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विधानसभा चुनाव: वाराणसी संसदीय क्षेत्र और राहुल-अखिलेश के रोड शो की चर्चा

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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वाराणसी संसदीय क्षेत्र में अखिलेश यादव व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का रोड शो पहले 11 फरवरी और फिर बाद में 27 फरवरी को होना तय हुआ था, जो किन्ही कारणों से टाला जा चुका है. मुझे लगता है कि इस क्षेत्र में चुनाव चूँकि 8 मार्च को होना है, इसलिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन या उससे एक दिन पहले राहुल-अखिलेश का रोड शो हो सकता है. उत्तर प्रदेश के चुनावी महासमर में बनारस सभी पार्टियों के लिए खास है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और वाराणसी शहर बीजेपी का गढ़ है. शहर की तीन विधानसभा सीटों शहर उत्तरी, शहर दक्षिणी और कैंट सीट पर इस समय भाजपा का कब्जा है. वाराणसी संसदीय क्षेत्र के देहाती इलाकों से जुडी अन्य पांच सीटों की बात करें तो 2012 में रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी, पिंडरा सीट पर कांग्रेस और अजगरा व शिवपुर सीट पर बसपा विजयी हुई थी. शिवपुर के बीएसपी विधायक अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि वाराणसी संसदीय क्षेत्र की आठ में से चार विधानसभा सीटें फिलहाल भाजपा की झोली में हैं.

सपा-कांग्रेस और बसपा बनारस की इन सीटों सहित अन्य सीटों पर भी बीजेपी के विजय रथ को रोकने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं. मोदी से परेशान तमाम विपक्षी दल इसी कोशिश में हैं कि वाराणसी संसदीय क्षेत्र की आठ में से अधिकतर विधानसभा सीटें जीत वो यह दावा ठोंके कि पीएम मोदी अपना ही गढ़ नहीं बचा सके. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो एक जमीनी और मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की फिराक में हैं. हालाँकि भाजपा के परम्परागत वोटर्स और मोदी मैजिक को देखते हुए यह कार्य आसान नहीं है. शहर उत्तरी, शहर दक्षिणी, कैंट, रोहनिया और शिवपुर से भाजपा के प्रत्याशी और अन्य जगहों से उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं. भाजपा अपने कब्जे वाली चारों सीटों के साथ ही वाराणसी संसदीय क्षेत्र की बाकी बची चार सीटों पर भी अपना परचम लहराने के लिए अपना दल और भासपा गठबंधन के साथ अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद पूर्वांचल में डेरा डाले हुए हैं. भाजपा और उसके सहयोगी दलों को वाराणसी संसदीय क्षेत्र में कितनी कामयाबी मिलती है, यह तो वक्त ही बताएगा. सीट बंटवारे में हुए कुछ मनमुटाव के वावजूद भी उनकी तैयारियां पूरे शबाब पर हैं.

अन्य दलों की बात करें तो एक तरफ जहां बसपा उम्मीदवारों को अपने वोटर्स और बहन मायावती की चुनावी सभाओं के बलबूते अपनी जीत का पूरा भरोसा हैं तो वहीँ दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों को राहुल-अखिलेश के रोड शो से पूरी आस है, जो दो बार टलने से ‘कहो न आस निरास भई’ में तब्दील होती जा रही है. चुनाव से पहले राहुल-अखिलेश का रोड शो होगा, इसमें कोई संदेह नहीं, क्योंकि एक तो भाजपा के गढ़ में उसे हराना आसान नहीं है, दूसरे सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार भी इसी आक्रामक प्रचार की बाट जोह रहे हैं. हालांकि इससे उन्हें कितना लाभ होगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. वाराणसी के मुस्लिम मतदाताओं को अपनी और खींचना सपा-कांग्रेस गठबंधन का मूल मकसद है, इसलिए जब भी उनका रोड शो होगा, वो मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से जरूर गुजरेगा, ताकि मुस्लिम मतों का विभाजन न हो और उन्हें एकमुश्त मुस्लिम वोट मिले. भारतीय लोकतंत्र के लिए ये कितने अफ़सोस की बात है कि बारहों महीने सेकूलर होने का ढोंग रचने और राग अलापने वाले राजनीतिक दल चुनाव आते ही घोर साम्प्रदायिक हो जाते हैं.

रोड शो की वजह से जो टैफिक जाम होता है और जनता को जो पीड़ा होती है, उसकी भी कुछ चर्चा कर ली जाए. रोड शो के दौरान जब राजनीतिक पार्टियां सड़क पर उतर आती हैं तो आम निर्दोष राहगीरों को उनके शक्ति प्रदर्शन का दंड अवरोध, देरी और कभी कभी मृत्यु तक के रूप में भोगना पड़ता है, जिन्हें अमूमन इन प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं होता है. रोड शो के कारण शहर के अधिकतर रास्ते बंद हो जाते हैं और उनपर आने-जाने वाली बसें और अन्य वाहन सब कई घंटों तक जाम के शिकार बने रहते हैं. मरीजों को समय पर अस्पताल, बच्चों को वक्त पर स्कूल या घर और कर्मचारियों को अपने कार्यालयों तक पहुँचने में जो कठिनाई झेलनी पड़ती है, उसे बयान करना कठिन है. सबसे बड़ी बात ये कि जाम में फंसकर पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियों का जो खतरनाक धुंआ शरीर के अंदर जाता है, वो कई तरह के रोग पैदा करता है. रोड शो के दौरान कई बार निर्दोष नागरिक मारे भी जाते हैं. रोड शो के दौरान हुई पांच मौतों के एक केस में साल 2015 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के रोड-शो पर प्रतिबंध लगाने का हुक्म दिया था. रोड शो एक बेहद घटिया, दुखदायी और खतरनाक मनोरंजन भर है. पूरे देशभर में इस पर पाबन्दी लगनी चाहिए.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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