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लालू प्रसाद यादव की प्रेस कांफ्रेंस: एक तीर से कई शिकार करने वाली तिकड़मी चाल

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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केंद्र सरकार और बीजेपी 26 मई से लेकर 15 जून तक मोदी सरकार के 3 साल पूरे होने का जश्न मनाएगी. इस जश्न को ‘मोदी फेस्टिवल’ नाम दिया गया है, जिसका अर्थ है, ‘मेकिंग ऑफ डेवेलपिंग इंडिया’ (Making of developing India). अपनी सरकार की विगत 3 साल के उपलब्धियों की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी खुद देश के 5 शहरों में देंगे, जिसकी शुरुआत 26 मई को वो गुवाहाटी से करेंगे. देशभर के 500 शहरों में मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता यह कार्य करेंगे. इससे पहले की 26 मई को भाजपा के नेता मोदी सरकार की विगत 3 साल की उपलब्धियों का गुणगान करते, आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने रविवार 14 मई को अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि ‘मोदी लोकसभा भंग करें और कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ नए सिरे से आम चुनाव कराएं, क्योंकि उनकी सरकार 2014 के आम चुनाव से पहले किए गए वादे पूरे करने में विफल रही है.’ प्रेस कांफ्रेंस में लालू प्रसाद ने कहा कि जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे तब देश में इतनी मंहगाई नहीं थी. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या नोटबंदी से कश्मीर में पत्थरबाजी बंद हो गयी? सौ दिनों के अंदर विदेशों से काला धन आया क्या? विगत तीन वर्षों के दौरान बीफ के निर्यात में भारत को नंबर एक किसने बना दिया?

लालू प्रसाद यादव ने मोदी सरकार को हर मोर्चे पर विफल साबित करने की कोशिश की है. जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है. समय समय पर जारी होने वाले ज्यादातर आर्थिक आंकड़े यही दिखा रहे हैं कि मोदी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ है. आर्थिक मामलों के अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था न सिर्फ सबसे तेजी से विकसित हो रही है, बल्कि नोटबंदी सहित अन्य तमाम तरह के आर्थिक सुधारों के कारण आने वाले समय में दोहरी गति से आगे बढ़ने के लिए भी तैयार हो चुकी है. ज्यादातर अर्थशास्त्री मोदी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल को बेहद सफल और क्रांतिकारी बता रहे हैं. लालू प्रसाद यादव कह रहे हैं कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब महंगाई नहीं थी, इसके ठीक उलट आर्थिक आंकड़े बता रहे हैं कि 31 मार्च 2014 तक देश में उपभोक्ता महंगाई दर 9.46 फीसदी थी जो बीते तीन साल में घटकर 3.81 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है. अब देश की आर्थिक उन्नति का दूसरा सटीक आंकड़ा देखिये, 31 मार्च 2014 को 1 डॉलर के एवज में हमें सिर्फ 60 रुपये मिलते थे, अब तीन साल के बाद 1 डॉलर के बदले मुद्रा बाजार में हमें 65 रुपये से अधिक मिल रहा है.

मार्च 2014 में आम आदमी को अपना घर खरीदने के लिए जहां 10-12 फीसदी के ब्याज पर होम लोन मिलता था वहीं अब 8-9 फीसदी पर यह लोन मिल रहा है. वहीं अब केन्द्र सरकार की योजनाओं के तहत गरीब तबके को 4 फीसदी ब्याज पर होम लोन मिल रहा है. रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त तेजी आने वाली है और सस्ता घर पाने का देश के करोड़ों आम लोंगो का सपना अब साकार होने जा रहा है. नोटबंदी से कश्मीर में पत्थरबाजी बंद हो गयी थी, क्योंकि पत्थरबाजों को पैसे नहीं मिल रहे थे, अब पत्थरबाजों को फिर पैसे मिलने लगे हैं. लालू प्रसाद क्या इस बात को समझ नहीं रहे हैं, खूब समझ रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार पर कीचड उछालने के बहाने वो देशद्रोहियों की काली करतूतों का आनंद ले रहे हैं. कालाधन के बारे में भी वो जानते हैं कि विदेशों से कालाधन लाना आसान नहीं है, इसमें समय लगेगा, लेकिन अपने ही देश में बड़ी मात्रा में कालाधन खोजकर सरकार ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है. एक और सवाल लालूजी ने किया कि विगत तीन वर्षों के दौरान बीफ के निर्यात में भारत को नंबर एक किसने बना दिया? लालूजी बीफ की चर्चा कर साम्प्रदायिक मुद्दे को हवा देना चाहते थे. वो चाहते हैं कि देश के लोग बीफ के नाम पर मोदी से भड़कें, लेकिन सच्चाई सुनेंगे तो उनकी बोलती बंद हो जायेगी, देश जिस बीफ के निर्यात में नंबर एक बना है, वो गाय नहीं, बल्कि भैंस, भैंसा आदि का मांस निर्यात कर बना है. ‘बीफ’ शब्द का जानबूझकर लालूजी गलत प्रयोग कर रहे हैं.

सब जानते हैं कि चारा घोटाला और जमीनों की अवैध खरीद के मामलों से जूझ रहे लालू प्रसाद यादव कितने शातिर और तिकड़मी दिमाग वाले नेता हैं. इन दिनों वो एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश में लगे हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को पीएम उम्मीदवार इसलिए घोषित करना चाहते हैं, ताकि नितीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुनाव प्रचार में जुट जाएँ और उनका बेटा उपमुख्यमंत्री पद से छलांग मार मुख्यमंत्री बन जाए. लेकिन नितीश कुमार बहुत अनुभवी और चालाक नेता हैं. लालू प्रसाद की शातिराना चाल को समझते हुए उन्होंने साफ़ कह दिया है कि ‘मैं इतना मुर्ख नहीं कि पीएम का उम्मीदवार बनूं.’ लालू प्रसाद और नितीश कुमार दोनों ही राजनीती के बेहद चतुर, अनुभवी और शतरंजी चाल चलने में माहिर खिलाड़ी हैं. एक सोची समझी रणनीति के तहत दोनों आजकल यह कोशिश कर रहे हैं कि मोदी सरकार पर आम सहमति के नाम पर दबाब डालकर आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति माननीय प्रणव मुखर्जी को दुबारा जीता दिया जाए. मुझे नहीं लगता है कि उनके झांसे में आ भाजपा ऐसी गलती करेगी, क्योंकि पहली बार जरुरी बहुमत उसके साथ है और उसे अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुनने का ऐतिहासिक मौका हाथ लगा है, जिसे गंवाना नहीं चाहिए. मेरे विचार से विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा या कहिये राजग के पास सबसे बेहतरीन उम्मीदवार हैं. विपक्षी दलों के बीच भी वो काफी लोकप्रिय हैं.

अंत में चर्चित नेता के साथ-साथ कामेडी के भी किंग लालू प्रसाद यादव को लेकर फेसबुक पर सबसे ज्यादा पसंद किये गए दो चुटकुलों का जिक्र करना चाहूंगा. पहला चुटकुला- बॉलीवुड में आजतक ‘चारा’ पर कोई फिल्म नहीं बनी है, यदि ‘चारा’ विषय पर बॉलीवुड में फिल्में बनतीं तो कुछ इस तरह होतीं….
* चारा एक्सप्रेस
* ये दिल मांगे चारा
* एक था चारा
* मिशन चारा
* मैं चारा का दीवाना हूं
* चारा को ना भूल पाएंगे
* बोल चारा बोल
* चारा, कपड़ा और मकान

दूसरा चुटकुला- लालू प्रसाद यादव निर्मल बाबा के दरबार मे समस्या-समाधान के लिए जाते हैं, लेकिन वहां जाने पर पता चलता है कि लालू प्रसाद यादव उनसे से भी अधिक पहुंचे हुए बाबा है. लालू प्रसाद यादव और निर्मल बाबा के बीच की काल्पनिक बातचीत पढ़कर आपको हंसी जरूर आएगी.
लालू :- बाबा जी को प्रणाम.
बाबा :- कहा से आए हो?
लालू ;- घर से.
बाबा :- मेरा मतलब है कहा रहते हो?
लालू :- अब का प्रशनवा पूछ रहे हो, घर मे
ही रहता हूँ ओर का तबेले मे रहूँगा…
बाबा :- नाम क्या है?
लालू :- लालू प्रसाद यादव
बाबा :- लालू की जगह चालू लिखा करो…
लालू :- चालू तो हम हैं ओर देखिये ये लिखने
पढ़ने की बाते ना करे तो ही ठीक रहेगा.
बाबा :- ये चारा क्यूँ आ रहा है बीच मे,,,?
चारा खाया है कभी…?
लालू :- उ तो कई बरस पुरानी बात है अब
तो मामला दब चुका है.
बाबा :- यहीं कृपा रूक रही है, जाओ
थोड़ा चारा खाओ. कृपा आनी शुरू
हो जाएगी.
लालू :- बुड़बक समझे हो का, हम
चारा कैसे
खा सकते है?
बाबा :- तूमने ही तो कहा है
की खाया था
लालू :- उ तो कागजो मे खाया था
बाबा :- तो अब की बार प्लेट मे खाना
लालू :- चल ससुर का नाती कुछ अउर इलाज
बता
बाबा :- ये माया क्यूँ आ रही है बीच मे..?
लालू :- आरे आप गलत दिशा मे जा रहे हैं,
माया तो यूपी मे है तनिक दूसरी ओर
आइए,
ममता को देखिये
बाबा :- मूर्ख मैं उस माया की नहीं. इस
माया की बात कर रहा हूँ, धन की दोलत
की…
लालू :- धन तो सुर्क्षित है, विदेशवा मे है
ना.
बाबा :- तो अपने देश मे लाओ ओर
थोड़ा मेरे
अकाउंट मे डलवाओ.
लालू :- तोहार का ना बा… डलवा दूँ जेलवा मे…?
बाबा :- आप तो गरम हो रहे हैं, कुछ
ठंडी चीज खाइये, रबड़ी ये रबड़ी कहा से
आ रही है बीच मे…?
लालू :- अरे
हो ढोंगी बाबा! हमरी दुलहनिया का नाम
ना लें तो ही ठीक रहेगा,
हमका का बुड़बक समझे हो…
हम देश का नेता है, देश चलाता है अउर तू
हमका चला रहे हो.
बाबा :- प्रभु! गुरुदेव! कोई रास्ता बताइये
की हमारे धंधे को कानूनी लाइसेन्स मिल
जाये.
लालू :- ठीक है जाइए, अपनी कमाई
का आधा हिस्सा हमरे खाते मे डलवाईए अउर हर रोज
लालटेन जलाईए सरकारी कृपा आनी शुरू
हो जाएगी…
(साभार संकलित- फेसबुक- राजनीतिक चुटकुले)

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