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पीएम मोदी का वो संदेश जो न सिर्फ पठनीय, बल्कि आज भी है प्रासंगिक

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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आज विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर सभी कर्मयोगियों को बधाई. पहले शिल्पकार लोग ही देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन मनाते थे. धीरे-धीरे सभी कारखानों और मशीनों के कारीगर विश्वकर्मा जयंती मनाने लगे. अब तो किसी भी क्षेत्र के मिस्त्री हों, वो विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा जी की और अपने औजारों की पूजा जरूर करते हैं. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी ने भगवान ब्रह्मा के साथ मिलकर सृष्टि रचना की थी. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा देवताओं के लिए भवन, हथियार और आभूषण बनातें हैं.


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इन्द्र का वज्र और सोने की लंका के निर्माता भगवान विश्वकर्मा ही माने जाते हैं. जो लोग भी संसार में जनता के दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरी चीजों जैसे- मकान, वाहन, वस्त्र, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिक उपकरण, बहुत सी मशीनें और कारखानों में बहुत से उपयोगी सामानों का उत्पादन करते हैं, वो सभी कर्मयोगी वन्दनीय हैं. जो ईमानदारी से अपनी मेहनत व खून पसीने की कमाई खाते हैं. हम सब लोग उनके ह्रदय से आभारी हैं. हम सब के जीवन को सुख-सुविधाओं और खुशियों से भरने वालों का जीवन भी सुखमय और खुशियों से परिपूर्ण हो, प्रभु से यही प्रार्थना है.


आज 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 67वां जन्मदिन है. उन्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई. कई मंदिरों में मोदी के लिए हवन और यज्ञ का आयोजन होगा. देशभर में कई जगहों पर प्रधानमंत्री मोदी के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करते हुए वस्त्र, फल और मिठाई आदि गरीबों के बीच बांटी जायेगी. सबसे अच्छी बात तो यह है कि पीएम के जन्मदिन को बीजेपी हर वर्ष सेवा और स्वच्छता दिवस के रूप में मनाती है. पीएम मोदी सबसे ज्यादा जोर सेवा और स्वच्छता पर ही देते हैं.


पीएम मोदी बहुत खुश होंगे यदि उनके जन्मदिन पर देशभर के भाजपा के तमाम जनप्रतिनिधि (विधायक और सांसद) अपना अहंकार त्यागकर अपने शहर के मुख्य मार्गों पर झाड़ू लगाएं और अस्पतालों में जाकर मरीजों की सेवा करें. इस बात में कोई संदेह नहीं कि पीएम नरेंद्र मोदी भगवान विश्वकर्मा के सच्चे अनुयायी हैं. यह एक बहुत अद्भुत और सुखद संयोग है कि प्राचीन समय में भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं की सुख-सुविधा के लिए बहुत सी जरूरी चीजों का निर्माण किया और आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए वही काम मोदी कर रहे हैं. हमें विनम्र भाव से ‘विश्वकर्मा जयंती’ के दिन दोनों को ही नमन करना चाहिए.


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‘विश्वकर्मा जयंती’ के अवसर पर नरेंद्र मोदी का 17 सितम्बर 2013 को दिया गया एक संदेश पाठकों से शेयर करना चाहूंगा, जो न सिर्फ पठनीय, बल्कि आज भी प्रासंगिक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे.


प्रिय मित्रों,


विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर मैं हार्दिक अभिनंदन देता हूं। हमारी बहनों और भाइयों की उमंग और दृढ़ निश्चय को मैं सलाम करता हूं। बढ़ई, राजमिस्त्री, प्लम्बर, कारीगर, तकनीशियन और टर्नर जैसे अनेक लोगों की कड़ी मेहनत और कौशल के बिना शायद हम इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाते।


जब आप अपनी नौकरी का पहला इंटरव्यू याद करते हैं, तब इस इंटरव्यू की सफलता का जश्न मनाते हैं। ऐसे में क्या आप उस धोबी को याद करते हैं, जिसने आप की सफेद शर्ट और पैन्ट को धोकर बेदाग बनाकर उसे अच्छी तरह से प्रेस किया था, जिसकी वजह से इंटरव्यू लेने वाले के मन में आपकी एक अच्छी छवि उभरी थी।


ठीक इसी तरह, जब हम स्वादिष्ट रसोई का लुफ्त उठाते हैं, तब रसोइये की तारीफ करना नहीं भूलते। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यह सब भारत के गांव में अथक मेहनत करने वाले एक किसान के कड़े परिश्रम की वजह से संभव बना है। इसीलिए आज हमारे जीवन में इन सभी के अमूल्य योगदान के चलते हमें चाहिए कि हम उनके प्रति आभार एवं कृतज्ञता व्यक्त करें।


हम ‘श्रमेव जयते’ के मंत्र पर यकीन रखते हैं। हमारे लिए प्रत्येक कार्य पूजा के समान हैं। लिहाजा, इस मंत्र के मुताबिक जो भी कार्य हम करें, उसे पूरी तल्लीनता के साथ और अपनी कार्यक्षमता का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए करें और यदि किसी ने इस मंत्र को पूर्णतः आत्मसात किया है तो वे हमारे उद्यमशील विश्वकर्मा बंधु हैं।


इतिहास के पन्नों से लेकर आज के दौर तक, विश्वकर्मा के लाखों साधक, जिनके कौशल की बदौलत हमारे समाज ने विकास किया है, वे हमारे समाज का महत्वपूर्ण आधार रहे हैं।


भूतकाल में उनके अहम प्रयासों की वजह से गांव आत्मनिर्भर बने थे। वहीं, आज हमारी अर्थव्यवस्था छोटे और मध्यम उद्योगों की वजह से मजबूत बनी है, जिसमें कौशल, तालीम और अनुभव से लबरेज लाखों लोग जुड़े हुए हैं। आज छोटे और मध्यम कद के उद्योगों की सफलता के पीछे ऐसे अनगिनत कामगार, इलेक्ट्रिशियन, टेक्निशियन, ड्राइवर, प्लम्बर और अन्य कारीगर हैं, जो दिन-रात कड़ा परिश्रम कर यह सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण प्रक्रिया से गुजरने के बाद बनी प्रत्येक वस्तु सही तरीके से अपना कार्य करे। उनके अथक प्रयासों के बिना यह संभव नहीं था।


यदि एक राष्ट्र के तौर पर हमें आगे बढ़ना है, तो हमें कुशलता की सुसंगतता को समझना होगा। हमारे नागरिक नया कौशल अपनाकर और ज्यादा मजबूत बनने को प्रोत्साहित हों, इसके लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे। इस दिशा में शुरुआत करने के लिए अच्छा होगा यदि हम कौशल विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करें।


आईटीआई और इंजीनियरिंग कॉलेजों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार से लेकर अभ्यास सामग्री के आधुनिकीकरण के साथ आईटीआई डिप्लोमा को उचित महत्व प्रदान कर हमारे नौजवानों का जीवन बदलने की दिशा में हम काफी कुछ कर सकते हैं। इसके साथ ही, हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कौशल आधारित नौकरियों को भी योग्य मान-सम्मान मिले, ताकि किसी ‘व्हाइट-कॉलर जॉब’ की तुलना में उसकी कीमत कम न आंकी जाए।


पिछले कुछ वर्षों में हमने गुजरात में इस मामले में अपनी सारी शक्ति और संसाधनों को झोंक दिया है। मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि हमारी कौशल विकास की इस पहल को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा प्रदान किया गया एक पुरस्कार भी शामिल है।


हम यह बात लगातार सुनते आ रहे हैं कि हमारी कुल आबादी में ३५ वर्ष से कम आयु के युवाओं की संख्या ६५ फीसदी है। अब यह हम पर निर्भर है कि इन आंकड़ों को बस हम देखते ही रहें या हमारे युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें आज के युग में स्वावलंबी बनाने के लिए सशक्त करने का अवसर मानें। और इसलिए ही २५ सितंबर को हमने कौशल विकास को लेकर एक राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया है, जिसमें कौशल विकास से संबंधित सभी स्वरूपों का समावेश किया गया है।


‘हर हाथ में काम, हर खेत में पानी’ की परिकल्पना द्वारा हम सभी को प्रोत्साहित करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर इस परिषद का आयोजन किया गया है। जब तक हम अपने नागरिकों के लिए सुसंगत अवसरों का निर्माण नहीं करेंगे, तब तक हम आराम नहीं कर सकते।


भगवान विश्वकर्मा कलात्मक रचनाओं, कारीगरी और वास्तुशिल्प के देव हैं। महज निर्माण के लिए ही हम उनकी उपासना नहीं करते, बल्कि सौंदर्यशास्त्र और यंत्रशास्त्र के लिए भी हम उनकी आराधना करते हैं। द्वारिका और हस्तिनापुर सहित स्वर्ग भी भगवान विश्वकर्मा की अद्भुत स्थापत्यकला के बेहतरीन नमूनों में शुमार है। इसलिए आज के दिन हमें नवीन बदलाव और कलात्मक रचना के महत्व को लेकर विचार करना चाहिए।


क्या हम दुनिया के आश्चर्यों में ‘मेड इन इंडिया’ का निर्माण नहीं कर सकते? मुझे भरोसा है कि यदि हम नवीन बदलाव और कलात्मक रचनाओं को हमारी शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में अपनाएंगे तो यह संभव बन सकता है। मुझे यकीन है कि हमारे तेजस्वी भविष्य की सुरक्षा और जन कल्याण के कार्यों के लिए विश्वकर्मा परिवार संभव हो उतने सभी प्रयास करेगा।


आपका,
नरेन्द्र मोदी
सितम्बर 17, 2013
(साभार- http://narendramodi.in/hi/saluting-nation-builders-on-vishwakarma-jayanti-3108)


अंत में एक बार पुनः आप सभी को ‘विश्वकर्मा जयंती’ की बहुत बहुत हार्दिक बधाई.

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