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कश्मीर में पानी की तरह पैसा और अपने सैनिकों का कीमती लहू हमने क्यों बहाया?

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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इस समय पूरे देशभर में कश्मीर से आये एक ऐसे वीडियो की चर्चा हो रही है, जिसमे दिख रहा है कि चुनावी ड्यूटी से लौट रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान की कुछ कश्मीरी युवक लात से पिटाई कर रहे हैं, पीछे से मुक्का मार रहे हैं, जवान के हेलमेट को उसके सर से उठा कर नीचे फेंक रहे हैं, सीआरपीएफ़ के जवानों को भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे हैं और ‘इंडिया गो बैक’ के नारे लगा रहे हैं, जवानों के हाथों में हथियार है, फिर भी जवान चुपचाप उपद्रवी युवकों की सारी बदतमीजी झेलते हुए और मार खाकर भी बड़ी शांति से उन्हें समझाते हुए उनके बीच से निकलकर आगे बढ़ रहे हैं. ये वीडियो यह बताने के लिए काफी है कि कश्मीर में हालात कितने खराब हो चुके हैं या यों कहिये कि हमारे काबू से बाहर होते जा रहे हैं. अभी चंद रोज पहले जम्मू-कश्मीर राज्य के बडगाम इलाके में उपचुनाव हुआ था. सीआरपीएफ़ के जवानों से हुई बदसलूकी वाला वायरल वीडियो उसी इलाके का माना जा रहा है. उपद्रवियों से मार खा रहे और घोर अपमान झेल रहे सीआरपीएफ़ के जवानों ने कंधे पर बंदूक टंगी होने के वाबजूद भी उन्हें कोई जवाब नहीं दिया? इस बारे में सीआरपीएफ ने एक बयान जारी कर कहा है कि जवान ईवीएम और मतदान कर्मियों की सुरक्षा कर रहे थे. उपद्रवियों को जबाब देने से ज्यादा जरुरी ईवीएम को सुरक्षित रखना था. सीआरपीएफ ने अपने बयान में यह भी कहा है कि कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात जवान कहीं से भी कमजोर नहीं है, बल्कि वो अपने संयमपूर्ण और शालीन व्यवहार से लोकतंत्र को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस का सबसे बड़ा मुद्दा बन बन चुके सैनिकों के अपमान वाला यह वीडियों देखकर आजकल पूरे देश का खून खोल रहा है.

लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि जिनकी गोलियों के सामने बड़े से बड़े आतंकी तक नहीं टिकते हैं, वहीं जवान कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए और वहां के लोकतंत्र को बचाने के लिए पाकिस्तान की शह पर भाड़े पर लाए गए उपद्रवियों के हाथों मार खाते रहे, तमाम तरह के अपमान झेलते रहे, किन्तु फिर भी बन्दुक की भाषा न बोलकर भारतीय जवान सबकुछ झेलते हुए भी आगे बढ़ते रहे. आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थक उन कश्मीरी युवकों का दुस्साहस तो देखिये कि उन्होंने एक जवान के हेलमेट को उसके सर से उठा कर दूर फेंक दिया. इस हैरान कर देने वाली दुस्साहसिक घटना को देखकर देशभक्तों का खून तो खोलना ही था. क्रिकेटर गौतम गंभीर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए ट्विट किया, “भारत विरोधी लोग यह भूल गए हैं कि हमारे झंडे में केसरिया रंग गुस्से का प्रतीक भी है, सफेद रंग जिहादियों के लिए कफन और हरा रंग आंतक के खिलाफ नफरत को दर्शाता है.” गौतम गंभीर ने गुस्से में यहाँ तक लिखा कि भारतीय जवानों को एक चांटा मारने के बदले में 100 जिहादियों का मार देना चाहिए. क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए न सिर्फ दुख जाहिर किया, बल्कि उसे बदतमीजी की इंतहा बताया. नेता से लेकर अभिनेता तक बहुत से लोगों ने सैनिकों के साथ हुई बदतमीजी और बेहद अभद्र व्यवहार पर अपना गुस्सा और दुःख किसी न किसी माध्यम से व्यक्त किया. किन्तु हमारे देश में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कश्मीरी युवकों से हमदर्दी रखते हैं और गौतम गंभीर की या उनके जैसे राष्ट्रवादियों की कटु आलोचना कर रहे हैं. खासकर गौतम गंभीर की उस बात से कि सेना के जवान पर पड़ने वाला हर तमाचा 100 जिहादियों की जान के बराबर है. जो लोग आजादी चाहते हैं वो हिन्दुस्तान छोड़कर किसी दूसरे मुल्क में चले जाएँ, क्योंकि कश्मीर हमारा है और हमेशा हमारा रहेगा.

जम्‍मू कश्‍मीर में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फॉर्स (सीआरपीएफ) के जवान से मारपीट और बदसलूकी का वीडियो सामने आने के बाद एक नया वीडियों और सामने आया है, जिसमें सेना की जीप की बोनट पर एक व्‍यक्ति को बंधा हुआ दिखाया गया है. हालाँकि अभी यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चला है कि वह कौन है? जीप से बांधे गए शख्‍स को कुछ लोग पत्‍थरबाज बता रहे हैं, जबकि कुछ लोगों के अनुसार पत्थरबाजों से बचने के लिए ऐसा किया गया है. जबकि कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्हें सबक सिखाने के लिए गाड़ी से उसे बांधा गया है. यह भी कहा जा रहा है कि 9 अप्रैल को करीब 500 पत्थरबाजों की भीड़ ने एक पोलिंग बूथ पर हमला किया था और यह उन्ही में से एक था. सच चाहे जो भी हो, इस वीडियों पर त्वरित रूप से प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्‍ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया, ”क्‍या कोई क्रिकेट/फिल्‍म हीरो इस घटना की उसी तरह से आलोचना करेगा जब एक सेना के जवान से बदसलूकी की जाती है?” जानी-मानी महिला पत्रकार सागरिका घोष ने भी इस नए वीडियों के सामने आने के बाद गौतम गंभीर पर हमला करते हुए लिखा, ”गौतम गंभीर यदि कभी कश्‍मीर जाएं तो वे एक दिन पैलेट गन से आंखों की रोशनी गंवाने वाले किशोर के घर पर जरूर जाएं. वे ऐसा करेंगे तो मुझे हैरानी होगी.” ऐसे किशोर से हमदर्दी ठीक है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उन्होंने यह बताने की जहमत नहीं उठाई कि आंखों की रोशनी गंवाने वाले किशोरों को आखिर पैलेट गन से सेना को गोली क्यों मारनी पड़ी? यही तो सबसे बड़ी बीमारी है इस देश में कि कुछ लोग पत्रकार और बुद्धिजीवी बनकर राष्टवादियों का विरोध कर रहे हैं. कल को तो खुलकर वो ये भी कहेंगे कि कश्मीर को आजादी दे दो या फिर उसे पाकिस्तान को सौप दो.

यदि ऐसा ही करना था तो फिर पिछले 70 सालों से हमने दूसरे राज्यों का हक़ काटकर वहां पर पानी की तरह पैसा और अपने अनगिनत बहादुर सैनिकों का बेशकीमती लहू क्यों बहाया? हम उन्हें हर संकट व बाढ़ से बचाते हैं, शिक्षा, नौकरी, राशन-पानी से लेकर जीने-खाने के तमाम साधन उन्हें मुहैया कराते हैं, फिर उनके लिए हम क्यों बुरे बने हुए हैं? हुक्मरानों से देश की जनता तो यह सवाल पूछेगी ही. आखिर हमें जान-माल के नुकसान के सिवा कश्मीर से मिल क्या रहा है? दूसरे राज्यों के लोगों को वहां पर बसने तक की मनाही है. वहां का झंडा और संविधान तक अलग है. पहले वहां के मुख्यमंत्री अपने को प्रधानमंत्री कहते थे और अब भी वही सपना देखते हैं. कश्मीर समस्या का अब एक ही हल है कि उसे विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को ख़त्म करो. सयुंक्त राष्ट्र संघ में इस मुद्दे को ले जा उसे विवादित मामला बनाने की जो बहुत बड़ी गलती हमारे पूर्व नेताओं ने की थी, उस गलती को मामला वापस ले सुधारा जाये. एक उपाय और होना चाहिए कि जम्मू-काश्नीर को जम्मू, कश्मीर और लेह-लद्दाक इन तीन राज्यों में जितनी जल्दी हो सके, बाँट देना चाहिए और दूसरे राज्यों के लोगों को भी वहां बसाया जाना चाहिए. रही बात कश्मीर में हमेशा से ही दखलंदाजी करने वाले पाकिस्तान की तो हमें अब इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए कि वो कभी सुधरने वाला नहीं है. उससे सैनिक ढंग से निपटने के साथ ही जितनी जल्दी हो सके सिंधु जल नदी संधि को तोड़कर उसकी तरफ बहने वाले पानी को रोक देना चाहिए. आप ढुलमुल रवैया क्यों अपनाते हैं? इसराइल और अमेरिका की तरह जबाब दें, एक स्वाभिमानी देश बनें. तभी दुनिया में हमारी कद्र होगी और वास्तविक धरातल पर भारत की एक ‘सुपर पावर’ या शक्तिशाली मुल्क की छवि बनेगी. जयहिंद.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106.
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