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तो क्या भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ फाइनल मैच भी फिक्स था? जागरण जंक्शन मंच

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में मैच में पाकिस्तान ने अपने हरफनमौला खेल की बदौलत भारत को 180 रनों से हरा दिया, पहली बार पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी जीता है, उसे बहुत बहुत बधाई. ‘टीम इंडिया’ के खिलाड़ियों की घटिया गेंदबाजी और घटिया बल्लेबाजी से भारतीय क्रिकेट प्रशंसक बहुत निराश हैं और उनमे मातम पसरा हुआ है. मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार भारतीय टीम की हार से दुखी और नाराज होकर गुजरात के अहमदाबाद और उत्तराखंड के हरिद्वार में कई लोगों ने अपने टीवी फोड़ दिए. उत्तरप्रदेश के कानपुर में विराट कोहली, अश्विन और युवराज सहित टीम के कई अन्य खिलाड़ियों के पोस्टर जलाए गए. देश में कई जगहों पर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ नारेबाजी भी की गई. जबकि इसके ठीक उलट जम्मू-कश्मीर से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्रीनगर के शहरी इलाके में पाकिस्तान के जीतने की ख़ुशी में एक तरफ जहाँ पटाखे फोड़े गए और सड़क पर आकर पाकिस्तान की जीत पर गाने गए गए, वहीँ दूसरी तरफ श्रीनगर के ग्रामीण इलाकों में ढोल पीट-पीटकर खुशी मनाई गई.

बुधवार को सेमीफाइनल मैच में जब पाकिस्तान ने इंग्लैंड को हराया था, तब भी श्रीनगर के कई इलाकों में आतिशबाजी की गई थी और जश्न मनाया गया था. कश्मीर घाटी के बहुत से गुमराह लोग आतंक को बढ़ावा देने वाले आतंकी और फरेबी मुल्क पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा हितैषी समझते हैं. पानी की तरह पैसा बहाकर हर सुख-सुविधा देने वाले अपने मुल्क हिन्दुस्तान से उन्हें नफरत है, ये बात हम सब लोग जानते हैं, इसलिए उन लोगों का पाकिस्तान के प्रति जो काल्पनिक और ‘दूर के ढोल सुहावने’ वाला प्रेम है, वो सरलता से समझ में आ जाता है. लेकिन जो हिन्दुस्तान के प्रेमी हैं, उन्हें क्या हो गया है? अपने टीवी सेट तोड़फोड़ देना और ‘टीम इंडिया’ के खिलाफ नारेबाजी करना तथा खिलाड़ियों के पोस्टर जलाना कहाँ तक जायज है? ये देश या खेल से प्रेम नहीं, बल्कि एक उन्मादी जूनून है. खेल में तो हारजीत होती ही रहती है. दो टीमें यदि फाइनल मैच खेल रही हैं तो उनमे से बेहतर खेलने वाली कोई एक टीम ही विजेता बनेगी. पाकिस्तान से जब भी कोई मैच होता है, भारत में लोग क्रिकेट के खेल का नहीं, बल्कि युद्ध का आनंद लेते हैं.

रविवार को ही लन्दन में हॉकी वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल्स 2017 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपने तीसरे पूल मैच में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 7-1 से करारी मात दी. इस जीत पर कितने लोगों ने सड़क पर निकलकर ख़ुशी मनाई और मीडिया ने कितनी उसे तवज्जो दी, ये सब लोग जानते हैं. क्रिकेट के प्रति मीडिया और जनता के बीच उपजे उन्मादी जूनून ने हिन्दुस्तान के दूसरे सभी खेलों को मीडिया की चर्चा से दूर और बौना सा बना दिया है, जबकि बहुत से अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने में अन्य खेलों का क्रिकेट से कहीं ज्यादा योगदान है. देश में सबसे ज्यादा चर्चा क्रिकेट की और क्रिकेट के खिलाड़ियों की होती है, जबकि ये हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है. शायद बहुत से भारतीयों को ये जानकारी भी नहीं होगी कि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पास इतना ज्यादा धन है कि उसका कुछ हिस्सा भी यदि वो अन्य खेलों के उत्थान में लगा दे तो देश का बहुत नाम रोशन हो. क्रिकेट का हमारे देश में जो क्रेज और ग्लैमर है, दरअसल वो बनावटी है और उसका बहुत बड़ा कारण क्रिकेट का जुए और सट्टेबाजी का अड्डा बनना है.

चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में जब बुधवार को पाकिस्तान ने सेमीफाइनल मैच में मेजबान इंग्लैंड को आठ विकेटों से करारी मात देते हुए फाइनल में प्रवेश किया तब पाकिस्तान में क्रिकेट प्रेमियों ने जमकर खुशियां मनाईं, मगर पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर आमिर सोहेल ने एक टीवी न्यूज चैनल पर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान सरफराज अहमद को सन्देश देते हुए कहा, ‘आप ये ना पूछ लीजिएगा कि मैच किसने जितवाए हैं? मैं यही जवाब दूंगा कि दुआओं ने और अल्लाह ने मैच जितवाएं हैं. जो बाशिंदे हैं, उनका नाम मैं नहीं लूंगा. उनको ये बताने की जरूरत है कि आपका कोई कमाल नहीं था. आपको यहां किसी वजह से लाया गया है. अब आप अपना दिमाग जरा बेहतर रखें. इतना ज्यादा सर पर चढ़ने की जरूरत नहीं है. हमें आपकी काबिलियत पता है. आप चुप करके क्रिकेट खेलें.’ आमिर सोहेल के अनुसार व्यावसायिक कहिये या सट्टेबाजी के कारणों से इंग्लैण्ड-पाकिस्तान का सेमीफाइनल मैच फिक्स था. तो क्या भारत-पाकिस्तान का फाइनल मैच भी फिक्स था? भारतीय खिलाड़ियों ने जिस घटिया तरीके से फाइनल मैच खेला, वो सवालों के घेरे में तो है ही.

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