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कश्मीर समस्या के समाधान की राह: बड़े धोखे हैं इस राह में …- जागरण जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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बाबूजी धीरे चलना. प्यार में ज़रा सम्भलना
हाँ बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में
बाबूजी धीरे चलना …
क्यूँ हो खोये हुये सर झुकाये, जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये
ये तो बाबूजी पहला कदम है, नज़र आते हैं अपने पराये
हाँ बड़े धोखे हैं इस राह में …
बाबूजी धीरे चलना …

‘काश्मीर प्रेम’ में डूबकर बहुत हद तक आज हमारी यही स्थिति हो चुकी है. हम उन रास्तों पर चल रहे हैं, जो हमें कहाँ ले जाएंगे, हमें कुछ पता नहीं. पिछले 70 सालों में काश्मीर को लेकर अपनाई गई ढुलमुल नीति के कारण बहुत से रास्तों की भूलभुलैया में हम भटक चुके हैं. न्यूज चैनलों पर आये दिन काश्मीर को लेकर जो बहस देखने-सुनने को मिलती है, उसमे कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद हो या फिर जम्मू कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेता अब्दुल ग़नी लोन की बेटी शबनम ग़नी लोन हों, उनकी ज़हरीली बातें सुनकर आपका खून खौलने लगेगा. इंजीनियर राशिद मीडिया पर जब भी मौका मिलता है, यही चिल्लाते हैं, “हिंदुस्तान कश्मीरियों के साथ क्या करता है, ये दुनिया को पता चलना चाहिए. ये मोदी का हिंदुस्तान है, गांधी का हिंदुस्तान नहीं है.” उन्हें अक्सर भारत विरोधी जहर उगलने के कारण न्यूज चैनलों की चर्चा से बहिष्कृत कर दिया जाता है. शबनम ग़नी लोन भारत के सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं, लेकिन अपने को ‘हिन्दुस्तान की बेटी’ नहीं कह सकती हैं और ‘भारत माता की जय’ भी नहीं बोल सकती हैं. ये लोग खुलकर पत्थरबाजों और अलगाववादियों की हिमायत करते हैं.

अलगाववादी नेता अपने अलगाववादी आंदोलन की आड़ में न सिर्फ हिन्दुस्तान को ब्लैकमेल करते रहे हैं, बल्कि कश्मीरी युवकों को गुमराह कर उनसे पथराव कराने तथा सुरक्षा बलों पर हमले तथा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान से मोटी धनराशि भी वसूलते रहे हैं. हाल ही में एक टेलीविजन चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कुछ अलगाववादी नेताओं ने कथित रूप से यह स्वीकार किया था कि अलगाववादियों को सुरक्षा बलों पर पथराव तथा हमले करने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान से भारी मात्रा में धनराशि मिल रही है. ये बहुत अच्छी बात है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अब इसकी विधिवत जांच शुरू कर दी है. कश्मीर के अलगाववादी नेता हिन्दुस्तान का पासपोर्ट प्रयोग करते हैं, उसका भेजा हुआ अन्न खाते हैं, फिर भी उसी के खिलाफ जहर उगलते हैं और अपने इलाके की दीवारों पर ‘गो इंडिया, गो बैक’ जैसे नारे लिखते हैं, फिर भी हम उन्हें खुश रखने के लिए विशेष सुविधाएं दे रहे हैं? सबसे पहले तो हमें इनसे हर तरह की विशेष सुविधाएं छीन लेनी चाहिए. जब ये लोग उसके काबिल नहीं हैं तो हम क्यों इन्हे पिछले 70 सालों से ‘विशेष सुविधाएं व आर्थिक पॅकेज’ दे रहे हैं?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी कुछ रोज पहले दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में क्रिकेट मैच से पहले खिलाड़ियों ने पाक अधिकृत कश्मीर का राष्ट्रगान गाया. इतना ही नहीं, बल्कि सरकारी स्टेडियम में पाक अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रगान के साथ-साथ जमकर भारत विरोधी नारे भी लगाए गए. इस मैच के आयोजकों और खिलाड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. हिन्दुस्तान का खाकर पाकिस्तान के गुण गाने वाले और भी कई भारतीय हैं. प्रसिद्द अभिनेता और बीजेपी सांसद परेश रावल ने जानीमानी लेखिका और बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधती रॉय पर ट्वीट किया, ‘पत्थरबाजों को जीप के आगे बांधने की बजाय अरुंधती रॉय को बांधा जाना चाहिए.’ परेश रावल के अनुसार अरुंधती रॉय ने बयान दिया था कि कश्मीर में भारत चाहे जितनी भी सेना क्यों न लगा ले, लेकिन वहां के हालात सुधरेंगे नहीं. ये जानकार सभी हिन्दुस्तानियों को अच्छा लगा कि ‘कॉउंटर इमरजेंसी ऑपरेशन’ यानी कश्मीर में चुनाव के दौरान एक पत्थरबाज को जीप की बोनट से बांधकर नौ कर्मचारियों की जान बचाने और पत्थरबाजों से कड़ाई से निपटने के लिए मेजर गोगोई को आर्मी चीफ ने सम्मानित किया है. निसंदेह इससे सेना का मनोबल बढ़ेगा.

कश्मीर का हम विकास करेंगे, भारतीय कश्मीरियों से मिलकर वहां पर लोकतंत्र भी कायम रखेंगे और उनसे वार्ता भी जारी रखेंगे, मगर अलगाववादियों और पाकिस्तान से प्रेम करने वालों से कोई वार्ता नहीं करेंगे, बल्कि इन्हे जड़ से नेस्तनाबूद करेंगे. हिन्दुस्तान का यही संकल्प है. न्यूज चैनलों पर बहस के दौरान कांग्रेस अक्सर पीडीपी से गठजोड़ कर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने और चलाने के लिए भाजपा की कटु आलोचना करती है, लेकिन कांग्रेस की शातिर चाल सब समझते हैं. यदि आज बीजेपी और पीडीपी अलग हो जाएँ तो सरकार गिरते ही दिनरात पीडीपी को कोसने वाले कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस दोनों के नेता नई सरकार बनाने के लिए महबूबा मुफ़्ती के द्वार पर जा हाथ जोड़कर खड़े हो जाएंगे और ‘बिल्ली के भाग से छींका टूटा’ वाली कहावत के अनुसार यदि सरकार बन गई तो अपनी मिली जुली सरकार को सीना तान सेक्युलर सरकार बताने लगेंगे. ये तो अच्छा है कि पीडीपी और बीजेपी की समझदारी की वजह से इनकी दाल फिलहाल नहीं गल पा रही है. अंत में मजरूह सुलतान पुरी साहब के लिखे हुए फिल्म ‘आर पार’ के उस गीत के कुछ और बोल प्रस्तुत हैं, जिससे ब्लॉग की शुरुआत मैंने की थी …

ये मुहब्बत है ओ भोलेभाले
कर न दिल को ग़मों के हवाले
काम उलफ़त का नाज़ुक बहुत है
आके होंठों पे टूटेंगे प्याले
बड़े धोखे हैं
हाँ बड़े धोखे हैं इस राह में …
बाबूजी धीरे चलना …

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