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रविशंकर प्रसाद जी ने क्यों कहा कि हमें मुसलमानों का वोट नहीं मिलता? -राजनीति

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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“15 राज्यों में हमारी सरकार है, 13 राज्यों में हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं और हम लोग देश की सत्ता भी संभाल रहे हैं. क्या हमारी सरकार ने अब तक किसी भी मुस्लिम को परेशान किया? क्या हमने किसी मुसलमान से उसकी नौकरी छीनी है? मुझे पता है कि हमें मुसलमानों का वोट नहीं मिलता, लेकिन क्या हमारी सरकार उन्हें उचित सुविधा नहीं दे रही?” शुक्रवार को एक मोटर वेहिकल कंपनी के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने यह बयान क्या दे दिया, देश के राजनीतिक गलियारे और सोशल मीडिया में हंगामा खड़ा हो गया. अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए सनसनीखेज मुद्दे की तलाश में हमेशा रहने न्यूज चैनलों को भी सेक्यूलर और साम्प्रदायिक दोनों तरह के लोगों को अपने स्टूडियों में इकट्ठा कर उनके बीच गर्मागर्म बहस कराने एक अहम् मुद्दा हाथ लग गया. टीवी पर बहस के लिए जुटे विभिन्न दलों के नेताओं ने एक दूसरे की तीखी आलोचना करते हुए अपने मन की भड़ास निकाली और दर्शकों ने विभिन्न दलों के प्रति अपनी अच्छी बुरी सोच के अनुसार उनकी बहस का भरपूर लुत्फ़ भी ले लिया. हमारे देश में किसी मंत्री ने समुदाय विशेष या जाति-धर्म के खिलाफ कुछ कहा नहीं कि मीडिया और सोशल मीडिया पर उसे तुरंत साम्प्रदायिक रंगरूप प्रदान कर दिया जाता है और सियासी पार्टिया अपना नफा-नुकसान देख बयान देने लगती हैं.

हीरो ग्रुप के माइंडमाइन समिट में हिस्सा लेने पहुंचे बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने जो कुछ भी कहा, उसके असली निहितार्थ को समझने की कोशिश बहुत कम लोगों ने ही की होगी. उनका बयान उनके मन के किसी कोने में छुपी इस बात की गहरी हताशा और निराशा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और अनेक राज्यों में सत्तासीन भाजपा सरकारें जाति और धर्म का भेदभाव किये बिना सभी लोंगो के विकास में विश्वास रखती है और जमीनी धरातल पर बिना किसी भेदभाव के सबके लिए काम भी कर रही हैं, किन्तु फिर भी मुस्लिम समुदाय के वोट उसे क्यों नहीं मिलते हैं? उत्तर प्रदेश के हाल ही के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बंपर जीत के बाद मीडिया में कई दिनों तक इस बात की खूब चर्चा होती रही कि बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने भी भाजपा को इस बार वोट दिया है, खासकर तीन तलाक के मुद्दे के कारण मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को खूब वोट दिया है. भाजपा भी इस बात से बेहद खुश थी, किन्तु कुछ दिन बाद जब पार्टी ने चुनावी आंकड़ों पर गौर किया तो उसके होश उड़ गए. उसे सच्चाई का पता चला कि यूपी में जहां भी मुस्लिम आबादी 45 से 50 फीसदी के ऊपर है, वहां पर बीजेपी हारी है. इसका सीधा सा अर्थ है कि वहां उसे मुस्लिम वोट नहीं मिले. यूपी में ऐसी सीटों की संख्या 134 है, जहाँ पर मुस्लिम आबादी 25 फीसदी या उससे ज्यादा है.

हिन्दू वोटरों की एकजुटता के कारण भाजपा इसमें से 104 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि मुस्लिम वोट वहां पर सपा और बसपा में बंट गए. अब यदि भविष्य में सपा, बसपा और कांग्रेस का कोई महागठबंधन बनता है तो भाजपा ये 104 सीटें हार भी सकती है. यूपी के चुनाव में ये मोदी का ही जादू था कि जाति के संकीर्ण दायरे से ऊपर उठकर हिन्दू बीजेपी को वोट दिए. दलितों की एक बड़ी तादात जो बसपा से निराश हो चुकी थी और विकास के मुद्दे पर पीएम मोदी की ओर आशा भरी नजरों से देख रही थी, उसने भी कमल के फूल पर ही बटन दबाना मुनासिब समझा और झारमझार बीजेपी को वोट दिया. पीएम मोदी इस सच्चाई से बखूबी वाकिफ हैं, इसलिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाकर बार बार वो यही सन्देश दे रहे हैं कि दलित और गरीब तबके के विकास की ओर खासतौर से ध्यान दो. इसे आप 2019 के लोकसभा चुनाव की अभी से ही की जा रही विशेष तैयारी भी कह सकते हैं. बीजेपी फिलहाल अभी तो हिन्दू वोटरों को एकजुट कर केंद्र सहित देश के आधे से ज्यादा राज्यों में राज कर रही है, लेकिन उसे भविष्य में महागठबंधन के रूप में एकजुट विपक्ष से भिड़ने के लिए मुस्लिम वोटरों के बीच भी अपनी एक मजबूत घुसपैठ बनानी होगी. यदि भाजपा ऐसा नहीं करेगी तो भविष्य में वो अपने एकजुट विरोधियों को आसानी से परास्त नहीं कर पाएगी. अभी से उसे इस ओर ध्यान देना चाहिए.

शिया और अहमदी जैसे समुदाय के मुस्लिम लोग बहुत पहले से ही भाजपा को वोट देते रहे हैं. इसके साथ तीन तलाक के मुद्दे पर बहुत सी मुस्लिम महिलाएं और कई उदारवादी मुसलमान भी बीजेपी के साथ खड़े नजर आते हैं, बहुत से मुस्लिम लोग बीजेपी में शामिल भी हो रहे हैं, लेकिन मुस्लिम बहुत क्षेत्र की किसी सीट को जीतने के लिए मुस्लिम समर्थकों की ये तादात नाकाफी है. अपने विकास के कामों से मुस्लिम समुदाय को प्रभावित कर इसे और बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही भाजपा में उलजलूल बोलने वाले बहुत से नेता हैं, जो भाजपा रूपी वटवृक्ष के ऊपर मूर्खता वाली कुल्हाड़ी अक्सर चलाते ही रहते हैं. इनके ऊपर भी लगाम कसा जाना जरुरी है. रविशंकर प्रसाद जी बहुत सोच समझकर बोलते हैं. बहुत से विपक्षी नेता पार्टी व विचारधारा से परे जाकर उन्हें पसंद करते हैं. यही वजह है कि मीडिया में अपने बयान पर हंगामा खड़ा होते देखकर उन्होंने अपनी गलती महसूस करते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपनी सफाई दे डाली. उन्होंने ट्विटर पर कहा, “मोदी सरकार समावेशी समाज में विश्वास करती है और भारत की सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करती है. हम वोट बैंक के आधार पर भारतीय नागरिकों के विकास को नहीं मापते हैं.” “सबका साथ सबका विकास” पीएम मोदी के इस नारे के साथ उनके सारे मंत्री भी चलें, इसी में देश और भाजपा का हित निहित है. जयहिंद.

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