Menu
blogid : 15204 postid : 1331896

उज्मा अहमद की आपबीती और हुसैन हैदरी जी की नज्म ‘मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं भाई’

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

पाकिस्तान से भारत लौटी उज्मा अहमद की इन दिनों मीडिया में काफी चर्चा हो रही है. गुरूवार को हिन्दुस्तान की धरती पर कदम रखते ही उसने यहाँ की मिटटी को चूमा और अश्रुपरित नेत्रों से उसके आगे सर नवाया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उज्मा को ”भारत की बेटी” बताते हुए उसकी देश वापसी का बहुत अच्छे ढंग से स्वागत किया. उज्मा अहमद ने भी सुषमा स्वराज को पूरा सम्मान दिया, उनके पैर छुईं और गले लग रोईं. नई दिल्ली की रहने वाली उज्मा अहमद पहले से ही न सिर्फ एक शादीशुदा भारतीय महिला हैं, बल्कि उनकी थलेसीमिया से पीड़ित एक बेटी भी है. कुछ अर्सा पहले वो ताहिर अली नाम के एक पाकिस्तानी से मलेशिया में मिली थीं, जिससे उनकी बहुत गहरी दोस्ती हो गई थी. ताहिर अली के निमंत्रण पर वो इस महीने के शुरू में पाकिस्तान घूमने गई थीं. उनका 10 या 12 मई तक हिन्दुस्तान वापस लौट आने का प्लान था, लेकिन पाकिस्तान में कदम रखते ही उनकी अच्छीभली जिंदगी पर ग्रहण लगना शुरू हो गया. उज्मा अहमद ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उनका मित्र ताहिर अली धोखे से उन्हें स्लीपिंग पिल्स (नींद की गोली) खिलाकर गहरी नींद में सुला दिया और उनका अपहरण (किडनैपिंग) कर उन्हें बुनेर नाम के एक ऐसे गाँव में ले गया, जहाँ पर भाषा से लेकर लोग तक सबकुछ अजीब था. उस जगह पर रोज फायरिंग होती थी. वहाँ के अधिकतर युवा मलेशिया में रहते हैं और वहां से दूसरे मुल्कों की लड़कियों को बहला फुसला कर लाते हैं, फिर उन्हें धोखे से बेचने का काम करते हैं.

बुनेर में कई मुल्कों से औरतें अपहृत कर अय्याशी करने और बेचने के लिए लाई गई थीं, जिनपर बेइंतहा जुल्म होता था. निकाह के लिए या बिकने के लिए राजी न होने पर गोली मार दी जाती थी. उस गाँव में सब मर्दों की कम से कम दो बीबियाँ थीं. उज्मा अहमद ने कहा कि अगर मैं वहां दो-चार दिन और रुकती तो शायद वो लोग मुझे मार देते या फिर किसी सो बेच देते. ताहिर अली ने उस गाँव में अपना असली मक्कारी या कहिये, फ़िल्मी विलेन वाला रूप दिखाया. उसने कई रोज तक उज्मा अहमद को बंधक बनाकर रखा और निकाह के लिए राजी न होने पर तीन मई को बंदूक की नोक के बल पर जबरदस्ती उससे निकाहनामे पर साइन करवा लिए. ताहिर अली ने उज्मा अहमद को शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक तौर पर कई रोज तक न सिर्फ प्रताड़ित किया, बल्कि दिल्ली में रह रही उसकी बेटी को अगवा करवाने की धमकी भी दी. ताहिर अली ने उसके सभी आव्रजन दस्तावेज छीनकर अपने पास रख लिए थे, ताकि वो कभी भारत न लौट सके. उज्मा अहमद ने समझदारी से काम लेते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट में 12 मई को एक याचिका दायर की, जिसमे ताहिर अली की असलियत का खुलासा करते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि उसे तत्काल भारत लौटने दिया जाए क्योंकि वो हिन्दुस्तान में पहले से ही शादीशुदा है और उसकी एक बेटी भी है. सारी हकीकत जानने के बाद कोर्ट ने ताहिर अली से सारे आव्रजन दस्तावेज वापस दिलाये और पाकिस्तान की पुलिस को निर्देश दिया कि वह उजमा अहमद को वाघा सीमा तक सुरक्षित पहुंचाए.

उज्मा अहमद अपनी सकुशल वतन वापसी का पूरा श्रेय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भारतीय उच्चायोग में डिप्टी उच्चायुक्त जेपी सिंह को देती हैं, जिन्होंने उनकी बात न सिर्फ ध्यान से सुनी, बल्कि उस पर त्वरित रूप से समुचित कार्यवाही भी की. मोदी सरकार की कई सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बड़ी उपलब्धि उनके तीन साल के शासनकाल में हर देश में भारतीय दूतावास का पूरी तरह से सक्रिय होना है. विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए भारतीय दूतावास ‘डूबते को तिनके का सहारा’ बन चुका है. विदेश जाने वाले भारतीयों के लिए आज जितना सहयोगी और मित्रवत व्यवहार करने वाला भारतीय दूतावास शायद ही कभी रहा हो. इसमें विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की निरंतर सक्रियता का बहुत बड़ा योगदान है. चाहे वो स्वस्थ हों या अस्वस्थ, हर एक की सहायता को सदैव तत्पर रहती हैं. यदि इस्लामाबाद कोर्ट का निर्णय देर से होता तो भी भारतीय उच्चायोग उज्मा अहमद को दो साल तक अपने पास रखने को तैयार था. इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पाकिस्तानी वकीलों ने कहानी के खलनायक ताहिर अली का पक्ष लेते हुए मुकदमे को पाकिस्तान की नाक का सवाल बनाया और कुतर्क दिए कि उज्मा अहमद हिन्दुस्तान लौट गई तो पाकिस्तान की तो नाक ही कट जायेगी. कोर्ट ने उनके तमाम कुतर्क खारिज करते हुए बंदूक के बल पर एक शादीशुदा महिला से किये गए निकाह को अवैध बताया और उज्मा अहमद के हिन्दुस्तान लौटने का रास्ता साफ़ किया. शीघ्र और सही निर्णय के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट बधाई का पात्र है.

उज्मा अहमद ने पत्रकारों से कहा, “पाकिस्तान मौत का कुआं है, वहां जाना आसान है लेकिन आना मुश्किल है. मैं सभी को सलाह दूंगी कि कभी पाकिस्तान ना जाना. पाकिस्तान को लेकर मेरे मन में खौफ बैठ गया है. हमारा देश भारत बहुत अच्छा है. हमारे पास सुषमा मैम जैसी विदेश मंत्री हैं. मैंने दो-तीन देश देखे हैं लेकिन मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं.” पूर्णतः सुरक्षित व स्वतंत्र हिन्दुस्तानी मुसलमानों को सदैव यही समझाया जाता है कि भारतीय नागरिक होना अपने आप में एक बहुत गर्व का विषय है. आप दुनिया के किसी भी मुल्क में फंसे हों, आपका मुल्क हिन्दुस्तान और उसकी सरकार आपको मुसीबत से बाहर निकालने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ती है. किन्तु फिर भी इस देश में बहुत से लोंगो को ‘बन्दे मातरम्’ गाने और ‘भारत माता की जय’ बोलने में बहुत एतराज होता है. बहुत से लोग हिन्दुस्तान में रहकर और उसका अन्न खाकर भी सऊदी अरब और पाकिस्तान के गुण गाते हैं. ऐसे लोंगो को पाकिस्तान में बहन उज्मा अहमद की हुई भारी फजीहत से इतना तो सबक लेना ही चाहिए कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं, पास जाओ तो हकीकत मालूम पड़ती है. अंत में खुद को हिंदुस्तानी कहलाने में गर्व महसूस करने वाले एक हिन्दुस्तानी मुसलमान हुसैन हैदरी की चर्चा करना चाहूँगा. वो गीतकार और पटकथा लेखक हैं. सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो इन दिनों खूब ट्रेंड कर रहा है. उस वायरल वीडियो में एक शख्स अपने आप से पूछ रहा है कि ‘मैं कैसा मुसलमान हूं भाई ?’ हुसैन हैदरी उस वीडियो में इस तरह से उस सवाल का जबाब देते हैं.

‘मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं भाई,
मुझमें गीता का सार भी है,
मुझमें उर्दू का अखबार भी है,
मेरा एक महीना रमजान भी है
मैंने किया तो गंगा स्नान भी है,
अपने ही तौर से जीता हूं,
दारू सिगरेट भी पीता हूं,
कोई नेता मेरे नस-नस में नहीं,
मैं किसी मुसलमान के बस में नहीं,
मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं भाई।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh