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“आज मोदीजी हमारे लिए भगवान के रूप में सामने आए हैं.” कृतज्ञता व भावुकता से भरी यह वाणी असम के उस पिता की है, जिसकी आठ दिन की नवजात बच्ची किडनी फेल होने की समस्या से पीड़ित थी और आसन्न मृत्यु के संकट से जूझ रही थी. आठ दिन की एक नवजात बच्ची की किडनी काम नहीं कर रही थी. असम के डॉक्टरों ने बच्ची की नाजुक हालात देख जब उसे इलाज के लिए तुरन्त दिल्ली ले जाने की सलाह दी, तब बच्ची के माता-पिता चिंतित और निराश हो गए. दिल्ली जाने के लिए उन्होंने बहुत कोशिश की, लेकिन किसी की भी मदद नहीं मिल पाई. अंत में थकहारकर उन्होंने पीएम मोदी से उनके ट्विटर और ईमेल पर मैसेज भेजकर मदद की गुहार लगाई गई. प्रधानमंत्री मोदी अपने संसदीय क्षेत्र काशी में चुनाव-प्रचार में बहुत व्यस्त थे, किन्तु फिर भी उन्होंने आम जनता की पीड़ा व परेशानी समझी तथा तुरन्त उस ओर ध्यान दिया.
उन्होंने आठ दिन की नवजात बच्ची को उसके माता-पिता के साथ असम से दिल्ली न सिर्फ हवाई जहाज की सुविधा दिलाकर बुलाया, बल्कि दिल्ली के हवाई अड्डे से लेकर गंगाराम अस्पताल तक ट्रैफिक फ्री पैसेज यानी सड़क पर खाली रास्ता दिलवाकर अस्पताल में भर्ती कराया. समय से इलाज मिलने पर मृत्यु से जूझ रही बच्ची की जान बचने की संभावना अब काफी बढ़ गई है. गंगाराम अस्पताल में जहाँ पर मासूम बच्ची का इलाज जारी है, वहां के डक्टरों का कहना है कि अब बच्ची खतरे से बाहर है और धीरे-धीरे उसकी हालात बेहतर हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी की यही संवेदनशीलता और आम आदमी के दुखदर्द को समझने व उसमे मदद करने की सहृदयता ही उन्हें घोटालेबाज और भ्रस्ट नेताओं से अलग-थलगकर उस सुपरमैन की छवि को जमीनी और व्यावहारिक रूप प्रदान करती है, जिसकी कल्पना लोग करते हैं. धार्मिक लोग जिसे ईश्वर-दूत व अवतार आदि की संज्ञा भी देते है.
खतरे की स्थिति में और बेहद नाजुक समय पर मदद करने वाली सुपरमैन की छवि अब तक तो हमलोग कार्टूनों, फिल्मों और टीवी सीरियलों में ही देखते रहे हैं. नरेन्द्र मोदी ने पीएम बनने के बाद समय-समय पर देशभर में कई जरूरतमंदों की मदद कर अपनी एक ऐसी साफ़-सुथरी और जरूरतमंद की मदद करने वाली छवि बनाई है, जिसकी इस मुल्क को बहुत सख्त जरुरत है. जहाँ पर नेता होने का अर्थ ही स्वार्थी, घोटालेबाज, भ्रष्ट और चोर हो गया था. कैंसर से जूझ रहीं गाजियाबाद जिले की सामाजिक कार्यकर्ता डोरिस फ्रांसिस को तीन लाख रुपए की मदद पीएम मोदी ने भेजी थी. डोरिस फ्रांसिस के बेटे की मौत एक सड़क हादसे में हो गई थी और बेटे की मौत के बाद वो लंबे समय तक नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती रहीं. बुलंदशहर की कैंसर पीड़ित नन्ही बच्ची रिद्धि को भी प्रधानमंत्री ने 3 लाख रुपए की मदद दी थी, जिसकी दिल्ली के एक अस्पताल में कीमियोथैरेपी हुई और बोनमैरो ट्रांसप्लांट भी हुआ.
कुछ समय पहले वाराणसी की एक महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई थी, जिसकी दोनों किडनियां खराब थी. पीएम मोदी ने फ़ौरन पीएमओ के अफसरों को मदद करने का निर्देश दिया था. नेता हो तो ऐसा, जो जनता के दुखदर्द में भागीदार बने. हमारे देश में तो नेताओं को बस सत्ता में बने रहने का नशा भर है, वो इसी नशे में डूबे रहते हैं. नशेड़ी लोंगों से मदद की अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए. प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता और सहृदयता को सलाम, किन्तु किसकी-किसकी वो मदद करेंगे? इस देश में तो ‘नानक दुखिया सब संसार’ वाली स्थिति है. हर घर में कोई न कोई व्यक्ति किसी न किसी रोग से पीड़ित है. आज के महंगाई वाले समय में लोग अपना इलाज कराने में तबाह हो रहे हैं. पीएम से मेरी गुजारिश है कि हर परिवार को बहुत मामूली क़िस्त पर 6 लाख रूपये तक का ‘स्वास्थ्य बीमा’ सुलभ कराएं.
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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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