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सन्यासी कारोबारी होगा या तो कहिये कारोबारी सन्यासी होगा-पॉलिटिकल एक्सप्रेस

सद्गुरुजी
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देश में रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं (एफएमसीजी) का कारोबार करने वाली योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 10,561 करोड़ रुपये का कारोबार किया. स्वदेशी ब्रांड के लिए देशभर में चर्चित इस कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में अपनी बिक्री दो गुना कर 20,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है. योगगुरु बाबा रामदेव ने कुछ रोज पहले नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पतंजलि का मुनाफा 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. एक दो साल के अंदर पतंजलि समूह देश का सबसे बड़ा स्वदेशी ब्रांड होगा. योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि का टर्नओवर सुनकर विदेशी कंपनियां कपालभाति करने लगेंगी. बाबा रामदेव ने यह भी कहा कि हिन्दुस्तान में एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स) का मतलब फॉरेन कंपनी हो गया था और टूथपेस्ट का मतलब कोलगेट. इस एकाधिकार को हमने तोड़ा है. पतंजलि के टूथपेस्ट दंतकांति का सालाना कारोबार 940 करोड़ तक पहुँच गया है.

बाबा रामदेव के अनुसार 1857 की लड़ाई हमने किसी हुक़ूमत के खिलाफ नहीं लड़ी थी बल्कि एक कंपनी के खिलाफ लड़ी थी. सहारनपुर में 1 मई को योगी पद्मश्री भारत भूषण के जन्मोत्सव पर आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए बाबा रामदेव ने कहा था कि आज जितनी भी विदेशी कम्पनियां भारत में अपने उत्पाद बेच रही हैं, वे सभी इस्ट इंडिया कम्पनी जैसी ही हैं. इस्ट इंडिया कम्पनी भी भारत में व्यापार करने नहीं आई थी बल्कि भारत को लूटने आई थी. उसी तरह आज जो विदेशी कम्पनियां यहां व्यापार कर रही हैं उनका उद्देश्य भी भारत का विकास नहीं बल्कि भारत को लूटना है. उन्होंने कहा था, ‘‘पतंजलि अगले पांच वर्षों में इन विदेशी कम्पनियों को मोक्ष दे देगी.’’ बाबा रामदेव कई बार विदेशी कंपनियों को शीर्षासन कराने की चेतावनी दे चुके हैं. पिछले साल बाबा रामदेव ने भारतीयों से चीन के सामानों का इस्तेमाल बंद करने की अपील करते हुए कहा था कि चीन के सामान को ख़रीदना देश के दुश्मन की मदद करने जैसा है.

एक मार्केटिंग सर्वे के अनुसार देश में रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं (एफएमसीजी) का बाजार प्रतिवर्ष 20.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और यह वर्ष 2020 तक अभी के 49 अरब डॉलर से बढ़कर 104 अरब डॉलर पर पहुँच जायेगा. ध्यान देने वाली बात यह है कि वैश्विक एफएमसीजी बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी महज 0.68 फीसदी है. जिन देशों में हम निर्यात करते हैं यदि वो सब देश भी बाबा रामदेव की तरह स्वदेशी आंदोलन चला अपने यहाँ हमारे द्वारा निर्यात की जाने वाली चीजों का उत्पादन शुरू कर दें या फिर हमसे माल लेना बंद कर दें तो 0.68 फीसदी निर्यात भी हमारे हाथ से जाता रहेगा. भारत में लगभग 50 लाख करोड़ वार्षिक का एफएमसीजी बाजार है, जिसमे बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की हिस्सेदारी महज 10 हजार करोड़ यानि 0.15 प्रतिशत वार्षिक की है. वो 1 लाख लोंगो को रोजगार देने की बात कहती है. इस हिसाब से तो 99.85 फीसदी भारतीय बाजार पर जिन देशी-विदेशी कंपनियों का अधिकार है, वो करोड़ों भारतीयों को रोजगार दे रही हैं.

पतंजलि के सारे उत्पाद अच्छे हों, ऐसा नहीं है और अन्य देशी-विदेशी कंपनियों के सारे उत्पाद बेकार हैं, ऐसा भी नहीं है. बहुत से लोग मेरे पास आते हैं, जिनसे बातचीत से पता चलता है कि किसी ने पतंजलि के बिस्कुट, देशी घी और सरसो के तेल खाने छोड़ दिए तो किसी ने बेसन, शहद और मसाले प्रयोग करने बंद कर दिए. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि साल 2015-16 में देश के कई सिस्सों में पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित उत्पादों के कई सैम्पल्स जांच के लिए भेजे गए थे. सरसों का तेल, पतंजलि शुद्ध हनी, पतंजलि का आरोग्य बेसन, आटे का नूडल्स और काली मिर्च पाउडर सहित कुल 6 उत्पाद जांच में फेल हो गए थे, जिसके सम्बन्ध में कई जिला खाद्य निरीक्षकों ने कोर्ट में केस दर्ज कराया था और फिलहाल यह सभी मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. पतंजलि के कुछ उत्पाद, जैसे दंतकांति टूथपेस्ट, साबुन व कुछ अन्य अच्छे हैं, किन्तु सिर्फ इसी बलबूते बाबा रामदेव का यह कहना कि विदेशी कम्पनियों को मोक्ष दे देंगे, शीर्षासन और कपालभांति करा देंगे, फ़िलहाल तो कोरी गप्प ही दिखाई दे रही है.

पिछले साल बाबा रामदेव ने कहा था कि उनके और आचार्य बालकृष्ण के बाद कोई ब्रह्मचारी ही उनका उत्तराधकारी होगा और पतंजलि के काम को आगे बढ़ाएगा. उन्होंने यह कहा था कि हमारे संस्थान सेवा और उपकार के केन्द्र हैं. उनके संस्थान बिजनेस हाउस या कॉरपोरेट संस्थान नहीं हैं. पंतजलि योगपीठ और पंतजलि आयुर्वेद कंपनी कभी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं रहे है. सवाल यह है कि क्या पतंजलि के सभी उत्पाद फ्री मिलते हैं और क्या उनके योग शिविर में जनता को प्रवेश के लिए ऊँचे मूल्य नही चुकाने पड़ते हैं? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विदेशी ब्रांड को टक्कर देने के लिए बाबा रामदेव स्वदेशी जींस पेश करने वाले हैं और अब भारत में रेस्तरां बिज़नेस में भी प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं. बाबा रामदेव का कहना है कि पतंजलि का अगला उत्‍तराधिकारी कोई कारोबारी नहीं, बल्कि संन्‍यासी ही होगा. इसका अर्थ क्या है, क्या वो जो कुछ भी कर रहे हैं, वो कारोबार नहीं है? यदि है तो फिर एक ही अर्थ है कि सन्यासी कारोबारी होगा या कहिये कारोबारी सन्यासी होगा.

3 मई को पीएम मोदी केदारनाथ धाम में भगवान शंकर का दर्शन करने के बाद हरिद्वार में स्थित पतंजलि योगपीठ गए थे, जहाँ पर आयोजित एक समारोह में स्वामी रामदेव ने उन्हें ‘राष्ट्र ऋषि’ की उपाधि प्रदान की. पीएम मोदी को ‘राष्ट्र ऋषि’ कहना कोई गलत भी नहीं है, क्योंकि वो तपस्या से परिपूर्ण जीवन जीते हुए राष्ट्र की उन्नति के लिए दिन-रात रिसर्च कर रहे हैं. ऋषियों का मूल कार्य ही राष्ट्र और समाज के हित के लिए शोध व खोज करना रहा है. प्रधानमंत्री को सम्मानित करने के अवसर पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि सवा सौ करोड़ भारतीय ‘राष्ट्र ऋषि’ नरेंद्र मोदीजी में अपना स्वरूप देखते हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदीजी देश को एक वरदान के रूप में मिले हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वामी जी खुद में खोजी गई एक जड़ी बूटी हैं और यह जड़ी बूटी हर संकट को पार करने वाली जड़ी बूटी है. जाहिर सी बात है कि भाजपा और बाबा रामदेव दोनों ही एक दूसरे का फायदा उठा रहे हैं. अंत में बाबा रामदेव को सुकमा के शहीदों के लिए 2-2 लाख रुपए देने का ऐलान करने के लिए साधुवाद.

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106.
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