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गरीब का दीपक बुझा, अमीर के कुलदीपक ने की छेड़खानी

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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पिछले हफ्ते दो ऐसी घटनाएं घटीं, जो मुझ जैसे आम हिन्दुस्तानियों के दिलों-दिमाग को झकझोर देने वाली हैं. हम सबको जागरूक और सचेत करने वाली हैं. एक घटना में एक गरीब आदमी के घर का इकलौता दीपक बुझ गया और दूसरी घटना में एक अमीर नेता के कुलदीपक ने छेड़खानी की ऐसी आग लगाई है, जो बुझने का नाम ही नहीं ले रही है.


इस ब्लॉग में उन दोनों घटनाओं का जिक्र करूंगा और एक आम हिन्दुस्तानी की हैसियत से उस पर अपनी निष्पक्ष टिप्‍पणी भी करना चाहूँगा. पहली दुखद घटना बुधवार 2 अगस्त की है, जब दिल्ली के पालम इलाके में कार चला रही 25 साल की एक युवती ने ढाई साल के एक मासूम बच्चे को कुचल दिया. बुधवार को दोपहर के समय करीब ढाई बजे मासूम बच्चा दीपक घर के बाहर खेलते हुए सड़क पर चला गया और दौड़ते हुए सड़क पार करने लगा. बच्चे की मां प्रीति उसे आवाज देते हुए उसके पीछे दौड़ी. एक आई-20 कार बेहद तेजी से आती दिखी तो प्रीति उसे रुकने के लिए जोर से चीखी-चिल्लाई, लेकिन आंखों में काला चश्मा और कान में हेडफोन लगाकर कार चला रही युवती अपनी ही धुन में मगन हो अंधी-बहरी हो चुकी थी.


उसने मासूम दीपक के सिर के ऊपर से अपनी कार उतार दी. दीपक की मां तड़पते बच्चे को सीने से लगाकर कार के पीछे भागी, लेकिन कार चलाने वाली युवती की हैवानियत देखिये कि घायल बच्चे को अस्पताल ले जाने की बजाय वो मौके से फरार हो गई.


बच्चे की माँ किसी तरह से दौड़ते-भागते हुए पहले एक निजी अस्पताल पहुंची, जहां पर अस्पताल वालों ने बच्चे की गंभीर हालत और महिला की गरीबी देखकर बच्चे का इलाज करने से ही मना कर दिया. उसके बाद वो महिला अपने बच्चे को लेकर डीडीयू अस्पताल गई, जहां पर डॉक्टरों ने उसके बच्चे को मृत घोषित कर दिया.


एक निहायत गैर जिम्मेदार महिला ड्राइवर के कारण एक माँ ने अपना इकलौता बच्चा खो दिया. अगर उसने सड़क पर दौड़ते बच्चे को देखा होता और समय पर ब्रेक लगा दिया होता तो मासूम दीपक की जान बच सकती थी. पुलिस ने इस मामले में गैर-इरादतन ह्त्या का मामला दर्ज किया और महज चंद घंटों के भीतर ही किसी के घर का दीपक बुझा देने वाली युवती को जमानत भी दे दी.


पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन युवती को गिरफ्तार कर जेल भेजने की बजाय उसे कुछ ही देर में जमानत पर रिहा कर देना फिलहाल तो संदेह और सवाल पैदा कर ही रहा है. इस तरह से कार से कुचलकर ह्त्या करने वाले अमीर लोगों को आनन-फानन में जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा, तो सड़कों पर कोई भी किसी को मारकर चला जाएगा और पकड़े जाने पर बड़े आराम से जमानत पर छूट जाएगा.


न्याय तो यही कहता है कि गाड़ियों से कुचलकर बेगुनाह लोगों को मारने वालों पर ह्त्या का मुकदमा चलना चाहिए और उन्हें दस-बीस साल से लेकर उम्रकैद तक की कड़ी सजा मिलनी चाहिए. गैर-इरादतन ह्त्या का केस दर्ज होने से उन्हें नाममात्र की ही सजा मिल पाती है, जो पीड़ित परिवार के साथ घोर अन्याय है.


कार से कुचलकर मारे गए ढाई साल के मासूम बच्चे दीपक के पिता संदीप कुमार हार्डवेयर की दुकान पर काम करने वाले एक आम हिन्दुस्तानी हैं, जिन्होंने अपना बेटा खोया है. मीडिया पर दीपक के कार से कुचलकर मरने का समाचार दिखाया गया, लेकिन उस पर कोई जोरदार बहस नहीं हुई और न ही कार से कुचलकर मारने वाली अमीर युवती की लापरवाही पर कोई बहस हुई.


न्यूज चैनलों को शुक्रवार आधीरात को सवा बारह बजे यानी 5 अगस्त को चंडीगढ़ में घटी छेड़छाड़ की घटना से ही बहस की फुर्सत नहीं है. कई दिनों से वो बहस महज इसलिए जारी है, क्योंकि पीड़ित और आरोपी दोनों ही वीआईपी परिवारों से जुड़े हुए लोग हैं. पुलिस बार-बार कह रही है कि हम जांच कर रहे हैं, इस केस का मीडिया ट्रायल न करें, लेकिन न्यूज चैनल वाले कहाँ मानने वाले. वो तो अदालत की तरह से बहस जारी रखे हुए हैं, मानों सजा भी उन्हें ही सुनानी हो.


छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली लड़की एक आईएएस अधिकारी की बेटी है और आरोपी हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला का बेटा विकास बराला है, जिसे उसके दोस्त समेत एक लड़की से छेड़छाड़ करने के आरोप में शनिवार को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था और कुछ देर बाद दोनों को जमानत पर छोड़ दिया था.


इस छेड़छाड़ वाले केस के बहाने जमकर सियासत हो रही है. कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल लगातार सुभाष बराला के हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, हालांकि कांग्रेस की यह मांग ठीक वैसी ही है, जैसे कांग्रेस की नैया राहुल गांधी डुबोएं और इस्तीफा उनकी माँ सोनिया गांधी से माँगा जाए.


छेड़छाड़ और अपहरण का संगीन आरोप यदि कोर्ट में सही साबित हो जाता है तो निसंदेह आरोपी विकास बराला को सजा तो मिलेगी ही. हमें पुलिस और कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए. इस केस में मीडिया पर छा जाने वाली लड़की का कहना है कि वो आम हिन्दुस्तानी लड़कियों के लिए लड़ रही है. अच्छी बात है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि कितनी हिन्दुस्तानी लडकियां रात को बारह बजे कार लेकर अकेले निकलती हैं? आधी रात को घूमने पर सवाल नशेड़ी लड़कों और मॉडर्न लड़कियों दोनों से ही पूछा जाना चाहिए. कोई भी वारदात होने पर मीडिया के सहारे आसमान सिर पर उठा लेने वाले माँ-बाप को भी अपने युवा बच्चों से ये सवाल जरूर पूछना चाहिए कि वो आधीरात को जाते कहाँ हैं?


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