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सोमवार 10 जुलाई को अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों से भरी बस पर बड़ा आंतकी हमला हुआ, जिसमें 7 लोगों की दुखद मौत हुई और 19 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हमले की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और विपक्षी दल कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश-विदेश के तमाम नेताओं ने आलोचना की, जबकि अभी तक हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हमले की निंदा नहीं की है।
वो निंदा करेगा भी क्यों, धन, हथियार और प्रशिक्षण देकर खूंखार बना दिए गए आतंकी संगठनों हिज़्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के जरिये वो पिछले कई दशकों से कश्मीर में खून की होली खेल रहा है। अमरनाथ यात्रियों पर हमला भी इन्ही दो संगठनों में से किसी एक ने किया है, लेकिन हमले की जिम्मेदारी कोई भी संगठन नहीं ले रहा। क्योंकि एक तो निहत्थे अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले की बहुत से कश्मीरी लोग जोरदार निंदा कर रहे हैं। खासकर जिन्हे अमरनाथ यात्रा से वर्षों पुराना भावनात्मक लगाव है या फिर जिनके कारोबारी हित इस यात्रा से जुड़े हुए हैं।
दूसरी ओर आतंकियों के सबसे बड़े पनाहगाह पकिस्तान पर इस समय आतंकवाद के खात्मे को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाब बहुत ज्यादा बन चुका है। आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें या न लें, किन्तु कांग्रेसी नेताओं ने हमले की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर थोप दी है। राजनीतिक गणित का मोदी विरोधी फॉर्मूला अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने कुछ इस तरह से प्रस्तुत किया है- मोदी का व्यक्तिगत फायदा=भारत की रणनीतिक हार+निर्दोष भारतीयों का खून कुर्बान।
नानी के यहां से गणित पर रिसर्च कर लौटे राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार हमले कर रहे हैं, लेकिन अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला करने वाले आतंकवादियों पर रहस्यमय ढंग से चुप्पी साधे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में दो साल पहले बने बीजेपी-पीडीपी गठबंधन से राहुल गांधी को आज बड़ी एलर्जी है, लेकिन दो साल पहले पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठजोड़ कर वहां पर सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर उनकी पार्टी ने लगा दिया था। इसमें उन्हें नाकामयाबी ही हासिल हुई थी। तभी से उन्हें इस गठबंधन से चिढ़ है।
फ़िल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में मज़रूह सुलतानपुरी का लिखा हुआ और मशहूर गायक किशोर कुमार द्वारा गाया गया एक लोकप्रिय गीत है,
हम थे वो थी, वो थी हम थे
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुंच गए चीन समझ गए ना
याने याने प्यार हो गया…
कुछ इसी तर्ज पर बीते दिनों राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिलने पहुंच गए। शायद पाकिस्तानी राजदूत से मिलने निकले हों, क्योंकि चीन की जगह पाकिस्तान से कांग्रेसियों के मधुर संबंध ज्यादा बेहतर हैं। ये बात सब जानते हैं। चीनी राजदूत से क्या बात हुई, इस पर राहुल गांधी ने अभी तक रहस्य्मय ढंग से चुप्पी साध रखी है। राहुल गाँधी चीनी राजदूत से जाने-अनजाने मिलने क्या पहुंच गए, उसके बाद चीन की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि वो भारत स्थित कश्मीर में अपनी सेना भेजने की धमकी देने लगा। क्या यह कांग्रेस को दी जा रही चीनी मदद है?
दो साल पहले कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर जब पाकिस्तान गए थे, तो उन्होंने भारतीय जनता के भारी बहुमत से बनी मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उससे मदद मांगी थी, ताकि कांग्रेस पाकिस्तान से दोस्ती प्रगाढ़ कर सके। पाकिस्तान के पास कांग्रेस की मदद करने का एक ही तरीका है और वो है अपने पाले हुए आतंकी गुर्गों से भारत पर बार-बार हमले काराओ, ताकि कांग्रेस को मोदी सरकार पर हमले करने का भरपूर मौका मिले और इसी को मुद्दा बना वो 2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव जीतकर देश की सत्ता हासिल कर ले। कांग्रेस के नेता सत्ता पाने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं, ये उनके विवादित और घटिया बयानों से जाहिर होता है।
एक कांग्रेसी नेता का कहना है कि चूंकि गुजरात विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए बीजेपी वालों ने कश्मीर में गुजरात के तीर्थ यात्रियों की बस पर खुद ही हमला करवा दिया और गुजरात के कई निर्दोष लोगों को मरवा दिया। भाजपा और मोदी के खिलाफ बोल के कांग्रेस किसकी मदद कर रही है? जाहिर सी बात है कि आतंकवादियों की और पाकिस्तान की। सब जानते हैं कि कश्मीर समस्या नेहरू-गांधी परिवार की दी हुई वो विरासत है, जिसका खामियाजा पूरा मुल्क भुगत रहा है।
कांग्रेस के प्रवक्ता टीवी न्यूज चैनलों पर बार-बार सीना तानकर कहते हैं कि सिर्फ हमारे नेताओं ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है। उन्हें यह भी बताना चाहिए उनके नेता किस बाॅर्डर पर बंदूक लेकर आतंकवादियों से या फिर देश के दुश्मनों से लड़े थे। देश पर निरंतर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों की तरफ से हमले हो रहे हैं और कांग्रेस देश की सुरक्षा को दांव पर लगाकर घटिया राजनीतिक खेल खेलते हुए केंद्र की सत्ता में वापसी का स्वप्न देख रही है। देश की जनता को ऐसी राजनीतिक पार्टी को दूर से ही सलाम करके और रसातल में जाने के लिए छोड़ देना चाहिए।
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