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125 करोड़ की आबादी वाले देश में सिर्फ़ 32 लाख लोग ही अधिकतम टेक्स क्यों देते हैं?

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह असल जीएसटी नहीं है, जिसकी इच्छा कांग्रेस ने जताई थी और जिसे आदर्श रूप में विशेषज्ञों ने तैयार किया था. स्वरूप बदलकर लागू किया जाना दुखद है. इससे बदतर कानून और कोई नहीं हो सकता.’ उन्होने यह भी कहा कि यह क़ानून लघु, छोटे और मंझोले व्यापारियों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा और इससे महंगाई बढ़ेगी. आश्चर्य की बात है कि जीएसटी काउन्सिल की 18 बैठके हुई, जिसमे कांग्रेस के लोग भी शामिल थे, जिसमे जीएसटी पर खूब मंथन हुआ और जो भी निर्णय लिए गये, वो सब सर्वसम्मति से लिए गये. तब कांग्रेस ने जीएसटी के प्रस्तावित प्रावधानों का विरोध क्यों नहीं किया? अब जीएसटी के क़ानूनी रूप से लागू प्रावधानों का विरोध करना बेहद हास्यास्पद है. सच तो यह है कि जीएसटी क़ानून से पूर्णत: अन्जान और कमाई उजागर होने के भय से देशभर मे जारी कुछ छोटे व्यापारियों का विरोध देख कांग्रेस के नेताओं का विरोधी सुर अलापना अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलना भर है.

केंद्र की कांग्रेस सरकार मे कभी वित्तमंत्री रह चुके और 2011 मे जीएसटी लाने के लिए अथक प्रयास कर चुके वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जब यह कह रहे हैं कि जीएसटी लागू होने से उन्हे बहुत आत्मसंतुष्टि मिली है, तब जीएसटी लागू होने का विरोध करना और जीएसटी लागू करने को लेकर संसद के सेंट्रल हॉल में शनिवार को आधी रात के समय हुए ऐतिहासिक समारोह का बहिष्कार करना कांग्रेस की एक बेहद हास्यास्पद नौटंकी भर लगती है. कांग्रेसी नेताओं का जीएसटी के खिलाफ जारी विरोधी स्वर सुनकर आम जनता उस पर हंसते हुए यह पूछ रही है कि जब मोदी सरकार के द्वारा संसद मे जीएसटी बिल पेश किया गया, तब उसने समर्थन क्यों किया? जीएसटी को लेकर कांग्रेस की स्थिति इस समय साँप छछूंदर वाली हो गई है, न उससे उगलते बन रहा है और न ही निगलते. संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात को हुए समारोह का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार करने के पीछे केवल एक ही कारण था और वो था, जीएसटी लागू करने का श्रेय बीजेपी सरकार को मिल रहा था. कांग्रेस को लग रहा था कि जीएसटी पर वर्षों मेहनत हमने की और उसे लागू करने का श्रेय मोदी सरकार ले गई.

टेक्स से सम्बन्धित नये क़ानून वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी को लागू करना कितनी बड़ी और ऐतिहासिक बात है, यह प्रधानमन्त्री मोदी के जीएसटी पर दिए गये बयानों से जाहिर होती है. उन्होने जीएसटी काउंसिल से जुड़ी 18 बैठकों की तुलना न सिर्फ़ श्रीमद्‍ भगवत गीता के 18 अध्यायों से की, बल्कि यहाँ तक कह दिया कि आज़ादी के बाद जिस प्रकार से सरदार पटेल ने 500 रियासतों को एक ‘भारत’ के रूप मे एकीकरण करने का ऐतिहासिक और महान कार्य किया था उसी तरह से आज के समय मे जीएसटी के द्वारा आर्थिक एकीकरण का महत्वपूर्ण काम हो रहा है. बहुत सारे अप्रत्यक्ष करों की जगह अब जीएसटी रूपी एक कर लगेगा. देशभर मे 1 जुलाई से जीएसटी क़ानून लागू हो जाने के वावजूद भी व्यावहारिक धरातल पर उतरने मे उसे अभी कम से कम 6 महीने का समय लगेगा. मेरे यहाँ पर ज़रूरी सामान और राशन आदि पहुँचाने वाले कई दुकानदारों से मेरी बात हुई. फिलहाल अभी तो सब पुराने ही ढर्रे के अनुसार चल रहे हैं. कुछ दुकानदार नये क़ानून से डरे हुए दिखे. डर की मूल वजह यह थी कि अब 1 नंबर से व्यवसाय करना होगा और उनकी वार्षिक कमाई टेक्स के दायरे मे आ जाएगी.

मैने एक दुकानदार से पूछा, ‘आपकी दूकान अच्छीखासी चलती है और आप सालभर में काफी कमाई भी करते हैं तो फिर टेक्स देने मे हर्जा क्या है?’ वो बोले, ‘मुझे टेक्स देने मे कोई हर्जा नही है, लेकिन मोदीजी सभी नेताओं और राजनीतिक दलों को भी तो जीएसटी के दायरे मे लाएँ. ये लोग जनता के खून-पसीने की कमाई को टेक्स के रूप मे लूटकर ऐश कर रहे हैं. ये लोग खुद कोई टेक्स नही देते हैं, पर जनता पर नये-नये टेक्स थोपते रहते हैं. मोदी सरकार द्वारा आख़िर नेताओं और राजनीतिक दलों को रियायत क्यों दी जा रही है, जबकि आज के समय में राजनीति समाज सेवा नही, बल्कि शुद्ध रूप से एक व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी है.’ मुझे दुकानदार की तार्किक बातों मे काफी सच्चाई नज़र आई. प्रधानमन्त्री मोदी यदि देश के नेताओं और राजनीतिक दलों को टेक्स के दायरे मे लाएँ तो देश की आम जनता भी बढ़चढ़ कर टेक्स देगी, इस बात मे मुझे कोई संदेह नही. प्रधानमन्त्री मोदीजी को हर मंच पर फिर बार-बार यह सवाल नही पूछना पड़ेगा कि पड़ेगा कि 125 करोड़ की आबादी वाले देश मे सिर्फ़ 32 लाख लोग ही अधिकतम टेक्स क्यों देते हैं?

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