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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज: राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ से दावेदार हो सकेंगीं?

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भारत में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख 17 जुलाई नजदीक आती जा रही है. नामांकन-पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 14 जून से शुरू हो चुकी है, आखिरी तारीख 28 जून है, अभी तक देश के किसी बड़े राजनीतिक दल के उम्मीदवार ने नामांकन-पत्र दाखिल नहीं किया है. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में तेज हलचल तो है, लेकिन वो अभी तक गोलबंदी बनाने तक ही सिमित है. बीजेपी की अगुआई वाली राजग (एनडीए) सरकार के पास अपने उम्‍मीदवार को जिताने के लिए स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं है, लेकिन संख्‍याबल के लिहाज से उसका पलड़ा विपक्ष से ज्यादा भारी है. दूसरी तरफ राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए बनी विपक्ष की दस सदस्यीय उप-कमिटी की बैठक अब तक बेनतीजा रही है. दरअसल विपक्ष की उप-कमिटी अपने सदस्यों के अंदरूनी मतभेदों से जूझ रही है. इसके अधिकतर नेता चाहते हैं कि बीजेपी की और से पहले उम्मीदवार की घोषणा होने दो, फिर हम लोग अपना उम्मीदवार तय करें या फिर बीजेपी द्वारा घोषित उम्मीदवार को समर्थन देने पर विचार करें. मीडिया में ऐसी चर्चा है कि विपक्ष के कुछ नेता बीजेपी द्वारा घोषित उम्मीदवार को समर्थन देने की जगह चुनाव में जाने का मूड बना चुके हैं.

ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी को विपक्ष का उम्मीदवार घोषित करने के पक्ष में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी राय थी कि गोपालकृष्ण गांधी को चुनाव में खड़ा करके राष्ट्रपति चुनाव को गांधी बनाम गोडसे और सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) बनाम कम्युनल (साम्प्रदायिक) की लड़ाई में बदल दिया जाए, जिससे विपक्ष पूरी तरह से एकजुट हो जाए. यदि यह खबर सही है तो लानत है ऐसे नेताओं पर जो देश के सर्वोच्च पद के चुनाव में भी ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ यानी गन्दी राजनीति का खेल खेलने से बाज नहीं आते हैं. दूसरी तरफ बीजेपी राष्ट्रपति उम्मीदवार पर विपक्षी नेताओं से आम सहमति बनाने के लिए तीन सदस्यीय एक कमिटी बनाई है, जिसमे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू आदि शामिल हैं. ये कमिटी शुक्रवार 16 जून को विपक्षी दलों की सर्वमान्य नेता सोनिया गांधी से मिलकर अपने उम्मीदवार पर एक राय बनाने की कोशिश करेगी. विपक्षी दल सरकार से यही मांग कर रहे हैं कि आप लोग ऐसे व्‍यक्ति को प्रत्‍याशी बनाइये, जिसके नाम पर विपक्षी दलों आम सहमति बन सके.

हालाँकि अंदरूनी मतभेदों से जूझते विपक्ष दलों में सत्तारूढ़ बीजेपी या कहिये एनडीए के उम्मीदवार के लिए 2002 में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के लिए बनी आम राय जैसी सर्वसम्मति का बनना लगभग नामुमकिन सा ही है. बीजेपी कुछ समय पहले तक तो अपनी पार्टी के भीष्म पितामह लाल कृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति बनाने का पूरा मन बना चुकी थी, लेकिन बाबरी विध्वंश की साजिश रचने का मुकदमा 30 मई से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में फिर से शुरू होते ही पार्टी को अपना मन बदलना पड़ा, क्योंकि इस मुकदमे के 12 आरोपियों में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का नाम भी शामिल हैं. बीजेपी का आत्ममंथन अब इस बात पर जारी है कि उसके दल के पास दूसरा ऐसा कौन सा नेता है जिसके नाम पर एकजुट विपक्ष को तोड़ा जा सके और आवश्यक समर्थन जुटाया जा सके. बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए अभी तक खुलकर अपना कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन मीडिया में ऐसी चर्चा है कि बीजेपी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू आदि के नाम पर विचार कर रही है.

हालांकि बीजेपी अपने कोर ग्रुप और प्रधानमंत्री की बैठक के बाद ही 23 जून को राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान करने की बात कह रही है, लेकिन मीडिया में कयास यही लगाया जा रहा है कि राष्ट्रपति भवन की दौड़ में सबसे ज्यादा चर्चा सुषमा स्वराज के नाम को लेकर ही हो रही है. अपने काम और व्यवहार को लेकर वो सभी दलों में लोकप्रिय हैं. सोशल मीडिया के जरिये भी वो सबकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. उनके लिए सबसे सकारात्मक बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस सहित कई और विपक्षी दल शायद ही उनका विरोध करें. ऐसी चर्चा है कि विपक्षी दलों कि बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने साफ़ कर दिया है कि अगर बीजेपी सुषमा स्वराज या किसी भी अन्य महिला उम्मीदवार को राष्टपति के चुनाव में उतारती है तो वह विरोध नहीं करेगी. सुषमा स्वराज 1998 में देश की राजधानी दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. भाजपा की यह शीर्ष महिला नेत्री 2004 में ‘उत्कृष्ट सांसद सम्मान’ पा चुकी हैं और 2009 से लेकर 2014 तक संसद में विपक्ष कि नेता रह चुकी हैं. एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए वो प्रबल दावेदार हैं और देश की अगली राष्ट्रपति बन सकती हैं.

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