Menu
blogid : 15204 postid : 1360184

मोदी सरकार ने कौओं के मोती चुगने पर लगा दी है पाबंदी

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

modi


गोपीराम: भैया, आज तो हम तुम्हें एक नए जमाने की कथा सुनायेंगे
जनता: अरे बाबा किसी भी जमाने की सुनाओ पर सुनाओ ज़रूर
सियावर रामचंद्रकी जय!
गोपीराम: हे जी रे
हे रामचंद्र कह गए सिया से
रामचंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
हंस चुगेगा दाना तिनका
कौआ मोती खाएगा
हे जी रे…


ये मशहूर गीत हिन्दी फ़िल्म ‘गोपी’ का है, जो वर्ष 1970 में प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म में नायक की भूमिका भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार ने बहुत शानदार और यादगार ढंग से निभाई थी. फिल्म का नायक गोपीराम भोलेभाले गाँव वालों के सामने यह गीत जाता है. फिल्म की कहानी समाज में व्याप्त अन्याय, भ्रष्टाचार, बेईमानी, दबंगई, चरित्रहीनता और शोषण आदि के खिलाफ आवाज उठाने व उससे लड़ने के इर्दगिर्द ही घूमती है.


ये सब बुराइयां समाज में आज भी व्याप्त हैं. हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि आज से काफी समय पहले त्रेतायुग में परमात्मा के विशेष अंशावतार भगवान् रामचंद्र जी ने अपनी धर्मपत्नी सीताजी को कलयुग में घटने वाली बहुत सी घटनाओं, लोगों के रहनसहन और तामसी प्रवृत्तियों के बढ़ने की जानकारी दी थी. ‘गोपी’ फिल्म के उपरोक्त गीत में उन्हीं सब बातों का वर्णन है.


“रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा।
हंस चुगेगा दाना तिनका कौआ मोती खाएगा।।”



इन पंक्तियों में छिपे हुए अर्थ पर विचार करें तो इसका बहुत सीधा सा अर्थ यह है कि भगवान् रामचंद्रजी अपनी धर्मपत्नी सीताजी से कह रहे हैं कि कलयुग (आज के समय) में हंस (भोलेभाले लोग) को ईमानदारी और निष्ठा से बहुत परिश्रम करने पर भी दाना-तिनका (मामूली भोजन और साधारण जीवनयापन) ही खाने को मिलेगा. दूसरी तरफ कौआ (धूर्त, बेईमान, भ्रष्ट और बहुत चालाक किस्म के लोग) बिना परिश्रम किये ही बेशक़ीमती मोती (महंगा भोजन और अय्याशी भरा जीवनयापन) खाएंगे.


बात बहुत हद तक सही है. बहुत पूजापाठ करने वाले, सीधेसादे और ईमानदार लोग आज के युग में ज्यादा परेशान हैं. समाज में आज हर जगह पर धूर्त, बेईमान, भ्रष्ट, दबंग, चरित्रहीन और शातिर दिमाग वाले बेहद तेजतर्रार किस्म के लोग हावी हैं. इनका समाज में बोलबाला है, एकछत्र वर्चस्व कायम है.


यदि हम देश की बात करें, तो साल 2014 तक कांग्रेस के शासनकाल में देश के तमाम संसाधनों पर ऐसे ही लोग हावी थे. मनमोहन सिंह के दस साल के शासनकाल में हुए सैकड़ो घोटाले इस बात के पक्के सबूत हैं. साल 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश के आम लोंगो के मन में न्याय मिलने के साथ साथ बहुत कुछ सुविधाएं मिलने की भी उम्मीद जगी. पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने इस दिशा में जो अथक परिश्रम किया है, उसके अच्छे नतीजे भी मिलने शुरू हो गए हैं.


मोदी सरकार ने आम लोगों को यदि पूर्णतः खुश नहीं तो निराश भी नहीं किया है, लेकिन मोदी सरकार की वास्तव में जनसेवा करने वाली निष्ठा, अथक परिश्रम और ईमानदारी वाली कार्यशैली देखकर बेईमानी और मुफ्त का माल खाने वाले लोग आज जरूर निराश और परेशान होकर यहां-वहां मोदी विरोध की आग में घी डालने का कार्य कर रहे हैं. इस मुहिम में कई दलों के नेता और उनसे कभी पूर्व में उपकृत होने वाले, पत्रकारों, तथाकथित सेक्युलरों और बुद्धिजीवियों की जमात भी शामिल हैं.


शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में नारद जी ने एक बार भगवान कृष्ण से पूछा था, “प्रभु! कलयुग कैसा होगा?”
भगवान् कृष्ण ने उत्तर दिया था, “देवर्षि नारद! सतयुग, सत्य का युग था. त्रेता मर्यादा का युग था. द्वापर कर्म का युग है और कलियुग न्याय का युग होगा.”



भगवान् कृष्ण की वाणी सत्यसिद्ध हो और कलयुग में अब तो लोगों को न्याय मिले. समाज में आज भी व्याप्त छूत-अछूत, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी के भेदभाव ख़त्म हों और दबंगई व सामंती प्रवृत्ति वाले अत्याचारों से आम जनता को मुक्ति मिले, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष प्रयास करने होंगे.


आजकल राहुल गांधी मोदी पर तंज कस रहे हैं कि विकास पागल हो गया है. विकास पागल हो गया है या फिर देश का विकास देखकर कांग्रेस के लोग पागल हो रहे हैं, इस पर अब गंभीरता से विचार होना चाहिए. पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केन्दीय मंत्री अरुण शौरी आदि भाजपा के नेता राहुल गांधी और चिदंबरम की हाँ में हाँ मिलाते हुए मोदी सरकार की कटु आलोचना कर रहे हैं.


मजेदार बात यह है कि इनका साथ वो कांग्रेसी नेता दे रहे हैं, जो इनके मंत्रित्व काल को इतिहास का काला अध्याय मानते हैं. इसका सीधा सा अर्थ है कि अपने शासनकाल के ये पूरी तरह से नकारा और अयोग्य मंत्री थे. दरअसल, इनकी असली परेशानी यह है कि मोदी सरकार ने कौओं के मोती चुगने पर पाबंदी लगा दी है, वस्तुतः जिस पर एकमात्र हक़ हंसों यानी जरूरत मंद आम जनता का है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh