Menu
blogid : 15204 postid : 1325870

सुप्रीम कोर्ट: आसमान गिरे तो गिरे, किन्तु न्याय अवश्य होना चाहिए -अयोध्या विवाद

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

मुसलमान औ’ हिन्दू हैं दो
एक मगर उनका प्याला,
एक मगर उनका मदिरालय
एक मगर उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक
मस्जिद-मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर
मेल कराती मधुशाला।

आज ब्लॉग लिखने बैठा तो वर्षों पहले पढ़ी कवि हरिवंश राय बच्चन की यह कविता याद आ गई, जो आज के सामाजिक और राजनीतिक हालात में भी उतनी ही प्रासंगिक और सत्य से परिपूर्ण लगती है, जितनी कि बच्चनजी के समय थी. उन्होंने बिलकुल सही कहा है कि हिन्दुस्तान के हिन्दू और मुसलमान धार्मिक दृष्टि से भले ही दो हैं, लेकिन उनका प्याला, मदिरालय और हाला (मदिरा) एक ही है अर्थात उनका मुल्क ही प्याला, मदिरालय और हाला है, जिसपर उनका सांसारिक जीवन आश्रित है. संसार को बच्चनजी एक ऐसी मधुशाला मानते हैं, जहाँ पर एक ही ईश्वर से निकली अनगिनत आत्माओं का मेल होता है. संसार एक मिलन की जगह है, उस ईश्वर को ढूंढने की जगह है, जिसके हम सबलोग अंश और अमृत पुत्र हैं. आत्मिक और वास्तविक रूप से हम सब का कभी विनाश नहीं होगा, इसलिए हमलोग ईश्वर के अमृत पुत्र हैं. जीवन और संसार का सही और सत्य मार्ग तो यही है, फिर क्यों हमलोग सत्य के मार्ग से भटके हुए है और आपस में कई तरह के मुद्दों को लेकर लड़ झगड़ रहे हैं? हम क्यों अज्ञानता के अन्धकार और मायावी भूलभुलैया के चक्कर में फंसकर घनचक्कर हो रहे हैं और अपने साथ साथ दूसरे और भी बहुत से लोगों का जीवन नरक से भी बदतर बनाये हुए हैं? बच्चनजी के फ़ारसी सूफ़ी दर्शन वाले ‘हालावाद’ का मूल सन्देश भी यही है.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का मुकदाम चलाने का आदेश दिया है. दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद अज्ञात कारसेवकों और आडवाणी, जोशी, उमा भारती जैसे भाजपा के अनेक बड़े नेताओं समेत कई हिन्दू नेताओं व धर्मगुरुओं के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी, जिन पर पर बाबरी मस्जिद गिराने के लिए भड़काऊ भाषण देने का आरोप था. सीबीआई ने इन सबके खिलाफ बाबरी मस्जिद गिराने की साजिश रचने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की थी. मई 2001 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने टेक्निकल ग्राउंड का हवाला देते हुए आडवाणी, जोशी, उमा भारती, बाल ठाकरे और अन्य के खिलाफ आरोपों को हटाकर उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन सीबीआई ने साल 2004 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मई 2010 में सीबीआई की अपील को खारिज कर दिया था और सीबीआई की रिवीजन पिटीशन को आधारहीन बताया था. सीबीआई ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और हाईकोर्ट के फैसले को साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2017 में इस बात के संकेत दिए थे कि बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक आरोपों की समीक्षा की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा कि लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला जरूर चलना चाहिए. जो लोग सीबीआई को प्रधानमंत्री मोदी के हाथों की कठपुतली बता उस पर भेदभाव करने के आरोप लगाते हैं, उन्हें इस मामले में सीबीआई की निर्भीक और निष्पक्ष कार्यवाही पर गौर फरमाना चाहिए. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव तो इसमें भी घटिया राजनीती करने से बाज नहीं आते हैं, जब वो कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीबीआई का बेजा इस्तेमाल कर आडवाणी को राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर कर दिया है. उनके अनुसार यह आडवाणी के खिलाफ एक साजिश है और पहले से ही सोची-समझी गई एक बहुत बड़ी राजनीति है. यदि सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में भाजपा के नेताओं पर केस चलाने की सीबीआई की अपील को खारिज कर देती तो यही लालू प्रसाद यादव भारत की न्याय व्यवस्था पर अंगुली उठाते. इस मामले में सीबीआई की निष्पक्षता की जितनी भी तारीफ़ की जाए वो कम है. इससे यह भी साबित होता है कि मोदी सीबीआई के कामों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. अयोध्या में मंदिर-मस्जिद दोनों बनाने के साथ ही जो लोग बाबरी-मस्जिद को गिराने के दोषी हैं, उन्हें भी सजा जरूर मिलनी चाहिए.

माननीय सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि ‘आसमान गिरे तो गिरे, किन्तु न्याय अवश्य होना चाहिए. 25 साल पहले हुए इस अपराध ने देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को हिलाकर रख दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट को जो फैसला वर्षो पहले करना चाहिए था, वह अब हो रहा है.’ सुप्रीम कोर्ट की इस मुद्दे पर संजीदगी और साफगोई काबिलेतारीफ है, किन्तु हिन्दुस्तान में जो राजनीतिक हस्तक्षेप और न्यायिक देरी होती है, उससे यह उम्मीद कम ही है कि दो साल में मामले की सुनवाई पूरी हो जायेगी और आरोपियों को सजा मिल पायेगी. यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार साल 2019 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के पच्चीस साल पुराने मामले में आरोपियों को सजा मिलती है तो यह बहुत बड़ी बात होगी. किन्तु तबतक तो इस मुद्दे को लेकर पुरजोर राजनीति भी होती रहेगी. विपक्ष के कुछ नेता इसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर करने की मोदी की चाल बता रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ कुछ नेता इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव तक अयोध्या विवाद को भड़काने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति बता रहे हैं.

नेता लोग अपने फायदे के लिए ‘अयोध्या विवाद’ पर चाहे जो कुछ भी कहें, किन्तु देश का माहौल खराब करने वाली और देश के विकास में एक बहुत बड़ी बाधा बनी वर्षों पुरानी मंदिर-मस्जिद वाली घटिया राजनीति का अंत अब होना ही चाहिए. अंत में कवि हरिवंश राय बच्चन की काव्य पुस्तक ‘मधुशाला’ की कुछ पंक्तियों की चर्चा करूंगा, जिसके अनुसार सत्य की खोज के लिए मनुष्य को किसी मंदिर-मस्जिद की जरुरत नहीं है.

मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवला,
‘किस पथ से जाऊँ?’
असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूँ-
‘राह पकड़ तू एक चला चल,
पा जाएगा मधुशाला।’

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh