसरे को लाख भलाबुरा कहें. मनमोहन सिंह का अपमान सबसे ज्यादा तो खुद कांग्रेसी नेताओं ने ही किया है. देश की जनता को अच्छी तरह से याद है कि राहुल गांधी ने दागी नेताओं पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एक ऑर्डिनेंस की कॉपी को भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़कर अपना विरोध जताया था और उसे मानने से इंकार कर दिया था. कांग्रेस से कोई पूछे कि मनमोहन सिंह की अगुआई वाली भारत सरकार द्वारा जारी ऑर्डिनेंस को फाड़ने से क्या तत्कालीन पीएम मनमोहन की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंची थी? वस्तुतः इस चुनावी समय में कांग्रेस को मनमोहन सिंह के अपमान से भी ज्यादा परेशानी मोदी के उस सच्चे बोल से है, जिससे वो बचना चाहती है. अकबर इलाहाबादी ने कहा है-

उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना
मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
हंगामा है क्यूँ बरपा..

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh