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धर्म के नाम अधर्म करने वाले बाबाओं को जेल भेजना जरुरी है

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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राम के भक्त रहीम के बन्दे
रचते आज फरेब के फंदे
कितने ये मक्कार ये अंधे
देख लिए इनके भी धंधे
इन्ही की काली करतूतों से
बना ये मुल्क मसान
कितना बदल गया इंसान
सूरज न बदला चाँद न बदला
न बदला रे आसमान
देख तेरे संसार की हालत
क्या हो गयी भगवान
कितना बदल गया इंसान …

ये ब्लॉग लिखते समय कवि प्रदीप के एक कालजयी गीत की उपरोक्त पंक्तियाँ याद आ गईं. अपने को राम रहीम का भक्त कहने वाले धर्मगुरु गुरमीत राम रहीम और उनके भक्तों ने वो सब किया जो इस गीत में वर्णित है. बाबा राम रहीम ने डेरे में रहने वाली उन लड़कियों से बलात्कार किया जो उन्हें पिताजी कहकर सम्बोधित करती थीं और बाबा राम रहीम के चेलों ने बाबा को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद देश के कई शहरों और कस्बों में जमकर हिंसा का तांडव मचाया. सुरक्षाबलों से हिंसक झड़पों में दर्जनों लोंगो की मौत हुई, बाबा के भक्तों द्वारा बहुत से वाहनों में आग लगा दी गई, कई स्टेशन फूंक दिए गए, आग लगाकर अरबों रूपये की निजी व सरकारी संपत्तियां नष्ट कर दीं गईं और मीडियाकर्मियों पर जानलेवा हमले करने के साथ ही मीडिया की कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई.

अपनी सामानांतर सत्ता चलाने वाले संत आशाराम, संत रामपाल से लेकर बाबा राम रहीम तक की गिरफ्तारी के समय सरकारें (चाहे वो किसी भी दल की क्यों न हों) भक्तों की भीड़ के आगे बेबस और निकम्मी नजर आईं. नेताओं की धर्मगुरुओं से सांठगांठ जगजाहिर है. लगभग सभी दलों के नेता धर्मगुरुओं के पास सलाह और उनके लाखों-करोड़ों भक्तों का वोट लेने आते हैं, इसलिए धर्मगुरुओं के कुकर्मों पर पर्दा पड़ा रहता है. बाबाओं के कानून की गिरफ्त में फंसने पर नेता उन्हें बचाने की भरसक कोशिश भी करते हैं. बलात्कारी बाबा राम रहीम के मामले में नेताओं की एक न चली.

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अपने ईमानदार स्वभाव के लिए चर्चित सीबीआई जज जगदीप सिंह ने पहले गुरमीत राम रहीम को दो लड़कियों का कई वर्षों तक यौन शोषण करने का दोषी करार दिया और फिर बाद में बलात्कारी बाबा को दोनों मामलों में 10-10 साल कैद की सजा भी सुना दी. चूँकि दोनों सजाएं एक साथ नहीं चलेंगी, इसलिए बाबा राम रहीम को बीस साल तक जेल में रहना पडेगा. कोर्ट ने राम रहीम पर तीस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसमें से 14-14 लाख रुपये रेप की शिकार दोनों महिलाओं को मिलेंगे. सीबीआई जज जगदीप सिंह को सौ सौ बार सलाम. हिन्दुस्तान की तमाम कोर्ट को सलाम.

मैं ही नहीं, बल्कि अधिकतर आम लोग अक्सर यही सोचते हैं कि आज के भ्रष्ट राजनीतिक और सामाजिक माहौल में यदि ईमानदार कोर्ट और माननीय जगदीप सिंह जैसे सख्त मिजाज जज न होते तो हिन्दुस्तान का क्या हाल होता? भ्रष्ट राजनेता और चरित्रहीन धर्मगुरु यदि पूर्णतः निरंकुश हो जाते तब तो पूरा देश ही नरक बना देते, जाने क्या क्या बेच खाते और गरीबों का तो अपनी इज्जत आबरू बचा के सम्मान के साथ जीना ही मुश्किल हो जाता.

बाबा गुरमीत राम रहीम के लाखो भक्त हैं, जिनमें से अधिकतर पिछड़ी जातियों से जुड़े हुए गरीब लोग हैं. ये लोग आध्यात्मिक जानकारी और सामाजिक समानता पाने के लिए तथा चमत्कार की आस में बाबा से जुड़े. खुद को मैसेंजर ऑफ गॉड यानी ईश्वर का सन्देश वाहक बताने वाले बाबा राम रहीम दरअसल में अपने डेरे के एक बहरुपिए, निरंकुश और तानाशाह लीडर थे. वो बड़ी सहजता से एक धर्मगुरु का चोला उतार भड़कीले वस्त्र पहनकर ‘चमकीला बाबा’ बन जाते थे.

लाखों लोगों की नज़रों में महानायक बाबा राम रहीम फ़िल्मस्टार और रॉकस्टार के साथ ही राजनीतिक रूप से भी बहुत प्रभावशाली थे. सभी दलों के नेताओं से अपनी जरुरत के मुताबिक़ संबंध बना रखे थे. वो अपनी कल्पना को काफी हद तक साकार कर अपने ही बनाये हुए कल्पना लोक में जी रहे थे और अपने भक्तों को भी बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर रहे थे. ईश्वर का सन्देश वाहक (मैसेंजर ऑफ गॉड ) भर बनने मात्र से ही उन्हें संतोष नहीं हुआ. उनका अगला कदम खुद को ‘भगवान्’ या ‘अवतारी पुरुष’ घोषित करने का था, जो शायद असली भगवान् को मंजूर नहीं था.

यही गलती संत आशाराम बापू और संत रामपाल ने भी की थी. लम्बे समय के लिए तीनों नकली भगवानों को जेल में भेजकर इस सम्पूर्ण सृष्टि के एकमात्र सर्वव्यापी व सर्वशक्तिमान रचयिता, पालनकर्ता और संहारकर्ता ने अपने होने का अहसास उन्हें बखूबी करा दिया है. बाबा राम रहीम ने जिस ईश्वर का दर्शन कराने का झांसा देकर डेरे के सैकड़ों साधुओं को नपुंसक बना दिया, उस शक्तिशाली ईश्वर ने आज उसके हर राज का पर्दाफ़ाश कर दिया है. सही कहा गया है कि भगवान् की अदृश्य लाठी जब पड़ती है तो आवाज नहीं करती, बल्कि पापियों का सत्यानाश करती है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान बाबा राम रहीम के वकीलों ने तर्क दिया क़ि बाबा एक धर्मगुरु और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ईश्वर के बारे में बताने के साथ ही वो चैरिटी भी चलाते हैं. बाबा रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान कराते हैं. वो नशा छुड़ाते हैं और शाकाहार को बढ़ावा देते हैं. इसके साथ ही वो समलैंगिक लोगों से समलैंगिकता छोड़ने की अपील भी करते हैं. इसलिए बाबा गुरमीत राम रहीम पर रहम करते हुए उन्हें कम से कम सजा दी जाए.

इस पर जज ने बिलकुल सही कहा क़ि लोग उन्हें बाबा (संत) मानते हैं और उनकी बातों को गौर से सुनते हैं, इसके बावजूद भी उन्होंने ऐसा कुकृत्य किया, जिसे किसी भी सूरत में क्षमा नहीं किया जा सकता है. सबसे बड़ी दुःख की बात यह क़ि बाबा राम रहीम अपने लाखों भक्तों को जीवन में उचित संयम बरतने और सादा जीवन जीने का उपदेश देते हैं, लेकिन वो स्वयं डेरे में अय्याशी करते हैं और आलीशान जीवन जीते हैं. पूरे देशभर में बहुत से धर्मगुरु अपने चेलों को मूर्ख बनाकर ऐसा ही कर रहे हैं. ऐसे भ्रष्ट बाबाओं के खिलाफ प्रशासनिक और न्यायिक सख्ती बरतने के साथ ही जनमानस में उनके प्रति सामाजिक जागरूकता लाने की भी जरुरत है. ऐसे भ्रष्ट बाबाओं ने भारत की जगहंसाई कर रखी है. धर्म के नाम पर अधर्म करने वाले इन बाबाओं को जेल भेजना जरुरी है.

आज के अमीर धर्मगुरु पैसे और प्रभुत्व के बलपर अपने गरीब चेलों को खरीद लेते हैं, उन्हें लालच देकर सपरिवार अपना गुलाम बना लेते हैं, जैसा कि राम रहीम ने किया. जज के सामने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगते नौटंकीबाज बाबा राम रहीम ने अपने डेरे में गुफा के अंदर अनगिनत लड़कियों से बलात्कार किया. उनकी इज्जत न लूटने की अपील पर, दर्दभरी चीखपुकार पर और गिड़गिड़ाते हुए रहम की भीख मांगने पर उस दरिंदे ने कभी ध्यान नहीं दिया, इसलिए उस पर कोई रहम करना पीड़ितों के साथ भारी अन्याय करना था. भ्रष्ट नेताओं की तरह चरित्रहीन बाबाओं की भी अंतरात्मा कभी नहीं जागती है, इसलिए ये दोनों ही रहम के काबिल नहीं हैं. अंत में आदमी को चरित्रवान व महान बनाने वाली तथा आत्मा को परमात्मा से मिलाने वाली अंतरात्मा को जगाने के लिए साहिर लुधियानवी के लिखे इस गीत में बताये गए सुझाव पर हर व्यक्ति को अमल करने की सलाह दूंगा-

प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधी पाऊँ तोहे
प्रभु कहे तु मन को पा ले, पा जयेगा मोहे
तोरा मन दर्पण कहलाये …
भले बुरे सारे कर्मों को, देखे और दिखाये
मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा न कोय
मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होय
इस उजले दर्पण पे प्राणी, धूल न जमने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये …
सुख की कलियाँ, दुख के कांटे, मन सबका आधार
मन से कोई बात छुपे ना, मन के नैन हज़ार
जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग न पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये …

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